AajTak : Sep 01, 2020, 04:30 PM
Delhi: कोरोना वायरस की महामारी के बीच अप्रैल से जून की पहली तिमाही में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 23.9 फीसदी की ऐतिहासिक गिरावट आई है। कोरोना संकट की वजह से जीडीपी में गिरावट की आशंका कई विश्लेषकों ने जताई थी लेकिन सोमवार को जो आंकड़ा आया, वो उससे भी ज्यादा था। हालांकि, अर्थव्यवस्था की हालत पहले से ही संकटग्रस्त थी लेकिन कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लगाया गया देशव्यापी लॉकडउन और विनाशकारी साबित हुआ।
कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए लगाए गए लॉकडाउन की वजह से मांग और निवेश में भारी कमी आई। भारत ने साल 1996 से हर तीन महीने पर जीडीपी का डेटा जारी करना शुरू किया था। उसके बाद से यह अब तक की सबसे बुरी स्थिति है। भारत दुनिया की छठवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 5 ट्रिलियन डॉलर का हो जाए।हालांकि, पहली तिमाही के आंकड़े काफी निराश करने वाले हैं। अप्रैल-जून तिमाही में भारत की जीडीपी में 23।9 फीसदी की रिकॉर्ड गिरावट आई है। अभी भारत को माइनस 24 से शून्य तक आने में ही लंबा वक्त लग सकता है। उसके बाद शून्य से ऊपर उठना भी आसान नहीं होगा। सख्त लॉकडाउन का भी असरफाइनेंशियल टाइम्स से बातचीत में ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स में इंडिया ऐंड साउथ ईस्ट एशिया इकोनॉमिक्स की प्रमुख प्रियंका किशोर ने कहा है, "भारत की जीडीपी में अनुमान से कहीं ज्यादा गिरावट दर्ज हुई है। इससे कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए लगाए गए सख्त लॉकडाउन की कीमत का अंदाजा लगाया जा सकता है। लॉकडाउन में रातोरात कारोबार बंद कर दिए गए और इससे 14 करोड़ लोगों की नौकरी चली गई।उन्होंने कहा, "हम ये बात लंबे वक्त से कह रहे हैं कि भारत का लॉकडाउन सबसे सख्त था और इसकी बहुत भारी आर्थिक कीमत चुकानी पड़ी। जीडीपी का डेटा इस भारी कीमत की पुष्टि भी करता है।"भारत ने कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत में सख्त लॉकडाउन लगाया। हालांकि, अब जब भारत में प्रतिदिन 70,000 से ऊपर केस आ रहे हैं तो लॉकडाउन लगभग हट चुका है। जानकारों का कहना है कि मैन्युफैक्चरिंग, निर्माण, व्यापार, होटल, ट्रांसपोर्ट, संचार आदि सेक्टर देश की जीडीपी में करीब 45 फीसदी का योगदान रखते हैं और पहली तिमाही में इन सभी सेक्टर के कारोबार पर काफी बुरा असर पड़ा है।रेटिंग एजेंसी इकरा ICRA ने जीडीपी में 25 फीसदी की गिरावट का अनुमान लगाया था। इसी तरह इंडिया रेटिंग्स ने जीडीपी में करीब 17 फीसदी की गिरावट का अनुमान लगाया था। भारतीय स्टेट बैंक के ग्रुप इकोनॉमिक एडवाइजर सौम्य कांति घोष ने जीडीपी में 16।5 फीसदी की गिरावट का अनुमान लगाया था। चीन की जीडीपी प्लस मेंभारत के पड़ोसी देश चीन की बात करें तो यहीं से कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत हुई थी। लेकिन चीन अब इस महामारी के साथ-साथ आर्थिक संकट से भी उबरता नजर आ रहा है। चीन ही एक ऐसा बड़ा देश है जिसकी जीडीपी ग्रोथ प्लस में है।अमेरिका, जापान समेत तमाम देशों की जीडीपी ग्रोथ माइनस में है। कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत में यानी इस साल की पहली तिमाही में चीन की जीडीपी में भी 6।8 फीसदी की गिरावट देखने को मिली।साल 1992 के बाद से पहली बार ऐसा हुआ था कि चीन की जीडीपी में गिरावट दर्ज की गई थी। हालांकि, पहली तिमाही में लड़खड़ाने के बाद चीन ने खुद को संभाल लिया और दूसरी तिमाही में जीडीपी में 3।2 फीसदी की ग्रोथ दर्ज कराई। चीन की अर्थव्यवस्था में रिकवरी के और भी कई संकेत दिख रहे हैं। जून महीने में चीन के मैन्यफैक्चरिंग सेक्टर में तेजी आई है और उसका आयात और निर्यात भी बढ़ा है।अर्थशास्त्रियों का कहना है कि चीन ने दूसरे देशों के मुकाबले लॉकडाउन के नियमों में जल्दी ढील देना शुरू कर दिया था। चीन ने सिर्फ वुहान में ही पूरी तरह से लॉकडाउन लगाया था जबकि ज्यादातर इलाकों में आर्थिक गतिविधियां चल रही थीं। जब पूरी दुनिया लॉकडाउन की तरफ बढ़ रही थी तो चीनी निर्यात को वैश्विक बाजार में ज्यादा मौके मिले।एशिया की अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की बात करें तो भारत की स्थिति सबसे खराब दिखती है।
अमेरिकाअमेरिका में कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा तबाही हुई है और इस महामारी की चपेट में उसकी अर्थव्यवस्था भी आई है। अमेरिका की जीडीपी में पिछले साल इसी अवधि के मुकाबले साल 2020 की दूसरी तिमाही (अप्रैल-जून) में 9।1 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है। अमेरिकी जीडीपी में 1947 के बाद से ये किसी तिमाही में सबसे बड़ी गिरावट है। कोरोना वायरस की महामारी से पहले अमेरिका की आर्थिक वृद्धि दर जी-7 देशों में सबसे ज्यादा थी।
यूकेसाल 2020 की दूसरी तिमाही में ब्रिटेन की जीडीपी में 21।7 फीसदी की गिरावट आई। ये ब्रिटेन की जीडीपी में लगातार दूसरी तिमाही में गिरावट है। कोरोना महामारी की वजह से यहां भी सेवा, उत्पादन और निर्माण क्षेत्र सुस्त पड़े रहे।
इटली
फ्रांसफ्रांस की जीडीपी में अप्रैल-जून महीने की तिमाही में रिकॉर्ड 18।9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।
कनाडाअप्रैल-जून महीने की पहली तिमाही में कनाडा की जीडीपी में 13 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। यहां भी कोविड-19 की वजह से उपभोक्ता व्यय, निवेश, आयात और निर्यात में कमी जैसी वजहें रहीं।
जर्मनीइस साल की दूसरी तिमाही में पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले जर्मनी की जीडीपी में 11।3 फीसदी की गिरावट रही। जब से जर्मनी ने तिमाही जीडीपी का डेटा जारी करना शुरू किया है, उसके बाद से लेकर अब तक की ये सबसे बड़ी गिरावट रही है।
जापानसाल 2020 की अप्रैल-जून तिमाही में जापान की अर्थव्यवस्था में भी रिकॉर्ड 9।9 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है।
कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए लगाए गए लॉकडाउन की वजह से मांग और निवेश में भारी कमी आई। भारत ने साल 1996 से हर तीन महीने पर जीडीपी का डेटा जारी करना शुरू किया था। उसके बाद से यह अब तक की सबसे बुरी स्थिति है। भारत दुनिया की छठवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 5 ट्रिलियन डॉलर का हो जाए।हालांकि, पहली तिमाही के आंकड़े काफी निराश करने वाले हैं। अप्रैल-जून तिमाही में भारत की जीडीपी में 23।9 फीसदी की रिकॉर्ड गिरावट आई है। अभी भारत को माइनस 24 से शून्य तक आने में ही लंबा वक्त लग सकता है। उसके बाद शून्य से ऊपर उठना भी आसान नहीं होगा। सख्त लॉकडाउन का भी असरफाइनेंशियल टाइम्स से बातचीत में ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स में इंडिया ऐंड साउथ ईस्ट एशिया इकोनॉमिक्स की प्रमुख प्रियंका किशोर ने कहा है, "भारत की जीडीपी में अनुमान से कहीं ज्यादा गिरावट दर्ज हुई है। इससे कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए लगाए गए सख्त लॉकडाउन की कीमत का अंदाजा लगाया जा सकता है। लॉकडाउन में रातोरात कारोबार बंद कर दिए गए और इससे 14 करोड़ लोगों की नौकरी चली गई।उन्होंने कहा, "हम ये बात लंबे वक्त से कह रहे हैं कि भारत का लॉकडाउन सबसे सख्त था और इसकी बहुत भारी आर्थिक कीमत चुकानी पड़ी। जीडीपी का डेटा इस भारी कीमत की पुष्टि भी करता है।"भारत ने कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत में सख्त लॉकडाउन लगाया। हालांकि, अब जब भारत में प्रतिदिन 70,000 से ऊपर केस आ रहे हैं तो लॉकडाउन लगभग हट चुका है। जानकारों का कहना है कि मैन्युफैक्चरिंग, निर्माण, व्यापार, होटल, ट्रांसपोर्ट, संचार आदि सेक्टर देश की जीडीपी में करीब 45 फीसदी का योगदान रखते हैं और पहली तिमाही में इन सभी सेक्टर के कारोबार पर काफी बुरा असर पड़ा है।रेटिंग एजेंसी इकरा ICRA ने जीडीपी में 25 फीसदी की गिरावट का अनुमान लगाया था। इसी तरह इंडिया रेटिंग्स ने जीडीपी में करीब 17 फीसदी की गिरावट का अनुमान लगाया था। भारतीय स्टेट बैंक के ग्रुप इकोनॉमिक एडवाइजर सौम्य कांति घोष ने जीडीपी में 16।5 फीसदी की गिरावट का अनुमान लगाया था। चीन की जीडीपी प्लस मेंभारत के पड़ोसी देश चीन की बात करें तो यहीं से कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत हुई थी। लेकिन चीन अब इस महामारी के साथ-साथ आर्थिक संकट से भी उबरता नजर आ रहा है। चीन ही एक ऐसा बड़ा देश है जिसकी जीडीपी ग्रोथ प्लस में है।अमेरिका, जापान समेत तमाम देशों की जीडीपी ग्रोथ माइनस में है। कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत में यानी इस साल की पहली तिमाही में चीन की जीडीपी में भी 6।8 फीसदी की गिरावट देखने को मिली।साल 1992 के बाद से पहली बार ऐसा हुआ था कि चीन की जीडीपी में गिरावट दर्ज की गई थी। हालांकि, पहली तिमाही में लड़खड़ाने के बाद चीन ने खुद को संभाल लिया और दूसरी तिमाही में जीडीपी में 3।2 फीसदी की ग्रोथ दर्ज कराई। चीन की अर्थव्यवस्था में रिकवरी के और भी कई संकेत दिख रहे हैं। जून महीने में चीन के मैन्यफैक्चरिंग सेक्टर में तेजी आई है और उसका आयात और निर्यात भी बढ़ा है।अर्थशास्त्रियों का कहना है कि चीन ने दूसरे देशों के मुकाबले लॉकडाउन के नियमों में जल्दी ढील देना शुरू कर दिया था। चीन ने सिर्फ वुहान में ही पूरी तरह से लॉकडाउन लगाया था जबकि ज्यादातर इलाकों में आर्थिक गतिविधियां चल रही थीं। जब पूरी दुनिया लॉकडाउन की तरफ बढ़ रही थी तो चीनी निर्यात को वैश्विक बाजार में ज्यादा मौके मिले।एशिया की अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की बात करें तो भारत की स्थिति सबसे खराब दिखती है।
अमेरिकाअमेरिका में कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा तबाही हुई है और इस महामारी की चपेट में उसकी अर्थव्यवस्था भी आई है। अमेरिका की जीडीपी में पिछले साल इसी अवधि के मुकाबले साल 2020 की दूसरी तिमाही (अप्रैल-जून) में 9।1 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है। अमेरिकी जीडीपी में 1947 के बाद से ये किसी तिमाही में सबसे बड़ी गिरावट है। कोरोना वायरस की महामारी से पहले अमेरिका की आर्थिक वृद्धि दर जी-7 देशों में सबसे ज्यादा थी।
यूकेसाल 2020 की दूसरी तिमाही में ब्रिटेन की जीडीपी में 21।7 फीसदी की गिरावट आई। ये ब्रिटेन की जीडीपी में लगातार दूसरी तिमाही में गिरावट है। कोरोना महामारी की वजह से यहां भी सेवा, उत्पादन और निर्माण क्षेत्र सुस्त पड़े रहे।
इटली
Indian economy contracted by 23.9% in Q1FY21. It was already in its worst phase even before the #coronavirus outbreak, with GDP growth falling to a 44-quarter low of 3.09 per cent in Q4FY20 pic.twitter.com/w6vJDM5Z60
— Business Today (@BT_India) August 31, 2020
इटली की जीडीपी में अप्रैल-जून तिमाही में 17।7 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। साल 1995 की पहली तिमाही के बाद से ये सबसे बड़ी गिरावट है। जीडीपी के आंकड़े जारी करने वाली इटली की सरकारी एजेंसी ने कहा, पहली तिमाही में 5।4 फीसदी की गिरावट दर्ज होने के बाद दूसरी तिमाही में अप्रत्याशित नुकसान हुआ है।। इसके पीछे कोविड-10 की हेल्थ इमरजेंसी है।Revised with latest data: April-June 2020 GDP growth over April-June 2019 for major economies in the world#GDPGrowth #GDP2020 #IndianEconomy pic.twitter.com/sl0Fv4luwX
— Business Today (@BT_India) September 1, 2020
फ्रांसफ्रांस की जीडीपी में अप्रैल-जून महीने की तिमाही में रिकॉर्ड 18।9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।
कनाडाअप्रैल-जून महीने की पहली तिमाही में कनाडा की जीडीपी में 13 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। यहां भी कोविड-19 की वजह से उपभोक्ता व्यय, निवेश, आयात और निर्यात में कमी जैसी वजहें रहीं।
जर्मनीइस साल की दूसरी तिमाही में पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले जर्मनी की जीडीपी में 11।3 फीसदी की गिरावट रही। जब से जर्मनी ने तिमाही जीडीपी का डेटा जारी करना शुरू किया है, उसके बाद से लेकर अब तक की ये सबसे बड़ी गिरावट रही है।
जापानसाल 2020 की अप्रैल-जून तिमाही में जापान की अर्थव्यवस्था में भी रिकॉर्ड 9।9 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है।