- भारत,
- 05-Jun-2025 07:30 AM IST
Indian Rupee: भारतीय रुपया करेंसी मार्केट में लगातार दूसरे दिन कमजोर हुआ है। दो दिनों में कुल मिलाकर 51 पैसे की गिरावट दर्ज की गई है, जिससे निवेशकों की चिंता बढ़ गई है। 2 जून को जब रुपए ने मजबूती के साथ जून की शुरुआत की थी, तब यह संकेत मिला था कि मई की गिरावट जल्द ही भरपाई हो जाएगी। लेकिन बीते दो कारोबारी सत्रों ने बाजार को झटका दिया है और यह स्पष्ट संकेत दिया है कि अब रुपए को किसी बड़े सहारे की जरूरत है।
आरबीआई से आशा की किरण
यह सहारा आने वाले दिनों में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से मिल सकता है। 6 जून को आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ब्याज दरों में कटौती का ऐलान कर सकती है। उम्मीद है कि यह कटौती 25 से 50 बेसिस प्वाइंट तक हो सकती है। यदि ऐसा होता है तो यह कदम निवेश और उपभोग को बढ़ावा देगा, जिससे विदेशी निवेशकों का विश्वास बहाल हो सकता है और रुपया फिर से मजबूती की राह पकड़ सकता है।
करेंसी मार्केट में भारी उतार-चढ़ाव
बुधवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 29 पैसे गिरकर 85.90 पर बंद हुआ। इससे पहले मंगलवार को यह 22 पैसे टूटकर 85.61 पर बंद हुआ था। इंटरबैंक फॉरेन करेंसी एक्सचेंज में बुधवार को रुपए ने 85.69 के स्तर पर ओपनिंग की थी और दिन भर 85.69 से 86.05 के दायरे में कारोबार करता रहा। यह गिरावट मुख्य रूप से विदेशी फंड के बाहर जाने, भू-राजनीतिक तनाव और कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के कारण आई।
डॉलर इंडेक्स और विदेशी निवेशक
डॉलर इंडेक्स हल्की गिरावट के साथ 99.11 पर कारोबार कर रहा था, जबकि एफआईआई (FII) ने मंगलवार को 2,853.83 करोड़ रुपए के शेयर बेचे। यह विदेशी निवेशकों की सतर्कता का संकेत है, जो रुपये पर अतिरिक्त दबाव डाल रही है।
शेयर बाजार में मिला थोड़ा संबल
बीएसई सेंसेक्स बुधवार को 260.74 अंकों की तेजी के साथ 80,998.25 पर बंद हुआ, वहीं निफ्टी 77.70 अंक गिरकर 24,620.20 पर बंद हुआ। तेल की कीमतों में हल्की तेजी के बावजूद घरेलू सेवाएं क्षेत्र में स्थिर मांग और रोजगार वृद्धि ने भारतीय अर्थव्यवस्था को आंशिक मजबूती प्रदान की है। मई का HSBC इंडिया सर्विसेज पीएमआई 58.8 पर रहा, जो अप्रैल के 58.7 से थोड़ा बेहतर रहा।
निष्कर्ष: RBI के फैसले पर टिकी हैं निगाहें
रुपए की हालिया गिरावट ने बाजार में बेचैनी जरूर पैदा की है, लेकिन विशेषज्ञों को भरोसा है कि रिजर्व बैंक की आगामी नीतिगत घोषणा से राहत मिल सकती है। यदि ब्याज दरों में कटौती होती है, तो इससे घरेलू निवेश बढ़ेगा और विदेशी पूंजी प्रवाह को भी बल मिल सकता है। फिलहाल करेंसी मार्केट की सांसें RBI की घोषणा पर अटकी हुई हैं।