Zee News : Apr 15, 2020, 09:16 AM
नई दिल्ली: कोरोना वायरस (coronavirus) से त्रस्त अमेरिका ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को दिए जाने वाले अंशदान पर रोक लगाने का फैसला किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा करते हुए कहा कि उनका देश अब WHO को तब तक फंड नहीं देगा जब तक इस महामारी के बारे में संगठन के कुप्रबंधन और सही समय पर सही जानकारी नहीं उपलब्ध कराने के मामले की जांच नहीं हो जाती। ट्रंप इससे पहले भी आरोप लगाते रहे हैं कि WHO ने चीन के वुहान से फैली इस महामारी के बारे में दुनिया को सही समय पर सटीक जानकारी नहीं दी। संगठन ने चीन का पक्ष भी लिया।
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि मैंने अपने प्रशासन को WHO की फंडिंग रोकने का आदेश दिया है। हम वैश्विक स्वास्थ्य के मसलों पर दूसरों के साथ सीधेतौर पर मिलकर काम करेंगे। हमने अभी तक जो भी सहायता दी है, उसके बारे में गहनता से विचार-विमर्श करेंगे।
कोरोना महामारी फैलने के बाद से ही डोनाल्ड ट्रंप सार्वजनिक रूप से WHO के खिलाफ मुखर रहे हैं। इससे पहले भी संगठन की आलोचना करते हुए कहा था कि कोरोना के खतरों के बारे में WHO को पहले से ही पता था लेकिन उसके बावजूद उसने तात्कालिक रूप से इसको रोकने की दिशा में एक्शन नहीं लिए। लिहाजा WHO अपने बुनियादी मकसद को पूरा करने में विफल रहा और इसको जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।
ट्रंप ने ये भी आरोप लगाया था कि वुहान में जब ये महामारी फैली तो WHO को वहां अपने मेडिकल एक्सपर्ट भेजकर जमीनी स्तर पर स्थिति का वास्तविक आकलन करना चाहिए था और चीन ने जिस तरह इसको छुपाया, उसको उजागर करना चाहिए था। यदि ऐसा होता तो महामारी का संक्रमण इस तरह नहीं फैलता और हजारों जिंदगियां बच जातीं एवं वैश्विक आर्थिक नुकसान भी नहीं होता। इसके बावजूद WHO बस चीन की बात मानता रहा और वहां की सरकार के उठाए गए कदमों के बारे में बताता रहा। WHO एक वैश्विक स्वास्थ्य बॉडी है। अमेरिका अभी तक इसमें सबसे अधिक फंड देता था। 2019 में उसने करीब 400 मिलियन डॉलर को संगठन को दिया था जोकि इसके कुल बजट का 15 प्रतिशत है।
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि मैंने अपने प्रशासन को WHO की फंडिंग रोकने का आदेश दिया है। हम वैश्विक स्वास्थ्य के मसलों पर दूसरों के साथ सीधेतौर पर मिलकर काम करेंगे। हमने अभी तक जो भी सहायता दी है, उसके बारे में गहनता से विचार-विमर्श करेंगे।
कोरोना महामारी फैलने के बाद से ही डोनाल्ड ट्रंप सार्वजनिक रूप से WHO के खिलाफ मुखर रहे हैं। इससे पहले भी संगठन की आलोचना करते हुए कहा था कि कोरोना के खतरों के बारे में WHO को पहले से ही पता था लेकिन उसके बावजूद उसने तात्कालिक रूप से इसको रोकने की दिशा में एक्शन नहीं लिए। लिहाजा WHO अपने बुनियादी मकसद को पूरा करने में विफल रहा और इसको जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।
ट्रंप ने ये भी आरोप लगाया था कि वुहान में जब ये महामारी फैली तो WHO को वहां अपने मेडिकल एक्सपर्ट भेजकर जमीनी स्तर पर स्थिति का वास्तविक आकलन करना चाहिए था और चीन ने जिस तरह इसको छुपाया, उसको उजागर करना चाहिए था। यदि ऐसा होता तो महामारी का संक्रमण इस तरह नहीं फैलता और हजारों जिंदगियां बच जातीं एवं वैश्विक आर्थिक नुकसान भी नहीं होता। इसके बावजूद WHO बस चीन की बात मानता रहा और वहां की सरकार के उठाए गए कदमों के बारे में बताता रहा। WHO एक वैश्विक स्वास्थ्य बॉडी है। अमेरिका अभी तक इसमें सबसे अधिक फंड देता था। 2019 में उसने करीब 400 मिलियन डॉलर को संगठन को दिया था जोकि इसके कुल बजट का 15 प्रतिशत है।