प्रतापगढ़ जेल में 31 कैदी और पॉजिटिव / दो दिन में दूसरी बार कोरोना विस्फोट, वायरस से संक्रमित कैदियों की संख्या अब हुई 56

Zoom News : Jul 04, 2020, 10:39 AM

उदयपुर जिला जेल दाे दिन में ही काेराेना संक्रमण का केंद्र बन चुका है। शुक्रवार काे 30 बंदी और एक प्रहरी काेराेना पाॅजिटिव मिले। यहां दाे दिन में 56 बंदी काेराेना संक्रमित हाे चुके हैं। जेल में 282 बंदी हैं। जेल में कोरोना के लगातार विस्फोट हाेने से जेल प्रशासन की लापरवाही सामने आ रही है। इधर, चिकित्सा विभाग इन मरीजों की कांटेक्ट हिस्ट्री तलाशने में ही उलझा हुआ है।

बंदियाें काे बाहर लाना सुरक्षा के लिहाज से सही नहीं है, ऐसे में जेल में ही अाइसाेलेशन वार्ड बना रखा है। सीएमएचओ डाॅ. वीके जैन ने बताया कि गुरुवार शाम से शुक्रवार शाम तक जिलेभर में 222 नए सैंपल लिए गए। इनमें से जेल से 108 सैंपल लिए हैं, इनमें बंदी और जेल कर्मचारी शामिल हैं। दाे दिन बाद ही फिर इतनी संख्या में पाॅजिटिव आने से जेल प्रशासन, चिकित्सा और जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया है।

सीएमएचओ ने बताया कि 53 लोगों को इंस्टीट्यूशनल क्वारेंटाइन कर रखा है। 134 लोग होम क्वारेंटाइन में है। शुक्रवार को 91 हजार लोगों की स्क्रीनिंग की गई। जेल में चिकित्सा विभाग की तरफ से चद्दर, साबुन, सेनिटाइजर, पीपीई किट भी उपलब्ध करवाए हैं, ताकि मरीजों तक जरूरी सामान पहुंचाया जा सके और संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।

इससे पहले 25 और 29 जून को आर्म्स एक्ट के एक-एक अभियुक्त में भी कोरोना की पुष्टि हो चुकी है। जिले में अब 59 एक्टिव केस हैं। ये सभी केस 8 दिन में ही एक्टिव हुए हैं। अब तक 74 लाेग काेराेना पाॅजिटिव हाे चुके हैं। 


डीआईजी जेल बाेले, स्थिति नहीं सुधरी ताे स्वस्थ बंदियाें काे दूसरी जेल में शिफ्ट कर सकते हैं

जेल में बढ़ते कोरोना मरीजों को देखते हुए शुक्रवार को डीआईजी रेंज जेल सुरेंद्र सिंह शेखावत प्रतापगढ़ पहुंचे। उन्होंने जेल अधीक्षक शिवेंद्र शर्मा से बात कर बंदियों के हाल भी जाने। उन्होंने बताया कि अगले एक-दो दिनों में बंदियों में कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ती है तो बैकअप प्लान तैयार किया गया है। सभी पॉजिटिव मरीजों के लिए जिला जेल को ही अस्पताल बना दिया जाएगा। जबकि निगेटिव मरीजों को यहां से दूसरी जगह शिफ्ट किया जाएगा। इस पर अभी विचार-विमर्श चल रहा है।


जानिये कैसी लापरवाहियाें से फैला काेराेना संक्रमण, काैन है जिम्मेदार

  • 1. जेल प्रशासन 

लापरवाही यह : जेल में वर्तमान में 282 बंदी हैं। 50 का स्टाफ भी कार्यरत है। 25 जून को आर्म्स एक्ट के अभियुक्त में दूसरे टेस्ट के दौरान कोरोना की पुष्टि हुई थी। इसके बावजूद जेल में बने आइसोलेशन वार्ड के अंदर अन्य बंदियों का आना-जाना नहीं रोक पाए। जेल में सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क जैसी अनिवार्यता लागू नहीं कर पाए। संभावित संक्रमित मरीज के साथ ही अन्य बंदी भी रहते रहे। इसका नतीजा यह हुआ कि 1 जुलाई को एक ही बैरक से 23 बंदियों में कोरोना की पुष्टि हुई थी। इसके बाद दूसरे बंदियाें में भी कोराना फैलता रहा।

यह बाेले : जेल अधीक्षक शिवेंद्र शर्मा का कहना है कि हमने आइसोलेशन वार्ड में दूसरे बंदियों का जाना पूरी तरह से राेक दिया है। पेशी का काम 3 महीने से बंद है। जेल के अंदर भी बंदियों को सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करवाई जाएगी और साबुन, सेनिटाइजर, मास्क जैसे जरूरी सामान बांटेंगे। बैरक से बाहर रहने के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा जाएगा।

  • 2. चिकित्सा विभाग

लापरवाही यह : 25 जून को जेल में बंदी में कोराना की पुष्टि होने के बावजूद सैंपल और स्क्रीनिंग की प्रक्रिया काफी धीमी रखी। सभी के सैंपल लेने की बजाय चिन्हित लोगों के ही सैंपल लिए। कांटेक्ट हिस्ट्री तलाशने में ज्यादा समय लगाया। समय पर मेडिकल स्टाफ नहीं लगाया। अब भी प्रक्रिया धीमी चल रही है।

यह बाेले : पीएमओ डाॅ. ओपी दायमा का कहना है कि उपलब्ध करवाए हैं।हमने पहले दिन से जरूरत के हिसाब से मेडिकल टीमें भेजी है। सैंपल और स्क्रीनिंग में समय लगता है। हमारी टीम लगातार काम में जुटी हुई है। जो कमियां रही है उन्हें दूर करेंगे जल्दी हालात पर काबू पा लिया जाएगा।

  • 3. जेल चिकित्सा प्रभारी

लापरवाही यह :  जेल में संक्रमण फैलने के बावजूद सभी जरूरी लोगों के सैंपल लेने की बजाय चिन्हित तक ही सीमित रखा। बंदियों में कोरोना के बढ़ते संक्रमण को लेकर ज्यादा कुछ नहीं कर पाए। सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क जैसी अनिवार्यता को लेकर गाइड नहीं कर पाए। चिकित्सा और जेल प्रशासन के बीच में को-आर्डिनेशन कमजोर रहा। बंदी लापरवाह बने रहे।

यह बाेले : जेल चिकित्सा प्रभारी हितेश जोशी का कहना है कि बाहर से आने वाले बंदियों को 21 दिन तक आइसोलेट रखते हैं। जेल में अब 2 बैरक हॉस्पिटल बना दिया है। बंदियों को पॉजिटिव मरीजों से नहीं मिलने दिया जा रहा है। मेल-मुलाकात भी ऑनलाइन कर दी है। जेल में पर्याप्त सेनिटाइजर मास्क आदि दिए जा रहे हैं। चिकित्सा विभाग की तरफ से पर्याप्त मेडिकल स्टाफ अभी नहीं है, उसकी कमी पूरी की जाए। 

अब यह है सबसे बड़ी आशंका

चिकित्सा विभाग की अब तक की जांच में यह सामने आया है कि जेल में कोरोना संक्रमण 25 जून को आर्म्स एक्ट वाले अभियुक्त के माध्यम से ही फैला है। क्योंकि यह अभियुक्त 21 दिन तक जेल के अंदर बने आइसोलेशन वार्ड में रहा था। इसके बाद उसकी भी सैंपलिंग की गई थी। उसकी पहली रिपोर्ट निगेटिव आई जबकि 21 दिन बाद की गई दूसरी सैंपलिंग में वह कोरोना पॉजिटिव निकला था।


इस बीच जेल के अंदर 100 से ज्यादा बंदियों ने उससे संपर्क किया था। तब उन बंदियों को लग रहा था कि यह युवक कोरोना पॉजिटिव नहीं है जबकि बाद में वह पाॅजिटिव निकला। आशंका जताई जा रही है कि जेल में पॉजिटिव का आंकड़ा 100 को पार कर सकता है। इनमें जेल स्टाफ के लोग भी शामिल है।

सबसे ज्यादा आर्म्स एक्ट के बंदी कोरोना पॉजिटिव : संक्रमित 30 बंदियों में से 14 आर्म्स एक्ट के अभियुक्त हैं। जबकि तीन हत्या के मामले में अंडर ट्रायल है। सात अभियुक्त चोरी, चार बंदी मारपीट के मामले में विचाराधीन हैं। दो बंदी नकबजनी के अभियुक्त हैं। इनमें 18 बंदी 25 से 28 साल के हैं। 5 बंदियाें की उम्र 30 से 33 साल के बीच है। चार बंदी 35 से 36 साल के हैं जबकि तीन बंदी 38 से 41 साल के हैं। जेल प्रहरी काे जिला अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में रखा है।

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