नई दिल्ली / रिसीवर बनेंगी उंगलियां, इटली में बना बोन कंडक्शन तकनीक पर काम करने वाला स्मार्टबैंड

Dainik Bhaskar : Jul 26, 2019, 12:34 AM
गेट ब्रेसलेट' कलाई की हड्डी के जरिए आवाज की वाइब्रेशन को यूजर के कानों तक पहुंचाएगा

यह वॉयस रिकॉग्नाइजेशन को भी सपोर्ट करता है, यूजर इसके जरिए कॉलिंग भी कर सकेंगे

बैंड यूजर की हार्टबीट, कैलोरी को भी रिकॉर्ड करेगा साथ ही यह भी बताएगा कि पानी कब पीना है

इसकी डिलीवरी 2020 तक शुरू हो सकती है, कीमत 17 हजार रुपए होगी

इटली के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा स्मार्टबैंड तैयार किया है,जिसे पहनकर यूजर अपनी तर्जनी उंगली (इंडेक्स फिंगर) को फोन के रिसीवर के तरह इस्तेमाल कर सकेगा। स्मार्टवॉच और फिटबिट के फ्यूजन वाले इस बैंड को 'गेट ब्रेसलेट' नाम दिया गया है। यह बोन इंडक्शन तकनीक पर काम करता है, जो कलाई की हड्डी के जरिए आवाज की वाइब्रेशन को यूजर के कानों तक पहुंचाता है। यूजर को आवाज सुनने के लिए किसी स्पीकर की जरूरत नहीं पड़ती साथ ही आसपास खड़े लोगों को भी बातें सुनाई नहीं देती है। बैंड का इस्तेमाल सुरक्षित पेमेंट सिस्टम के लिए भी किया जाता है।

यूजर को बताएगा कब-कब पानी पीना है

यूजर को यह बैंड अपने उस हाथ में पहनना होगा जिसे वह फोन की तरह इस्तेमाल करना चाहता है। यह बैंड वॉयस रिकॉग्नाइजेशन तकनीक को भी सपोर्ट करता है, इसके जरिए वे कॉलिंग भी कर सकेंगे।

वैज्ञानिकों का कहना है कि इस बैंड में न बटन है न स्क्रीन है। यूजर इसे आवाज और इशारों से कंट्रोल कर सकेंगे। चूंकि यह डिवाइस पूरी तरह से वाइब्रेशन पर काम करता है इसलिए आसपास खड़े लोग आपकी बातें भी नहीं सुन सकेंगे।

यह स्मार्टबैंड यूजर की हार्टबीट, कैलोरी को भी रिकॉर्ड करेगा साथ ही यह भी बताएगा कि पानी कब पीना है। इसके जरिए अन्य यूजर को कॉल, टेक्स्ट और नोटिफिकेशन भी भेजे जा सकते हैं।

2015 में शुरू की थी टेस्टिंग

डीड और गेट के को-फाउंडर एमिलियानो पारिनी का कहना है कि हमने 2015 से बोन कंडक्शन टेक्नोलॉजी को लेकर स्टडी और टेस्टिंग करना शुरू की थी और उन पहलुओं पर भी विशेष ध्यान दिया जो हमारे कॉम्पिटीटर्स ने अपने प्रोडक्ट में इस्तेमाल किया था। यह ओपन एपीआई पर काम करता है यानी इसे किसी भी डिवाइस के साथ कनेक्ट कर इस्तेमाल किया जा सकता है। गेट में किसी प्रकार के टच डिस्प्ले और बटन की जरूरत नहीं है यानी यूजर की बात और कंटेंट को कोई देख-सुन नहीं सकता।

इसकी बायोमैट्रिक फिंगरप्रिंट टेक्नोलॉजी की मदद से इसे सुरक्षित पेमेंट सिस्टम के तौर पर इस्तेमाल में लिया जा सकेगा। यह तेजी से चार्ज होता है। इसे बनाने में अल्ट्रालाइट, वॉटर रेजिस्टेंट और हाइटेक फेब्रिक का इस्तेमाल किया गया है।

पारिनी और उनकी टीम ने इसकी डिलीवरी मार्च 2020 तक शुरू करने का लक्ष्य रखा है। फिलहाल इस प्रोजेक्ट के लिए फंड जुटाया जा रहा है। इसकी कीमत शुरुआती लगभग 17 हजार रुपए होगी।

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