Rajasthan Political Crisis / गहलोत की राज्यपाल को धमकी! यदि प्रदेश की जनता राजभवन को घेरने आ गई तो हमारी जिम्मेदारी नहीं! क्या सुरक्षा के लिए केन्द्रीय एजेंसियां आएंगी राजस्थान में

Zoom News : Jul 24, 2020, 01:53 PM
Rajasthan Political Crisis जयपुर । हाईकोर्ट ने सचिन पायलट व अन्य विधायकों को अयोग्य घोषित करने के लिए दिए गए नोटिस पर स्टे लगा दिया है। इसी बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बड़ा बयान देकर पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जो कि गृह मंत्री भी हैं, उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए राज्यपाल को साफ तौर पर कहा है कि यदि राज्य की जनता राजभवन को घेरने आ गई तो हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं होगी।

अशोक गहलोत ने कहा कि हमने राज्यपाल को चिट्ठी लिखी है कि वो तुरंत विधानसभा सत्र बुलाएंं। जिसमें कोरोना संकट, लॉकडाउन पर चर्चा हो सके। लेकिन अभी तक जवाब नहीं आया है। हमने रात को चिट्ठी लिखी थी। हमारा मानना है कि ऊपर से दबाव होने के कारण वो विधानसभा सत्र बुलाने का निर्देश नहीं दे रहे हैं। जब मुख्यमंत्री ने साफ तौर पर यह कह दिया है कि जनता राजभवन को घेरने आ गई तो हमारी जिम्मेदारी नहीं होगी। तो स्पष्ट है कि उनके हिस्से आने वाली पुलिस इस सं​वैधानिक व्यवस्था पर आने वाले किसी अराजक संकट को टालने में रुचि नहीं दिखाएगी। ऐसे में संवैधानिक मुखिया के पास अपने उपर आने वाले किसी भी तरह के संकट को टालने के लिए केन्द्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स या किसी अन्य केन्द्र की एजेंसी की मदद ली जा सकती है। 

सीएम ने कहा कि जब भैरो सिंह शेखावत की सरकार गिराई जा रही थी, तब मैं पीएम से मिलने गया था और ऐसी बातों को रोकने की अपील की थी. हम सभी विधायक राज्यपाल से मिलेंगे और जल्द सेशन बुलाने की अपील करेंगे. विधानसभा में सब दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा, सारी बातें देश के सामने आएंगी.

अब विधानसभा स्पीकर विधायकों को अयोग्य करार नहीं दे पाएंगे। हालांकि, अन्य मामलों को लेकर अभी भी हाईकोर्ट में सुनवाई रहेगी। दूसरी ओर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कहना है कि वो विधानसभा सत्र बुलाना चाहते हैं, लेकिन राज्यपाल की ओर से अभी तक मंजूरी नहीं मिली है। सीएम ने कहा कि अगर राज्यपाल विधानसभा का सत्र नहीं बुलाते हैं तो जनता राजभवन का घेराव कर सकती है। ऐसी स्थिति में हमारी जिम्मेदारी नहीं होगी। लोकतांत्रिक व्यवस्था में मुख्यमंत्री का यह बयान सोशल मीडिया पर अब चर्चा का विषय बन गया है। वैसे यह बात अशोक गहलोत ने किस आशय से की है, यह समझना तो परे है, लेकिन यह बयान देकर गहलोत ने अपने विरोधियों को एक बड़ा मौका जरूर दे दिया है। बीते कई दिनों से संवैधानिक व्यवस्था की बातें दोहरा रहे गहलोत का यह बयान संवैधानिक रूप से कितना उचित कहा जाएगा, यह वक्त ही बताएगा।

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