- भारत,
- 22-May-2025 06:30 AM IST
Rupee Fallen: एशिया के अधिकांश देशों की करेंसी में डॉलर के मुकाबले मजबूती देखने को मिल रही है, लेकिन भारत का रुपया दबाव में नजर आ रहा है। जानकारों के मुताबिक, इस गिरावट की मुख्य वजह मिडिल ईस्ट में जारी भू-राजनीतिक तनाव है, जिससे कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा हुआ है। इसके साथ ही डॉलर की बढ़ती मांग और विदेशी निवेशकों के निरंतर बहिर्गमन ने भी रुपए पर नकारात्मक असर डाला है।
कच्चे तेल और डॉलर की मांग बनी मुख्य चुनौती
बीते कुछ दिनों में खाड़ी देशों में तनाव के चलते ब्रेंट क्रूड की कीमतों में तेजी आई है, जिससे भारत जैसे आयात-निर्भर देश की मुद्रा पर दबाव बनना स्वाभाविक है। इंटरनेशनल मार्केट में ब्रेंट क्रूड ऑयल 1.04% की बढ़त के साथ 66.06 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है। इसके साथ ही आयातकों और विदेशी बैंकों की ओर से डॉलर की मांग में बढ़ोतरी ने स्थिति को और कठिन बना दिया है।
रुपया रहा सीमित दायरे में, लगातार दूसरे दिन गिरावट
बुधवार को इंटरबैंक फॉरेन करेंसी एक्सचेंज में रुपया 85.65 पर खुला। दिनभर के कारोबार में यह 85.53 के उच्च स्तर और 85.70 के निम्न स्तर तक गया। अंत में मामूली 1 पैसे की गिरावट के साथ 85.59 पर बंद हुआ। इससे एक दिन पहले मंगलवार को रुपया 16 पैसे टूटकर 85.58 पर बंद हुआ था। इस प्रकार दो दिनों में कुल 17 पैसे की गिरावट दर्ज की गई है।
विदेशी निवेश और अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड का प्रभाव
अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड में वृद्धि और विदेशी फंड्स की निरंतर निकासी से भी रुपये पर दबाव बढ़ा है। हालांकि, घरेलू शेयर बाजार की मजबूती और अमेरिकी डॉलर इंडेक्स में कमजोरी ने गिरावट को आंशिक रूप से संतुलित किया। बीएसई सेंसेक्स 410.19 अंक चढ़कर 81,596.63 पर बंद हुआ, वहीं निफ्टी 129.55 अंक की मजबूती के साथ 24,813.45 पर पहुंचा।
विशेषज्ञों की राय: आगे क्या?
मिराए एसेट शेयरखान के रिसर्च एनालिस्ट अनुज चौधरी का मानना है कि मिडिल ईस्ट की स्थिति और आयातकों की डॉलर मांग के चलते रुपया आने वाले दिनों में भी दबाव में रह सकता है। हालांकि, यदि ग्लोबल मार्केट में जोखिम लेने की प्रवृत्ति बढ़ती है और ट्रेड वॉर की आशंका कम होती है, तो यह भारतीय रुपए को कुछ समर्थन प्रदान कर सकता है। चौधरी का अनुमान है कि डॉलर के मुकाबले रुपया 85.40 से 86.00 के दायरे में रह सकता है।