- भारत,
- 30-Sep-2025 07:20 AM IST
Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि, माता रानी के नौ स्वरूपों को समर्पित एक पवित्र पर्व, अपने समापन की ओर बढ़ रहा है। नवरात्रि का आठवां दिन, जिसे महाअष्टमी के नाम से जाना जाता है, विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। इस वर्ष 30 सितंबर, मंगलवार को यह पावन दिन मनाया जाएगा। इस दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप, मां महागौरी की पूजा-अर्चना की जाती है और कन्या पूजन का भी विशेष आयोजन होता है।
मां महागौरी का स्वरूप और महत्व
मां महागौरी, जिनका नाम "महा" (महान) और "गौरी" (शुद्ध और उज्ज्वल) से मिलकर बना है, शांति, पवित्रता और सौंदर्य की प्रतीक हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां महागौरी अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं और उनके जीवन में सौभाग्य, सुख और समृद्धि लाती हैं। इनका स्वरूप अत्यंत शांत और सौम्य है, और इन्हें सफेद वस्त्रों में सुशोभित माना जाता है।
महाअष्टमी पर मां महागौरी को क्या भोग लगाएं?
नवरात्रि की अष्टमी पर मां महागौरी को विशेष भोग अर्पित करने की परंपरा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां महागौरी को नारियल अत्यंत प्रिय है। इस दिन निम्नलिखित भोग लगाने से माता प्रसन्न होती हैं और भक्तों को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है:
नारियल और नारियल की मिठाई:
मां महागौरी को नारियल या नारियल से बनी मिठाइयां, जैसे नारियल की बर्फी या लड्डू, अर्पित करें। मान्यता है कि नारियल चढ़ाने से सौभाग्य और सुख की प्राप्ति होती है।
हलवा, काले चने और पूड़ी:
अष्टमी के दिन मां महागौरी को हलवा, काले चने और पूड़ी का भोग लगाने की भी परंपरा है। यह भोग माता को अत्यंत प्रिय है और इसे चढ़ाने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
पान का बीड़ा:
मां महागौरी को पान का बीड़ा भी अर्पित किया जा सकता है। इस बीड़े में कत्था, गुलकंद, सौंफ, खोपरे का बूरा और लौंग का जोड़ा होना चाहिए। ध्यान रहे, इसमें सुपारी और चूना नहीं डालना चाहिए।
मां महागौरी को प्रिय वस्तुएं
सफेद वस्त्र: मां महागौरी को सफेद रंग के वस्त्र अर्पित करने से माता प्रसन्न होती हैं।
रात की रानी का फूल: यह फूल मां महागौरी को विशेष रूप से प्रिय है। पूजा के दौरान इसे अर्पित करना शुभ माना जाता है।
महाअष्टमी पूजा का महत्व
महाअष्टमी के दिन मां महागौरी की पूजा करने से भक्तों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। कन्या पूजन भी इस दिन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें नौ कन्याओं को माता के स्वरूप के रूप में पूजा जाता है। यह दिन भक्तों के लिए अपनी भक्ति और श्रद्धा को मां के चरणों में समर्पित करने का विशेष अवसर होता है।
