Thailand vs Cambodia / कंबोडिया को मसल डालेगा थाईलैंड! हथियारों का जमा कर रखा खजाना

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा पर स्थित शिव मंदिर को लेकर गुरुवार को नया संघर्ष शुरू हुआ। कंबोडिया ने थाईलैंड के सैन्य ठिकानों पर हमला किया, जिसके जवाब में थाईलैंड ने 6 एफ-16 से पलटवार किया। 2008 से 2011 के बीच भी दोनों देशों में जंग हुई थी।

Thailand vs Cambodia: थाईलैंड और कंबोडिया के बीच एक बार फिर जंग के हालात पैदा हो गए हैं। गुरुवार को सीमा विवाद ने तूल पकड़ लिया जब कंबोडिया ने सीमा के पास स्थित एक प्राचीन शिव मंदिर के पास थाई सैन्य ठिकानों पर हमला कर दिया। इसके जवाब में थाईलैंड ने अमेरिका निर्मित 6 एफ-16 लड़ाकू विमानों से कंबोडिया पर जोरदार हमला बोला।

यह संघर्ष नया नहीं है—2008 से 2011 के बीच दोनों देशों के बीच इसी मुद्दे को लेकर खूनी संघर्ष हो चुका है। अंतरराष्ट्रीय राजनीति में थाईलैंड को अमेरिका का करीबी और कंबोडिया को चीन का समर्थन प्राप्त है। लेकिन इस बार चीन सतर्क दिखाई दे रहा है और सुलह की अपील कर रहा है।

हथियारों में थाईलैंड की जबरदस्त बढ़त

सैन्य ताकत की बात करें तो थाईलैंड कंबोडिया से कहीं आगे है। थाईलैंड के पास 72 लड़ाकू विमान हैं, जिनमें अत्याधुनिक एफ-16 भी शामिल हैं। वहीं कंबोडिया के पास एक भी लड़ाकू विमान नहीं है। हेलिकॉप्टरों की संख्या में भी थाईलैंड (258) कंबोडिया (21) से बहुत आगे है। बख्तरबंद वाहनों में थाईलैंड के पास 16,935 यूनिट्स हैं जबकि कंबोडिया के पास मात्र 3,627।

तोपखाने और स्वचालित हथियारों के मोर्चे पर भी थाईलैंड का पलड़ा भारी है। थाईलैंड के पास 589 टोड आर्टिलरी और 50 स्वचालित तोप हैं, जबकि कंबोडिया के पास क्रमश: 430 और 30। थाईलैंड के पास इजराइली रॉकेट लॉन्चर और शक्तिशाली ड्रोन भी हैं।

सैन्य और आर्थिक स्थिति में भी थाईलैंड मजबूत

जनसंख्या और सैनिकों के लिहाज से भी थाईलैंड आगे है। ग्लोबल फायर पावर के अनुसार, थाईलैंड के पास 3.6 लाख सक्रिय सैनिक हैं जबकि कंबोडिया के पास केवल 2.2 लाख। थाईलैंड के पास 2 लाख अतिरिक्त रिजर्व सैनिक भी हैं।

रक्षा बजट की बात करें तो थाईलैंड का वार्षिक रक्षा बजट 5 अरब डॉलर है, जबकि कंबोडिया का महज 84 करोड़ डॉलर। आर्थिक ताकत और क्रय शक्ति में भी थाईलैंड स्पष्ट रूप से आगे है।

विवाद की जड़: एक प्राचीन शिव मंदिर

इस संघर्ष की जड़ एक 9वीं सदी का शिव मंदिर है, जिसे खमेर सम्राट सूर्यवर्मन ने बनवाया था। यह मंदिर थाईलैंड-कंबोडिया सीमा पर स्थित है। 2008 में कंबोडिया ने इसे यूनेस्को विश्व धरोहर में अपने नाम से शामिल कराया, जिससे थाईलैंड भड़क उठा। थाईलैंड का दावा है कि यह मंदिर उसकी सीमा में आता है और कंबोडिया अवैध तरीके से इसे हड़पना चाहता है।

भविष्य की राह

अब तक इस विवाद में 42 लोगों की जान जा चुकी है। चीन ने दोनों देशों से सुलह की अपील की है, जबकि अमेरिका खुलकर थाईलैंड के समर्थन में है। अगर हालात नहीं सुधरे, तो यह टकराव बड़े क्षेत्रीय संकट का रूप ले सकता है। ऐसे में कूटनीति ही एकमात्र रास्ता है जिससे इस संघर्ष को रोका जा सकता है।