India-Pakistan War / आज भारत-पाकिस्तान सीजफायर का आखिरी दिन, आगे क्या होने वाला है?

भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम आज खत्म हो रहा है. 14 मई को हुई बातचीत में इसे 18 मई तक बढ़ाया गया था. सूत्रों के अनुसार, 19 मई को DGMO स्तर पर फिर बातचीत हो सकती है. इसका नतीजा तय करेगा कि सीजफायर आगे भी जारी रहेगा या नहीं.

India-Pakistan War: भारत और पाकिस्तान के बीच वर्षों से चला आ रहा तनाव एक बार फिर से चर्चा में है। इस बार वजह है सीमित अवधि के लिए घोषित संघर्ष विराम (सीजफायर), जिसकी अंतिम तिथि 18 मई तय की गई थी। 14 मई को दोनों देशों के सैन्य संचालन महानिदेशकों (DGMO) के बीच हॉटलाइन पर बातचीत हुई, जिसके बाद इस सीजफायर को 18 मई तक बढ़ाने पर सहमति बनी। लेकिन सवाल अब यह है कि 19 मई के बाद क्या होगा? क्या यह शांति कायम रह पाएगी या फिर नियंत्रण रेखा (LoC) पर फिर से गोलियों की आवाज सुनाई देगी?

लगातार बातचीत के दौर

सीजफायर की यह श्रृंखला 10 मई को शुरू हुई थी, जब पहली बार DGMO स्तर की बातचीत में 12 मई तक संघर्ष विराम का फैसला हुआ। इसके बाद 12 और 14 मई को क्रमशः बातचीत हुई और सीजफायर की अवधि 18 मई तक बढ़ाई गई। अब सूत्रों के हवाले से खबर है कि 19 मई को एक और DGMO बातचीत की संभावना है, जो आने वाले समय की दिशा तय कर सकती है।

पाकिस्तान का दोहरा रवैया?

पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री इशाक डार ने सीनेट में इस बातचीत की पुष्टि करते हुए भारत पर उकसावे का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि अगर सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) के विवाद का समाधान नहीं हुआ तो संघर्ष विराम समझौते को जारी रखना मुश्किल होगा। वहीं, पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने भारत के सिंधु जल संधि को सस्पेंड करने के कदम को “उकसावा” बताते हुए Act of War करार देने की चेतावनी तक दे डाली।

पाकिस्तान की मंशा क्या है?

पाकिस्तान का आंतरिक हाल बेहाल है—आर्थिक संकट, राजनीतिक अस्थिरता और वैश्विक मंच पर आतंकवाद को लेकर घिरता दबाव। ऐसे में सीजफायर की पेशकश एक रणनीतिक चाल के रूप में देखी जा रही है। युद्ध जैसी स्थिति में जाने की स्थिति में न तो पाकिस्तान की जनता तैयार है, न ही उसकी अर्थव्यवस्था। ऐसे में सीमित शांति का प्रस्ताव पाकिस्तान के लिए एक समय खरीदने की कोशिश मानी जा रही है।

भारत की स्थिति और रणनीति

भारत की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन यह स्पष्ट है कि भारत कूटनीतिक रूप से सतर्क और सैन्य रूप से तैयार है। भारत के लिए संघर्ष विराम कोई स्थायी समाधान नहीं बल्कि एक अस्थायी राहत है। भारत की प्राथमिकता आतंकवाद पर निर्णायक कार्रवाई और सीमा पार से घुसपैठ पर पूर्ण विराम है।