Sakshi Murder Case / साक्षी बेरहमी से मरती रही, तमाशबीन देखते रहे, ऐसों को हो सकती है 6 महीने तक की जेल!

Zoom News : May 31, 2023, 12:37 PM
Sakshi Murder Case: देश की राजधानी दिल्ली के शाहबाद डेयरी इलाके में 29 मई 2023 (बीते सोमवार को) साक्षी मर्डर केस में घटनास्थल पर मौजूद और खामोशी के साथ एक निरीह लड़की का कत्ल होते हुए देखते रहने वाले चश्मदीदों (मौके पर मौजूद खामोश गवाह) की जमाने में खूब थू-थू हो रही है. कोई इन्हें नपुंसक कह रहा है. तो कोई डरपोक. कुछ लोग साक्षी हत्याकांड को खामोशी के साथ मौके पर खड़े रहकर देखते रहने वालों को सीधे-सीधे मुकदमा दर्ज करके हत्यारोपी बनाकर जेल ही भेज देने की बात कर रहा है.

आइए, इन सबके बीच आखिर ऐसे नकारा-निकम्मे साबित होने वाले मूकदर्शकों के बारे में हिंदुस्तानी कानून क्या कहता है? क्या है आईपीसी की वो धारा- जो ऐसे लापरवाह लोगों को भिजवा सकती है जेल? इस बारे में टीवी9 ने बुधवार को बात की 1998 बैच के पूर्व आईपीएस अधिकारी और उत्तर प्रदेश पुलिस के रिटायर्ड आईजी इंटेलीजेंस आर के चतुर्वेदी से.

तमाशबीनों को गवाह कहने में भी शर्म आ रही: आर के चतुर्वेदी

आर के चतुर्वेदीने कहा, “मुझे तो साक्षी मर्डर के वक्त मौके पर मौजूद खामोश नपुसंक बने रहे तमाशबीनों को गवाह कहने में भी शर्म आ रही है. जो एक निरीह निहत्थी लड़की को आंखों के सामने एक वहशी-दरिंदे द्वारा कत्ल होते तो देखते रहे. बात अगर ऐसे बेगैरत चश्मदीदों को भारतीय कानून में इनके खिलाफ कानून एक्शन लेने की बात करें तो हां, ऐसी धारा है. आईपीसी की धारा-176 और 1979 ऐसे नपुंसक मूकदर्शक गवाहों को ही जेल में डालने के लिए बनी है. जब यह डरपोक लोग मौके पर एक बेसहारा लड़की का कत्ल होते सिर्फ इसलिए देखते रहे कि, हमलावर इन्हीं के ऊपर हमला न कर दे.

तो ऐसे में मुश्किल यह है कि अब साक्षी हत्याकांड के मुकदमे के दौरान यह पुलिस के गवाह बनेंगे साहिल के खिलाफ, इसकी क्या गारंटी? और ऐसे डरपोकों को गवाह अगर पुलिस ने अपनी तफ्तीश में बना भी लिया तो, इसकी क्या गारंटी कि साक्षी के हत्यारे साहिल को मुजरिम करार दिए जाने तक, इस तरह के डरपोक लोग, मुकदमे में अंत तक कोर्ट में टिके ही रहेंगे. वैसे मुझे लगता है कि जो लोग किसी को कत्ल होते हुए भी विरोध या बचाने की कोशिश नहीं कर सके. उन्हें अगर अब पुलिस मुकदमे की तफ्तीश में शामिल करके गवाह बनाने के लिए बुलाएगी भी, तो शायद ही इन डरपोक तमाशबीनों में से कोई ही जांच में शामिल होना चाहेगा.”

ये धाराएं बढ़ा सकती हैं मुश्किलें

अपनी बात जारी रखते हुए यूपी के पूर्व दबंग आईपीएस अफसर आर के चतुर्वेदी ने आगे कहा, “बस यही वो केंद्र बिंदु या मौका होगा साक्षी मर्डर केस की तफ्तीश करने वाली पुलिस टीम के पास कि, जैसे ही उस हत्याकांड के चश्मीद गवाह बनने से इनकार करें, तो पुलिस इनके खिलाफ कोर्ट में दाखिल की जाने वाली तफ्तीश में लिखकर दे दे. यह एक्शन आईपीसी की धारा-176 और 179 के ही तहत पुलिस कर सकती है. कोर्ट में पुलिस लिखकर देगी कि, फलां-फलां लोग मौके पर मौजूद और घटना के चश्मदीद हैं. मगर अब कोर्ट में मुकदमे के ट्रायल से पहवले वे पुलिस की तफ्तीश में चश्मदीद गवाह बनने से मुकर गए. तो कोर्ट इनके खिलाफ सख्त कानूनी एक्शन ले सकती है.”

इस बारे में टीवी9 ने बुधवार को बात की एल एन राव से. एल एन राव दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के रिटायर्ड डीसीपी हैं. वे लंबे समय से दिल्ली हाईकोर्ट में बहैसियत सीनियर क्रिमिनल लॉयर वकालत भी कर रहे हैं. बकौल एल एन राव, “साक्षी हत्याकांड के वे चश्मदीद जो मौके पर मौजूद थे मगर वहां डरके मारे चुप रहे. इन्हें अब पुलिस अपनी तफ्तीश में बतौर चश्मदीद गवाह आसानी से शामिल कर सकेगी. मुझे इस पर संदेह है. क्योंकि जो नपुंसक किस्म के लोग अपनी जिंदगी महफूज रखने के लालच में किसी 16 साल ही लाचार लड़की का कत्ल मूकदर्शक बनकर देख सकते हैं. वे भला कोर्ट में साक्षी मर्डर केस में हत्यारे के खिलाफ गवाही देने का दम कहां रखेंगे? ऐसे में आईपीसी की धारा-176 और 179 बेहद काम की मानी जाती हैं.”

क्या है सजा का प्रावधान

यह दोनो कानूनी धाराएं चूंकि असंज्ञेय अपराध वाली धाराए हैं. इसलिए पुलिस इन धाराओं में मुकदमा दर्ज करने या फिर किसी को गिरफ्तार करने का हक नहीं रखती है. लिहाजा साक्षी मर्डर केस के उन बुजदिल चश्मदीदों के खिलाफ, दिल्ली पुलिस की टीम कोर्ट में चालान दाखिल करने के दौरान, कोर्ट को बता सकती है कि, फलां-फलां लोग साक्षी हत्याकांड के चश्मदीद हैं मगर अब वे पुलिस तफ्तीश और कोर्ट में मुकदमे के ट्रायल के दौरान गवाही देने को राजी नहीं है.

ऐसे में कोर्ट चाहे और कोर्ट को पुलिस की दलील बाजिव लगे तो कोर्ट, साक्षी हत्याकांड के मूकदर्शक उन गवाहों को जो मौके पर मौजूद थे, मगर पुलिस तफ्तीश और कोर्ट में गवाही देने से मुकर गए, के खिलाफ आईपीसी की धारा 176 और 179 के तहत पुलिस से मुकदमा दर्ज करवा कर. कोर्ट अपने विशेष कानूनी अधिकारों से तहत इन्हें 6 महीने तक जेल की सजा मुकर्रर कर सकती है.

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