India TV : Aug 16, 2019, 04:19 PM
नई दिल्ली। वैज्ञानिकों ने पैंक्रियाटिक (अग्नाशय) कैंसर के इलाज की दिशा में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। वैज्ञानिकों ने इसकी नई दवा ईजाद की है और शुरुआती प्रयोगों में इसे काफी कारगर पाया गया है। रेडिएशन और कीमोथेरेपी के जरिये अग्नाशय के कैंसर का इलाज किया जाता है। दोनों ही तरीकों में कैंसर के डीएनए को नुकसान पहुंचाया जाता है। हालांकि अग्नाशय के कैंसर में इस नुकसान को सही करने की क्षमता भी होती है। इस कारण से इलाज का असर सीमित हो जाता है।अब वैज्ञानिकों ने पाया है कि दवा एजेडडी1775 की मदद से डीएनए की मरम्मत करने की कैंसर की क्षमता को खत्म किया जा सकता है। रेडिएशन और कीमोथेरेपी के साथ मरीजों को यह दवा देने से इलाज का असर बढ़ जाता है। आमतौर पर अग्नाशय के कैंसर का शिकार होने के बाद महज नौ प्रतिशत मरीज ही पांच साल से ज्यादा जीवित रह पाते हैं।पैंक्रियाटिक कैंसर का खतरापैंक्रियाटिक कैंसर बहुत ही गंभीर रोग है। यह कैंसर का ही एक प्रकार है। अग्नाशय में कैंसर युक्त कोशिकाओं के जन्म के कारण पैंक्रियाटिक कैंसर की शुरूआत होती है। यह अधिकतर 60 वर्ष से ऊपर की उम्र वाले लोगों में पाया जाता है। उम्र बढ़ने के साथ ही हमारे डीएनए में कैंसर पैदा करने वाले बदलाव होते हैं। इसी कारण 60 वर्ष या इससे ज्यादा उम्र के लोगों में पैंक्रियाटिक कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। इस कैंसर के होने की औसतन उम्र 72 साल है।धूम्रपान करने वालों में कैंसर का खतरा ज्यादामहिलाओं के मुकाबले पैंक्रियाटिक कैंसर के शिकार पुरुष ज्यादा होते हैं। पुरुषों के धूम्रपान करने के कारण इसके होने का ज्यादा खतरा रहता है। धूम्रपान करने वालों में अग्नाशय कैंसर के होने का खतरा दो से तीन गुने तक बढ़ जाता है। रेड मीट और चर्बी युक्त आहार का सेवन करने वालों को भी पैंक्रियाटिक कैंसर होने की आशंका बनी रहती है। कई अध्ययनों से यह भी साफ हुआ है कि फलों और सब्जियों के सेवन से इसके होने की आशंका कम होती है।पैंक्रियाटिक कैंसर के लक्षणइसे 'मूक कैंसर' भी कहा जाता है। इसे मूक कैंसर इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसके लक्षण छिपे हुए होते हैं और आसानी से नजर नहीं आते। फिर भी अग्नाशय कैंसर के कुछ लक्षण निम्नलिखित हैं।पेट के ऊपरी भाग में दर्द रहना
- कमजोरी महसूस होना और वजन का घटना
- भूख न लगना, जी मिचलाना और उल्टियां होना
- स्किन, आंख और यूरिन का कलर पीला हो जाना
- ज्यादा मोटापा भी पैनक्रीएटिक कैंसर का कारण हो सकता है
- अधिक धूम्रपान करने से अग्नाशय कैंसर का खतरा बना रहता है
- लंबे समय तक अग्नाशय में जलन भी इसका कारण हो सकती है
- रेड मीट और चर्बी युक्त भोजन का सेवन करने से पैनक्रीएटिक कैंसर होने का खतरा रहता है
- पीढ़ी दर पीढ़ी अग्नाशय की चली आ रही समस्या को भी अग्नाशय कैंसर का कारण माना जाता है
- कीटनाशक दवाईयों की फैक्ट्री या इससे संबंधित काम करने वालों को भी अग्नाशन कैंसर होने की आशंका रहती है