Tata Sons / क्या रतन टाटा का सपना चंद्रशेखरन पूरा करेंगे, बंगाल से है ये कनेक्शन

टाटा संस चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने ममता बनर्जी से कोलकाता में मुलाकात की, जिससे टाटा समूह की बंगाल वापसी की अटकलें तेज़ हो गई हैं। बॉम्बे हाउस में टाटा ट्रस्ट के साथ बैठक कर उन्होंने पहली बार सीधे समूह की योजनाएं साझा कीं, जिसे पारदर्शिता की नई पहल माना जा रहा है।

Tata Sons: टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने हाल ही में दो महत्वपूर्ण कदम उठाए, जिन्होंने टाटा समूह की भविष्य की योजनाओं को लेकर चर्चाओं को हवा दी है। मंगलवार को उन्होंने मुंबई के बॉम्बे हाउस में टाटा ट्रस्ट्स के सदस्यों के साथ एक गोपनीय बैठक की, और अगले ही दिन बुधवार को कोलकाता पहुंचकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की। इस मुलाकात ने उद्योग जगत में एक नई उम्मीद जगाई है कि टाटा समूह एक बार फिर बंगाल में अपने कारोबारी कदम बढ़ा सकता है।

सिंगूर विवाद का इतिहास

2006 में टाटा मोटर्स ने पश्चिम बंगाल के सिंगूर में अपनी महत्वाकांक्षी नैनो कार का प्लांट लगाने की योजना बनाई थी। हालांकि, तत्कालीन विपक्षी नेता ममता बनर्जी के नेतृत्व में हुए जबरदस्त विरोध के कारण टाटा समूह को यह परियोजना रद्द करनी पड़ी। इसके बाद यह प्लांट गुजरात के साणंद में स्थानांतरित कर दिया गया। इस घटना के बाद से टाटा समूह और ममता बनर्जी के बीच कोई खास संवाद नहीं हुआ था। चंद्रशेखरन की हालिया मुलाकात ने इस दूरी को पाटने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

बॉम्बे हाउस में ऐतिहासिक बैठक

मंगलवार को मुंबई के बॉम्बे हाउस में टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने टाटा ट्रस्ट्स के बोर्ड के साथ एक असामान्य और ऐतिहासिक बैठक की। इस बैठक में नोहल टाटा, मेहली मिस्त्री, वेणु श्रीनिवासन, प्रमित झावेरी, डेरियस खंबाटा, विजय सिंह और जहांगीर सी. जहांगीर जैसे प्रमुख सदस्य शामिल थे। इस बैठक को परंपरा से हटकर माना जा रहा है, क्योंकि रतन टाटा के कार्यकाल में कभी भी टाटा संस के चेयरमैन ने सीधे ट्रस्ट्स बोर्ड को ब्रीफ नहीं किया था।

आमतौर पर टाटा ट्रस्ट्स के नॉमिनी ही टाटा संस के बोर्ड से प्राप्त जानकारी को ट्रस्ट्स तक पहुंचाते थे। टाटा ट्रस्ट्स की टाटा संस में 66% हिस्सेदारी है, जो इसे समूह की कंट्रोलिंग हिस्सेदारी बनाती है। इस बैठक में चंद्रशेखरन ने समूह के प्रदर्शन, बड़े प्रोजेक्ट्स जैसे सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, कंज्यूमर ऐप ईकोसिस्टम, और एयर इंडिया में हुई प्रगति के बारे में विस्तार से बताया। इसके अलावा, हाल ही में अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया हादसे के बाद उठाए गए कदमों, जैसे नियमों का पालन और यात्रियों को राहत पहुंचाने की प्रक्रिया, पर भी चर्चा हुई।

पारदर्शिता और भविष्य की योजनाएं

टाटा ट्रस्ट्स की स्थापना समूह के संस्थापक परिवार द्वारा की गई थी और यह अपने परोपकारी कार्यों के लिए जानी जाती है। नोहल टाटा, जो टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन भी हैं, समेत अन्य नॉमिनी जैसे वेणु श्रीनिवासन और विजय सिंह, टाटा संस के बोर्ड में भी शामिल हैं। इस बैठक में समूह के पिछले कुछ वर्षों में किए गए 1.84 लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश पर भी चर्चा हुई। यह निवेश मुख्य रूप से सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रिक वाहन, डिजिटल उपभोक्ता पारिस्थितिकी तंत्र, और एयर इंडिया जैसे क्षेत्रों में किया गया है।

इस बैठक को पारदर्शिता की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है, क्योंकि इससे टाटा ट्रस्ट्स को समूह की रणनीतियों और प्रगति की सीधी जानकारी मिली।

कोलकाता में नई शुरुआत?

चंद्रशेखरन की ममता बनर्जी से मुलाकात ने उद्योग जगत में कई संभावनाओं को जन्म दिया है। जानकारों का मानना है कि टाटा समूह बंगाल में नए सिरे से निवेश की संभावनाएं तलाश सकता है। सिंगूर विवाद के बाद टाटा समूह ने बंगाल में कोई बड़ा निवेश नहीं किया था, लेकिन इस मुलाकात ने संकेत दिए हैं कि समूह अब पुरानी कड़वाहट को भूलकर नए अवसरों की तलाश में है।

ममता बनर्जी के साथ इस मुलाकात में संभवतः बंगाल में औद्योगिक विकास, रोजगार सृजन, और टाटा समूह की संभावित परियोजनाओं पर चर्चा हुई। हालांकि, इस मुलाकात का विवरण सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन यह स्पष्ट है कि टाटा समूह बंगाल में अपनी मौजूदगी बढ़ाने के लिए गंभीरता से विचार कर रहा है।