India-US Tariff War / चीन उतरा भारत के समर्थन में, ट्रंप के 'टैरिफ बम' पर अमेरिका को लगाई लताड़

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस से तेल खरीदने पर भारत के खिलाफ बड़ा फैसला लिया है। अमेरिका ने भारत पर कुल 50% टैरिफ लगा दिया है। चीन ने इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि यह व्यापारिक नियमों का दुरुपयोग है। भारत ने इसे अनुचित और दुर्भाग्यपूर्ण बताया।

India-US Tariff War: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस से तेल खरीदने के मुद्दे पर भारत के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए बड़ा कदम उठाया है। ट्रंप प्रशासन ने भारत से आयात होने वाले सामानों पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की है, जिसके साथ भारत पर कुल टैरिफ 50% हो गया है। इस फैसले ने वैश्विक व्यापार और कूटनीति में हलचल मचा दी है।

चीन की तीखी प्रतिक्रिया

चीन ने अमेरिका के इस कदम की कड़ी आलोचना की है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने इसे व्यापारिक नियमों का दुरुपयोग करार दिया। उन्होंने कहा, "चीन हमेशा से टैरिफ के दुरुपयोग के खिलाफ रहा है। हमारा रुख इस मामले में स्पष्ट और अटल है।" गुओ ने यह भी चेतावनी दी कि इस तरह के कदम वैश्विक व्यापार व्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

भारत पर भारी टैरिफ क्यों?

व्हाइट हाउस में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत पर 50% टैरिफ के फैसले का बचाव करते हुए कहा, "भारत, रूस से तेल खरीदने में चीन के बहुत करीब है। हम रूसी तेल के आयात को लेकर सेकेंडरी प्रतिबंधों की दिशा में बढ़ रहे हैं।" ट्रंप ने यह भी संकेत दिया कि यह कार्रवाई केवल शुरुआत है और भविष्य में और कड़े कदम उठाए जा सकते हैं।

जब उनसे पूछा गया कि क्या रूस-यूक्रेन संघर्ष में समझौता होने पर भारत से टैरिफ हटाया जाएगा, तो ट्रंप ने कहा, "फिलहाल भारत को 50% टैरिफ देना होगा। भविष्य में क्या होगा, यह देखा जाएगा।" ट्रंप ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत पर कार्रवाई इसलिए की गई क्योंकि यह रूस से तेल खरीद में प्रमुख देशों में शामिल है।

चीन और तुर्की पर कम टैरिफ, भारत पर सवाल

प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब ट्रंप से पूछा गया कि चीन और तुर्की भी रूस से तेल खरीद रहे हैं, फिर भारत पर ही इतना भारी टैरिफ क्यों, तो उन्होंने जवाब दिया, "भारत पर टैरिफ को लागू हुए अभी सिर्फ 8 घंटे हुए हैं। आगे आप और भी बहुत कुछ देखेंगे। सेकेंडरी प्रतिबंधों की बाढ़ आएगी।" गौरतलब है कि अमेरिका ने चीन पर 30% और तुर्की पर 15% टैरिफ लगाया है, जबकि भारत पर 50% टैरिफ थोपा गया है।

भारत का कड़ा विरोध

भारत ने अमेरिका के इस फैसले को "दुर्भाग्यपूर्ण" और "अनुचित" करार दिया है। भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) ने एक आधिकारिक बयान में कहा, "भारत अपनी 1.4 अरब आबादी की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए तेल खरीदता है। हम अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएंगे।" भारत ने यह भी संकेत दिया कि वह इस मामले में कूटनीतिक और व्यापारिक स्तर पर जवाबी कार्रवाई पर विचार कर सकता है।

टैरिफ की समयसीमा

अमेरिका द्वारा लगाया गया पहला 25% टैरिफ 7 अगस्त 2025 से लागू हो चुका है, जबकि अतिरिक्त 25% टैरिफ 27 अगस्त 2025 से प्रभावी होगा। इस तरह, भारत पर कुल 50% टैरिफ रूसी तेल आयात को लेकर लागू किया गया है।

वैश्विक प्रभाव

अमेरिका का यह कदम वैश्विक व्यापार और ऊर्जा बाजारों में तनाव को और बढ़ा सकता है। भारत, जो अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए रूस जैसे देशों पर निर्भर है, अब नए व्यापारिक और कूटनीतिक रास्तों की तलाश कर सकता है। वहीं, चीन और अन्य देशों की प्रतिक्रियाएं इस मुद्दे को और जटिल बना सकती हैं।