Navratri 2025 / नवरात्रि की समाप्ति पर कब किया जाएगा कलश विसर्जन? जान लें तिथि, मुहूर्त और विधि

शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर 2025 से शुरू हुई थी और 2 अक्टूबर को कलश विसर्जन के साथ समाप्त होगी। दशमी तिथि पर सुबह 5:17 से 6:29 और अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:04 से 12:51 तक शुभ समय रहेगा। विधि अनुसार नारियल, जल और कलश विसर्जित किए जाएंगे।

Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि, जो 22 सितंबर 2025 से शुरू हुई थी, माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा का पावन पर्व है। इन नौ दिनों में भक्त माता की कृपा प्राप्त करने के लिए कलश स्थापना करते हैं, व्रत रखते हैं और श्रद्धापूर्वक पूजा-अर्चना करते हैं। नवरात्रि की समाप्ति पर कलश विसर्जन और माता दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। आइए जानते हैं कि शारदीय नवरात्रि 2025 में कलश विसर्जन कब होगा, इसकी विधि क्या है और शुभ मुहूर्त कौन से हैं।

कलश विसर्जन कब किया जाएगा?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कलश विसर्जन आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को किया जाता है। इस दिन वे भक्त जो अपने घरों में माता दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करते हैं, वह भी प्रतिमा का विसर्जन करते हैं। साल 2025 में दशमी तिथि 1 अक्टूबर को शाम 7:01 बजे से शुरू होगी और 2 अक्टूबर को शाम 7:10 बजे समाप्त होगी। उदयातिथि के आधार पर, 2 अक्टूबर 2025 को कलश विसर्जन किया जाएगा।

कलश विसर्जन के शुभ मुहूर्त

दशमी तिथि के दिन कलश विसर्जन के लिए निम्नलिखित शुभ मुहूर्त हैं:

  • प्रातःकाल मुहूर्त: सुबह 5:17 बजे से 6:29 बजे तक।

  • अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:04 बजे से 12:51 बजे तक।

इन शुभ मुहूर्तों में कलश विसर्जन करने से माता दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है और सभी कार्यों में सफलता मिलती है।

कलश विसर्जन की विधि

कलश विसर्जन की प्रक्रिया को श्रद्धापूर्वक और विधि-विधान से करना चाहिए। नीचे दी गई विधि का पालन करें:

  1. नारियल को उतारें: सबसे पहले कलश पर रखे नारियल को उतारें। इस नारियल को फोड़कर इसका प्रसाद भक्तों के बीच वितरित करें।

  2. कलश के जल का छिड़काव: कलश में भरे पवित्र जल को आम के पत्तों की सहायता से पूरे घर में छिड़कें। यह जल शुद्धता और सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है।

  3. जल का विसर्जन: बचे हुए जल को किसी पवित्र नदी, पीपल के पेड़ या किसी अन्य पवित्र जल स्रोत में अर्पित करें।

  4. कलश और सामग्री का विसर्जन: मिट्टी के कलश को, साथ ही उसमें मौजूद सुपारी, लौंग आदि सामग्री को, किसी पवित्र नदी या जल स्रोत में प्रवाहित करें।

  5. आशीर्वाद प्राप्त करें: विसर्जन के बाद माता दुर्गा से प्रार्थना करें कि वे आपके जीवन की सभी परेशानियों को दूर करें और सुख-समृद्धि प्रदान करें।

नवरात्रि और कलश विसर्जन का महत्व

कलश विसर्जन न केवल नवरात्रि की पूजा का समापन है, बल्कि यह माता दुर्गा के प्रति भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक भी है। मान्यता है कि विधिपूर्वक कलश विसर्जन करने से माता की कृपा प्राप्त होती है, और जीवन में सुख, शांति व समृद्धि आती है। यह प्रक्रिया भक्तों को नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति दिलाने और सकारात्मकता को बढ़ाने में सहायक होती है।

शारदीय नवरात्रि 2025 के इस पावन अवसर पर, माता दुर्गा की पूजा और कलश विसर्जन के साथ अपने जीवन को उनकी कृपा से आलोकित करें।