Shardiya Navratri 2023 / नवमी के दिन कन्या पूजन क्यों किया जाता है, जानें सही विधि और नियम

Zoom News : Oct 23, 2023, 06:58 AM
Shardiya Navratri 2023: आज शारदीय नवरात्रि का आखिरी दिन यानि नवमी तिथि है. इसे महानवमी के नाम से भी जाना जाता है. नवमी के अगले दिन विजयादशमी को नवरात्रि का समापन हो जाएगा. महाअष्टमी की तरह ही महानवमी का भी खास महत्व होता है. इस दिन मां के नौवें अवतार देवी सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. इसके अलावा कई लोग नवमी तिथि को कन्या पूजन भी करते हैं. अगर आप भी आज यानी नवमी को कन्या पूजन करने वाले हैं तो आइए जानते हैं क्या है इसकी सही विधि. साथ ही जानते हैं कि नवरात्रि में नवमी तिथि खास क्यों मानी जाती है.

दरअसल मान्यता है कि मां दुर्गा ने महानवमी के दिन ही महिषासुर नाम के राक्षस का वध किया था. इसलिए मां का एक नाम महिषासुरमर्दिनी भी है. नवमी के दिन महिषासुर का वध करने के कारण इस दिन को महानवमी कहा जाता है. इस साल शारदीय नवरात्रि में महानवमी तिथि 22 अक्टूबर को रात 7.58 बजे शुरू हो गई है और आज यानि 23 अक्टूबर शाम 5.44 बजे तक रहेगी.

कन्या पूजन से प्रसन्न होती हैं मां दुर्गा

कन्या पूजन के बगैर नवरात्रि का पर्व अधूरा माना जाता है. इस दौरान मां दुर्गा के 9 स्वरूपों के प्रतीक के रूप में 9 कन्याओं और दो बालकों को घर बुलाया जाता है और उन्हें प्रेम भाव से भोजन कराया जाता है. मान्यता है कि इससे मां दुर्गा प्रसन्न होती है और भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करती हैं. कई लोग अष्टमी को तो कई नवमी के दिन कन्या पूजन करते हैं. इससे धन का भंडार हमेशा भरा रहता है और माता रानी की विशेष कृपा प्राप्त होती है.

क्या हैं नियम?

कन्या पूजन में 9 कन्याओं का होना जरूरी माना जाता है. इसी के साथ 2 बालक भी बुलाए जाते हैं. दरअसल मान्यता है कि बालकों के बिना कन्या पूजन अधूरी रहती है. 9 कन्याएं जहां मां दुर्गा के 9 स्वरूप मानी जाती हैं तो वहीं एक बाल बालक भैरव बाबा और दूसरा बालक भगवान गणेश के रूप में पूजा जाता है. इस दौरान भगवान गणेश की पूजा इसलिए की जाती है क्योंकि भगवान गणेश प्रथम पूज्य देव है और किसी भी शुभ काम से पहले उनकी पूजा की जाती है. वहीं भैरव बाबा को मां दुर्गा का पहरेदार माना जाता है.

कैसे करें कन्या पूजन?

2-10 साल की 9 कन्याओं और दो बालकों को घर बुलाएं. इसके बाद उनके पैर धोकर कुमकुम अक्षत लगाएं और बालिकाओं को चुनरी ओढ़ाएं. इसके बाद सभी को प्रेम भाव से भोजन कराने के बाद सामर्थ्य अनुसार उपहार दें और आखिर में उनके पैर छूकर आशीर्वाद लें और उन्हें विदा करें.

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