Rajasthan Crisis / ...तो विधानसभा में सीएम अशोक गहलोत के साथ नहीं बैठेंगे सचिन पायलट

News18 : Aug 14, 2020, 10:27 AM
जयपुर। कांग्रेस सरकार (Congress Govt।) में बगावत से उठे संकट के बाद फौरी तौर पर माहौल भले ही शांत हो गया है, लेकिन आज पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट (Sachin Pilot) को एक कड़वी हकीकत से सामना करना पड़ेगा। जानकारी के मुताबिक राजस्थान की राजनीति में बगावत के बाद उपमुख्यमंत्री के पद से हटाए जाने के बाद अब सचिन, विधानसभा में सीएम गहलोत (Ashok Gehlot) के साथ नहीं बैठेंगे। बताया जा रहा है कि पायलट के लिए निर्दलीय विधायक संजय लोढ़ा के बगल वाली सीट अलॉट की गयी है।

जानकारी के मुताबिक राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने विधानसभा में विधायकों के बैठने के लिए नियम जारी किये हैं। जिसमें सीएम अशोक गहलोत की बगल वाली सीट पर अब सचिन पायलट की जगह संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल बैठेंगे। चूंकि सचिन पायलट मंत्री नहीं हैं इस लिए उन्हें 127 नंबर की सीट दी गयी है, जोकि निर्दलीय विधायक संजय लोढ़ा के बगल में है।

विश्‍वास प्रस्‍ताव लाने की संभावना

बता दें कि विधानसभा सत्र की कार्रवाई सुबह 11 बजे शुरू होगी। इस दौरान अशोक गहलोत सरकार की ओर से विश्‍वास प्रस्‍ताव लाने की संभावना है। दूसरी तरफ, BJP भी कार्यवाही शुरू होते ही अविश्‍वास प्रस्‍ताव ला सकती है। ऐसे में स्‍पीकर डॉक्‍टर सीपी जोशी की भूमिका अहम हो जाएगी। वही तय करेंगे कि किसका प्रस्‍ताव स्‍वीकार किया जाएगा। बीजेपी (BJP) खुद अपने ही विधायकों की वफादारी परखेगी।

अविश्‍वास प्रस्‍ताव लाने का फैसला

बीजेपी पहले अविश्वास प्रस्ताव लाने से साफ इनकार कर रही थी, लेकिन गुरुवार को अचानक पार्टी विधायक दल की बैठक में अविश्‍वास प्रस्‍ताव लाने का फैसला लिया गया। इसके पीछे की कहानी कुछ और बताई जा रही है। बीजेपी अविश्वास प्रस्ताव के जरिये ये पता लगाने की कोशिश भी करेगी कि कहीं कोई विधायक अंदरखाने कांग्रेस के संपर्क में तो नहीं है।

सरकार कई मुद्दों पर जूझ रही

बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि सरकार कई मुद्दों पर जूझ रही है। उनके विश्वास प्रस्ताव लाने की उम्मीद है, लेकिन हम भी अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए तैयार हैं। नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि पार्टी ने पूरी तैयारी कर रखी है। उन्होंने कहा कि सरकार एक महीने से बाड़े में बंद है। प्रदेश में केंद्र सरकार की योजनाओं की अनदेखी की जा रही है। ये सरकार विरोधाभास की सरकार है।

SUBSCRIBE TO OUR NEWSLETTER