बिहार विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण के मतदान से ठीक एक दिन पहले, राज्य की राजनीतिक गलियारों में आरोप-प्रत्यारोप का दौर चरम पर है। चुनाव प्रचार समाप्त होने के बावजूद, प्रमुख राजनीतिक दल एक-दूसरे पर तीखे हमले कर रहे हैं, जिससे चुनावी माहौल और भी गरमा गया है और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए, जबकि भाजपा ने इन आरोपों को विपक्ष की संभावित हार की हताशा करार दिया। यह सियासी घमासान मंगलवार को होने वाले दूसरे चरण के मतदान से पहले मतदाताओं के बीच। एक महत्वपूर्ण चर्चा का विषय बन गया है, जो चुनावी नतीजों पर गहरा असर डाल सकता है।
तेजस्वी यादव के गंभीर आरोप
राजद नेता तेजस्वी यादव ने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर भाजपा और चुनाव आयोग पर कई गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने विशेष रूप से पहले चरण के चुनाव के आंकड़ों को सार्वजनिक न करने पर चिंता व्यक्त की। तेजस्वी ने बताया कि 6 नवंबर को हुए पहले चरण के मतदान के चार दिन बाद भी, यानी 10 नवंबर तक, चुनाव आयोग ने मतदान से संबंधित कोई भी डेटा सार्वजनिक नहीं किया है। उन्होंने इस देरी पर सवाल उठाते हुए पूछा कि आखिर इन आंकड़ों को क्यों छिपाया जा रहा है, जबकि पहले चुनाव आयोग उसी दिन मैन्युअल रूप से जानकारी उपलब्ध करा देता था। यह पारदर्शिता की कमी पर सीधा हमला था, जिसका उद्देश्य चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर संदेह पैदा करना था और मतदाताओं के मन में चुनावी प्रक्रिया की सत्यनिष्ठा को लेकर प्रश्नचिह्न लगाना था।
चुनाव आयोग पर सीधा निशाना
तेजस्वी यादव ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनाव आयोग की भूमिका पर भी तीखी टिप्पणी की और उन्होंने कहा कि "भाजपा अपने पापों को करती रहेगी और चुनाव आयोग पर्दा डालता रहेगा। " इस बयान से उन्होंने भाजपा पर चुनावी अनियमितताओं का आरोप लगाया और चुनाव आयोग को इन कथित अनियमितताओं को छिपाने का दोषी ठहराया। उन्होंने यहां तक कह दिया कि "चुनाव आयोग मर चुका है और एक उपकरण बन गया है," जो यह दर्शाता है कि उनकी नजर। में चुनाव आयोग अब एक स्वतंत्र संस्था के रूप में कार्य नहीं कर रहा, बल्कि सत्ताधारी दल के इशारे पर काम कर रहा है। यह आरोप भारतीय लोकतंत्र की नींव पर एक गंभीर प्रहार था, जो चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है और जनता के विश्वास को कमजोर करने का प्रयास करता है।
राजद नेता ने बिहार चुनाव के दौरान सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी गंभीर चिंताएं व्यक्त कीं और उन्होंने बताया कि भाजपा शासित राज्यों से 208 पुलिस कंपनियां बिहार बुलाई गई हैं। तेजस्वी यादव ने इस पर सवाल उठाते हुए पूछा कि आखिर बंगाल, कर्नाटक या तमिलनाडु जैसे गैर-भाजपा शासित राज्यों से। पुलिस क्यों नहीं बुलाई गई, और यहां तक कि पास के राज्य झारखंड से भी पुलिस बल क्यों नहीं बुलाया गया। उनके अनुसार, यह स्थिति बिहार चुनाव के दौरान सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े करती है और यह संकेत देती है कि भाजपा अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर रही है। यह आरोप चुनावी प्रक्रिया में बाहरी हस्तक्षेप और सुरक्षा बलों के राजनीतिकरण की आशंका को उजागर करता है, जिससे निष्पक्ष चुनाव के माहौल पर संदेह पैदा होता है।
रविशंकर प्रसाद का पलटवार: हार की हताशा
तेजस्वी यादव के आरोपों पर पलटवार करते हुए, भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में विपक्ष पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में संभावित हार के डर से विपक्ष अब बहाने ढूंढ रहा है। प्रसाद ने जोर देकर कहा कि चुनाव प्रचार समाप्त हो चुका है और मंगलवार को दूसरे चरण की वोटिंग। होने वाली है, और भाजपा एनडीए के साथ मिलकर निर्णायक, प्रभावी और ऐतिहासिक विजय की ओर बढ़ रही है। उन्होंने तेजस्वी यादव द्वारा "साइलेंस पीरियड" में, यानी चुनाव प्रचार समाप्त होने के बाद, प्रेस कॉन्फ्रेंस करने को "हताशा की पराकाष्ठा" बताया। उनके अनुसार, यह कदम विपक्ष की निराशा और हार की आशंका को स्पष्ट रूप से दर्शाता है, जब चुनावी मैदान में सीधे मुकाबला खत्म हो चुका है और अब केवल मतदाताओं का निर्णय शेष है।
औद्योगिक विकास पर भ्रम का खंडन
रविशंकर प्रसाद ने तेजस्वी यादव के इस आरोप का भी खंडन किया कि बिहार में कोई उद्योग नहीं है। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव, राहुल गांधी के संपर्क में आकर "होमवर्क" नहीं करते हैं और प्रसाद ने बिहार में हुए औद्योगिक विकास का विस्तृत ब्यौरा दिया। उन्होंने बताया कि राज्य में 17 इथेनॉल प्लांट स्थापित किए गए हैं, जो कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देते हैं और किसानों के लिए नए अवसर पैदा करते हैं। इसके अलावा, मुजफ्फरपुर, हाजीपुर, बेगूसराय जैसे क्षेत्रों में टेक्सटाइल के कई हब विकसित हुए हैं, जो स्थानीय रोजगार को बढ़ावा दे रहे हैं और उन्होंने यह भी बताया कि राज्य बिस्किट निर्माण के क्षेत्र में काफी आगे है, और कोल्ड ड्रिंक तथा अन्य कई क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण निवेश हुआ है, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था को गति मिली है। यह जानकारी तेजस्वी के आरोपों को खारिज करने और बिहार में एनडीए सरकार द्वारा किए गए विकास कार्यों को उजागर करने के उद्देश्य से दी गई थी, ताकि जनता के सामने वास्तविक स्थिति प्रस्तुत की जा सके।
विश्वास का कारक और सुशासन
भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने एनडीए की संभावित जीत का सबसे बड़ा कारण "ट्रस्ट फैक्टर" को बताया और उन्होंने कहा कि 20 साल के बाद भी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जोड़ी पर बिहार की जनता का अटूट विश्वास है, और यही विश्वास बिहार को आगे बढ़ाएगा। उन्होंने इस चुनाव को "जंगलराज बनाम सुशासन" का चुनाव करार दिया। प्रसाद ने आरोप लगाया कि तेजस्वी यादव "जंगलराज" की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं, जबकि एनडीए सरकार सुशासन और विकास के लिए प्रतिबद्ध है। यह बयान मतदाताओं को अतीत के "जंगलराज" और वर्तमान के "सुशासन" के बीच चयन करने का आह्वान करता है,। जिससे एनडीए की स्थिति मजबूत हो सके और वे जनता के बीच अपनी विकासवादी छवि को स्थापित कर सकें।