Donald Trump / जब तक मैं हूं, चीन ताइवान पर कार्रवाई नहीं करेगा: जिनपिंग को लेकर ट्रंप का बड़ा दावा

पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने उन्हें आश्वासन दिया था कि उनके कार्यकाल के दौरान चीन ताइवान पर कोई सैन्य कार्रवाई नहीं करेगा। ट्रंप के अनुसार, जिनपिंग परिणामों को जानते हैं, इसलिए ऐसा नहीं करेंगे। यह दावा ताइवान के खिलाफ चीन के सैन्य बल के उपयोग की अमेरिकी चिंताओं के बीच आया है।

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बड़ा दावा करते हुए कहा है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से आश्वासन दिया था कि जब तक वह अमेरिका के राष्ट्रपति पद पर हैं, चीन ताइवान के खिलाफ कोई सैन्य कार्रवाई नहीं करेगा। ट्रंप के इस बयान ने अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और भू-राजनीतिक समीकरणों में एक नई बहस छेड़ दी है, खासकर ऐसे समय में जब अमेरिकी अधिकारी लंबे समय से चीन द्वारा ताइवान के खिलाफ सैन्य बल के संभावित उपयोग को लेकर चिंतित हैं।

ट्रंप का अभूतपूर्व दावा

डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार को एक साक्षात्कार में यह सनसनीखेज दावा किया और उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि शी जिनपिंग और उनके सहयोगियों ने बैठकों के दौरान खुले तौर पर यह बात कही है कि 'आपके राष्ट्रपति रहते हुए हम कभी कुछ नहीं करेंगे, क्योंकि वे इसके परिणाम जानते हैं। ' यह बयान चीन की ताइवान नीति पर एक महत्वपूर्ण मोड़। का संकेत दे सकता है, यदि यह सच साबित होता है। ट्रंप के अनुसार, यह आश्वासन उनकी और जिनपिंग के बीच हुई कई चर्चाओं का हिस्सा था, जिसमें चीन के शीर्ष नेतृत्व ने अमेरिका के साथ संबंधों की संवेदनशीलता को समझा।

अमेरिका-चीन-ताइवान संबंधों का संदर्भ

ताइवान एक स्व-शासित द्वीपीय लोकतंत्र है जिसे बीजिंग अपना अभिन्न अंग मानता है और मुख्य भूमि। चीन के साथ उसके 'पुनर्मिलन' की बात करता है, जिसमें बल प्रयोग का विकल्प भी शामिल है। अमेरिकी अधिकारी दशकों से इस बात को लेकर चिंतित हैं कि चीन ताइवान के खिलाफ सैन्य बल का इस्तेमाल कर सकता है, जिससे प्रशांत क्षेत्र में एक बड़ा संघर्ष छिड़ सकता है। ट्रंप का दावा इन चिंताओं के बीच आया है और यह। दर्शाता है कि ताइवान का मुद्दा अमेरिका-चीन संबंधों में कितना केंद्रीय है। यह दावा ऐसे समय में आया है जब वैश्विक स्तर पर चीन की बढ़ती सैन्य। शक्ति और ताइवान जलडमरूमध्य में उसकी मुखरता एक प्रमुख चिंता का विषय बनी हुई है।

हालिया राजनयिक मुलाकातें

ट्रंप ने बताया कि गुरुवार को दक्षिण कोरिया में शी जिनपिंग के साथ उनकी हालिया बातचीत में ताइवान का लंबे समय से विवादास्पद मुद्दा नहीं उठा और यह बैठक मुख्यतः अमेरिका-चीन व्यापार तनाव पर केंद्रित थी, जो दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों का एक महत्वपूर्ण पहलू है। हालांकि, अमेरिकी नेता ने इस बात पर निश्चितता व्यक्त की कि उनके पद पर रहते हुए चीन ताइवान पर कोई कार्रवाई नहीं करेगा। यह दर्शाता है कि भले ही हाल की बैठक में ताइवान पर सीधे चर्चा न हुई हो, ट्रंप का मानना है कि जिनपिंग ने पहले ही इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी थी। यह भी संभव है कि ट्रंप ने इस मुद्दे को व्यापार वार्ता। से अलग रखा हो ताकि बातचीत का मुख्य एजेंडा प्रभावित न हो।

ट्रंप की सीधी चेतावनी और संभावित परिणाम

रविवार को दिए गए साक्षात्कार में, ट्रंप ने जिनपिंग को एक स्पष्ट चेतावनी भी दी और उन्होंने कहा, 'अगर ऐसा होता है तो आपको पता चल जाएगा, और वह इसका जवाब समझते हैं। ' यह बयान चीन को एक मजबूत संदेश देने का प्रयास प्रतीत होता है कि ताइवान पर किसी भी सैन्य कार्रवाई के गंभीर परिणाम होंगे, जिसके लिए अमेरिका तैयार है। ट्रंप के अनुसार, जिनपिंग 'परिणामों' को समझते हैं, जो संभवतः अमेरिकी सैन्य प्रतिक्रिया या आर्थिक प्रतिबंधों की ओर इशारा करता है। यह धमकी अमेरिकी विदेश नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देती है, जहां रणनीतिक अस्पष्टता की पारंपरिक नीति के बजाय एक अधिक प्रत्यक्ष और मुखर दृष्टिकोण अपनाया जा रहा है।

1979 का ताइवान संबंध अधिनियम

ताइवान के साथ अमेरिकी संबंधों को नियंत्रित करने वाला 1979 का ताइवान संबंध अधिनियम, चीन के आक्रमण की स्थिति में अमेरिका को सैन्य हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं रखता है। हालांकि, यह सुनिश्चित करता है कि ताइवान के पास अपनी रक्षा के लिए पर्याप्त संसाधन हों और बीजिंग की तरफ से किसी भी एकतरफा बदलाव को रोका जा सके। यह अधिनियम अमेरिका की 'एक चीन' नीति के तहत ताइवान के साथ अनौपचारिक संबंधों को बनाए रखने का आधार है। यह ताइवान को आत्मरक्षा के लिए हथियार बेचने की अनुमति देता है, लेकिन यह स्पष्ट रूप से यह नहीं कहता कि अमेरिका ताइवान की रक्षा के लिए सीधे सैन्य हस्तक्षेप करेगा। यह अधिनियम ताइवान की सुरक्षा के प्रति अमेरिका की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, लेकिन साथ ही चीन के साथ सीधे टकराव से बचने की कोशिश भी करता है।

रणनीतिक अस्पष्टता: एक दीर्घकालिक नीति

यह पूछे जाने पर कि क्या चीन के आक्रमण की स्थिति में वह अमेरिकी सेना को ताइवान की रक्षा करने का आदेश देंगे, ट्रंप ने इस पर आपत्ति जताई। अमेरिका, रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक, दोनों प्रशासनों ने ताइवान के संबंध में रणनीतिक अस्पष्टता की नीति अपनाई है। इस नीति का अर्थ है कि अमेरिका यह स्पष्ट रूप से संकेत नहीं देता है कि ऐसी स्थिति में वह द्वीप की सहायता के लिए आगे आएगा या नहीं और यह नीति बीजिंग को ताइवान पर हमला करने से रोकने और ताइवान को स्वतंत्रता की घोषणा करने से रोकने के लिए डिज़ाइन की गई है, जो चीन को उकसा सकती है। ट्रंप की 'आपत्ति' इस दीर्घकालिक नीति के अनुरूप है, जो अमेरिका। को अपनी प्रतिक्रिया में लचीलापन बनाए रखने की अनुमति देती है।

आधिकारिक पुष्टि का अभाव

ट्रंप के इन दावों पर वाशिंगटन स्थित चीनी दूतावास ने तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की है। इसी तरह, व्हाइट हाउस ने भी इस बारे में कोई और जानकारी नहीं दी कि जिनपिंग या चीनी अधिकारियों ने ट्रंप को कब बताया कि रिपब्लिकन के राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान ताइवान पर सैन्य कार्रवाई संभव नहीं है। इस आधिकारिक पुष्टि की कमी से ट्रंप के दावों की सत्यता पर सवाल उठते हैं, हालांकि यह कूटनीतिक चुप्पी का एक सामान्य हिस्सा भी हो सकता है। यह स्थिति अंतरराष्ट्रीय समुदाय में अनिश्चितता को बढ़ाती है और भविष्य। में अमेरिका-चीन-ताइवान संबंधों की दिशा पर अटकलों को जन्म देती है।