जयपुर / राजस्थान विधानसभा मॉब लिंचिंग व ऑनर किलिंग विधेयकों पर आज होगी चर्चा

Dainik Bhaskar : Aug 05, 2019, 11:50 AM
जयपुर। राज्य विधानसभा में सोमवार को दो बड़े विधेयकों पर चर्चा होगी। एक विधेयक प्रेमी जोड़ों की सुरक्षा को लेकर तो दूसरा मॉब लिंचिंग पर रोक को लेकर है। दोनों के पास होने पर ऑनर किलिंग और मॉब लिंचिंग कानून राजस्थान में लागू हो जाएगा। दोनों विधेयक सरकार ने 30 जुलाई को सदन में पेश किए थे। सोमवार को विधानसभा की कार्यवाही प्रश्नकाल से शुरू होगी और विधायकों की ओर से प्रश्नकाल और शून्यकाल में जनहित के मुद्दे उठाए जाएंगे।

सरकार ने 30 जुलाई को राजस्थान लिंचिंग संरक्षण विधेयक 2019 और राजस्थान सम्मान और परंपरा के नाम पर वैवाहिक संबंधों की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप का प्रतिषेध विधेयक 2019 को 30 जुलाई को विधानसभा में पेश किया था। सोमवार को चर्चा के बाद ये दोनों विधेयक पारित होकर कानून का रूप लेंगे। इसके बाद सरकार दोनों कानूनों की मदद से प्रेमी जोड़ों को सुरक्षा दे सकेगी वहीं मॉब लिंचिंग से जुड़े अपराधों की रोकथाम भी कर सकेगी।

धर्म, जाति, भाषा, राजनीतिक विचारधारा, समुदाय और जन्म स्थान के नाम पर भीड़ द्वारा की जाने वाली हिंसा मॉब लिंचिंग

प्रदेश में ऑनर किलिंग और मॉब लिंचिंग को लेकर राज्य सरकार ने सख्त कानून बनाया है। जाति, समुदाय, परिवार के नाम पर वैवाहिक युगल में से किसी को भी जान से मारने पर आरोपियों को फांसी या आजीवन कारावास की सजा दी जा सकेगी। ऐसे मामले गैरजमानती होंगे। वहीं धर्म, जाति, भाषा, राजनीतिक विचारधारा, समुदाय और जन्म स्थान के नाम पर भीड़ द्वारा की जाने वाली हिंसा को इस बिल में मॉब लिंचिंग माना गया है।  दो या दो से ज्यादा व्यक्ति को मॉब की परिभाषा में शामिल किया गया है। लिंचिंग की घटना में पीड़ित की मृत्यु हो जाने पर दोषियों को आजीवन कठोर कारावास के साथ 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा।

ऑनर किलिंग: षड्यंत्र में शामिल व्यक्ति को भी 5 साल तक जेल

जाति, समुदाय, परिवार के नाम पर वैवाहिक युगल में से किसी को भी जान से मारने पर फांसी या आजीवन कारावास की सजा दी जा सकेगी। ऐसे मामले गैरजमानती हाेंगे। पांच लाख रुपए का जुर्माना भी लगेगा। वैवाहिक जोड़े पर प्राणघातक हमला करने वालों को 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान भी बिल में किया गया है। यदि हमला प्राणघातक नहीं है तब भी आरोपितों को 3 साल से 5 साल तक का कठोर कारावास दिया जा सकेगा। जो व्यक्ति षड्यंत्र में शामिल हाेगा, उसके लिए भी सजा के यही प्रावधान हाेंगे। (शादी से राेके जाने पर पीड़ित युगल वे एसडीएम और डीएम के यहां अपील कर सकेंगे। इसमें एसडीएम और मजिस्ट्रेट संबंधित व्यक्तियों को पाबंद कर सकेंगे। जो भी मामले दर्ज होंगे उनका ट्रायल सेशन कोर्ट में होगा।)

मॉब लिंचिंग: सोशल मीडिया पर नफरत फैलाई तो भी तीन साल तक की सजा

धर्म, जाति, भाषा, राजनीतिक विचारधारा, समुदाय और जन्म स्थान के नाम पर भीड़ द्वारा की जाने वाली हिंसा को इस बिल में माॅब लिंचिंग माना गया है। दो या दो से ज्यादा व्यक्ति को मॉब की परिभाषा में शामिल किया गया है। लिंचिंग की घटना में पीड़ित की मृत्यु हो जाने पर दोषियों को आजीवन कठोर कारावास के साथ 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। वहीं गंभीर रूप से घायल होने पर 10 साल तक का कठोर कारावास और 3 लाख रुपए तक जुर्माना और सामान्य मारपीट पर 7 साल के कठोर कारावास व एक लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान किया गया है। (बिल में यह भी प्रावधान किया गया है कि यदि कोई व्यक्ति समाज में घृणा बढ़ाने वाले संदेश इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भी प्रसारित करता है तो ऐसे मामले में भी 5 साल तक का कारावास भुगतना पड़ेगा और एक लाख रुपए का जुर्माना भी देना होगा।)

- इंस्पेक्टर रैंक का अफसर ही करेगा जांच : लिंचिंग से जुड़े मामलों की जांच पुलिस इंस्पेक्टर रैंक से नीचे का अफसर नहीं करेगा। राज्य में आईजी रैंक व जिलों में डीएसपी रैंक का अफसर मॉनिटरिंग करेगा।

- सुनवाई के लिए विशेष न्यायालय : तुरंत सुनवाई के लिए हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की सलाह पर विशेष न्यायाधीश नियुक्त कर सकेंगे। सेशन स्तर के न्यायाधीश ही ऐसे मामलों की सुनवाई कर सकेंगे।

- निशुल्क विधिक सहायता : लिंचिंग के मामलों में पीड़ित व्यक्ति को सरकार निशुल्क विधिक सहायता भी उपलब्ध करवाएगी। धमकाने की शिकायत पर उसे पुलिस सुरक्षा भी मिलेगी।

- पीड़ित को मुआवजा : बिल में यह प्रावधान भी किया गया है कि पीड़ित व्यक्ति को राजस्थान विक्टिम कंपनसेशन स्कीम के तहत सहायता दी जाएगी और दोषियों से जो जुर्माना वसूला जाएगा उसे पीड़ित को दिया जाएगा।

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