- भारत,
- 27-Sep-2025 07:20 AM IST
Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि 2025 का छठा दिन मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप, मां स्कंदमाता को समर्पित है। इस बार एक तिथि अधिक होने के कारण छठे दिन पांचवां व्रत रखा जाएगा। मां स्कंदमाता भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता हैं और इन्हें कमल के फूल पर विराजमान, गोद में कार्तिकेय को लिए हुए दर्शाया जाता है। इनकी चार भुजाएं हैं, जो शक्ति, करुणा और ममता का प्रतीक हैं। मां स्कंदमाता की पूजा करने से संतान सुख, सुख-समृद्धि, वैभव और जीवन में शांति की प्राप्ति होती है।
छठे दिन का महत्व
साल 2025 में शारदीय नवरात्रि के दौरान छठा व्रत 27 सितंबर 2025, शनिवार को मनाया जाएगा। इस दिन भक्त पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ मां स्कंदमाता की पूजा-अर्चना करते हैं। यह दिन विशेष रूप से संतान की रक्षा और लंबी आयु की कामना के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। निसंतान दंपत्ति भी इस दिन मां की आराधना करके संतान प्राप्ति की प्रार्थना करते हैं। मां स्कंदमाता की कृपा से भक्तों के जीवन में सकारात्मकता और शांति का संचार होता है।
मां स्कंदमाता की पूजा विधि
प्रातः स्नान और शुद्धिकरण: प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
पूजा स्थल की तैयारी: मां स्कंदमाता की मूर्ति या चित्र को पूजा स्थल पर स्थापित करें। लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं।
दीप प्रज्वलन: मां के समक्ष घी या तेल का दीपक जलाएं।
अर्पण: मां को कमल के फूल, फल, मिठाई और पंचामृत अर्पित करें। केले का भोग विशेष रूप से प्रिय माना जाता है।
मंत्र जाप: मां स्कंदमाता का मंत्र "ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः" का 108 बार जाप करें।
आरती: पूजा के अंत में मां स्कंदमाता की आरती करें और अपनी मनोकामना व्यक्त करें।
स्कंदमाता की आरती
जय तेरी हो स्कंद माता
पांचवां नाम तुम्हारा आता
सब के मन की जानन हारी
जग जननी सब की महतारी
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं
हरदम तुम्हें ध्याता रहूं मैं
कई नामों से तुझे पुकारा
मुझे एक है तेरा सहारा
कहीं पहाड़ों पर है डेरा
कई शहरों में तेरा बसेरा
हर मंदिर में तेरे नजारे
गुण गाए तेरे भगत प्यारे
भक्ति अपनी मुझे दिला दो
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो
इंद्र आदि देवता मिल सारे
करे पुकार तुम्हारे द्वारे
दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए
तुम ही खंडा हाथ उठाए
दास को सदा बचाने आई
‘चमन’ की आस पुराने आई।
मां स्कंदमाता का स्वरूप और महत्व
मां स्कंदमाता का स्वरूप अत्यंत शांत और सौम्य है। इनके एक हाथ में कमल, दूसरे में वरमुद्रा, तीसरे में भगवान कार्तिकेय और चौथे में घंटा होता है। मां का वाहन सिंह है, जो शक्ति और साहस का प्रतीक है। स्कंदमाता की पूजा करने से बुद्धि, विवेक और ज्ञान की प्राप्ति होती है। यह माना जाता है कि मां की कृपा से भक्तों के सभी दुख और कष्ट दूर हो जाते हैं।
नवरात्रि में मां स्कंदमाता की पूजा का लाभ
संतान सुख: मां स्कंदमाता की पूजा से संतान प्राप्ति और संतान की रक्षा होती है।
मानसिक शांति: मां की आराधना से मन को शांति और स्थिरता मिलती है।
सुख-समृद्धि: जीवन में वैभव, धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
आध्यात्मिक उन्नति: मां की कृपा से भक्तों का आध्यात्मिक विकास होता है।
