- भारत,
- 14-Aug-2025 02:50 PM IST
Jammu-Kashmir News: उत्तर भारत में मानसून ने इस बार भारी तबाही मचाई है। पहाड़ी इलाकों में बादल फटने और बाढ़ की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं, जिससे जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के पाडर इलाके में हाल ही में बादल फटने की ताजा घटना ने क्षेत्र में दहशत फैला दी है। इस हादसे में कम से कम 10 लोगों की मौत की खबर है, जबकि बचाव कार्य अभी भी जारी है।
किश्तवाड़ में बादल फटने से हड़कंप
किश्तवाड़ के पाडर इलाके में गुरुवार को चसोती गांव के पास बादल फटने की घटना ने स्थानीय प्रशासन को हाई अलर्ट पर ला दिया। इस प्राकृतिक आपदा के कारण नदियों और नालों का जलस्तर तेजी से बढ़ गया, जिससे आसपास के गांवों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। मचैल माता यात्रा के रास्ते में पड़ने वाला यह सुदूर गांव इस आपदा से बुरी तरह प्रभावित हुआ है। हादसे के बाद मचैल माता की वार्षिक यात्रा को स्थगित कर दिया गया है।
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस घटना पर त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर जानकारी साझा की। उन्होंने लिखा, "जम्मू-कश्मीर के नेता प्रतिपक्ष और स्थानीय विधायक श्री सुनील कुमार शर्मा से हमें जानकारी मिली है कि पाडर के चसोती क्षेत्र में बादल फटा है। किश्तवाड़ के उपायुक्त श्री पंकज कुमार शर्मा के साथ बातचीत के बाद प्रशासन तुरंत हरकत में आ गया है। बचाव दल घटनास्थल पर मौजूद हैं, और नुकसान का आकलन किया जा रहा है। मेरा कार्यालय नियमित अपडेट ले रहा है और हर संभव सहायता प्रदान की जाएगी।"
प्रशासन ने नदियों और जलधाराओं से दूरी बनाए रखने की अपील की है, ताकि आगे होने वाले नुकसान को रोका जा सके। चार दिन पहले भी पाडर में बादल फटने की घटना हुई थी, जिसके कारण सजार इलाके के नाले में तेज बहाव आया था और चिनाब नदी का जलस्तर बढ़ गया था।
राजौरी में नदियों का उफान
जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में भी पिछले दो दिनों से भारी बारिश ने कहर बरपाया है। नदियों का जलस्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है, जिसके चलते जिला प्रशासन ने पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए अलर्ट जारी किया है। लोगों से नदियों और जलधाराओं के पास न जाने की सलाह दी गई है।
हिमाचल प्रदेश में बारिश की तबाही
हिमाचल प्रदेश में भी मानसून की बारिश आफत बनकर बरस रही है। शिमला, किन्नौर, लाहुल-स्पीति, और कुल्लू जैसे इलाकों में बादल फटने और बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है। शिमला के रामपुर में श्रीखंड महादेव के पास बादल फटने से गानवी घाटी में बाढ़ आ गई। कुल्लू की तीर्थन घाटी में पांच गाड़ियां और चार कॉटेज बह गए। लाहुल-स्पीति की मयाड़ घाटी में 22 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया, जबकि किन्नौर के पूह में आईटीबीपी कैंप की मशीनरी और पांच कर्मचारी फंस गए।
राज्य में दो नेशनल हाईवे सहित 323 सड़कें बंद हैं, और अब तक 2,031 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है। घर, पुल और सड़कें तबाह हो चुकी हैं, जिससे सामान्य जनजीवन ठप हो गया है।
राहत और बचाव कार्य जोरों पर
प्रशासन और आपदा प्रबंधन टीमें प्रभावित इलाकों में राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं। लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने और चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए युद्धस्तर पर काम चल रहा है। साथ ही, स्थानीय प्रशासन ने लोगों से सतर्क रहने और नदियों से दूरी बनाए रखने की अपील की है।
मानसून की इस मार ने उत्तर भारत के पहाड़ी राज्यों को बुरी तरह प्रभावित किया है। बढ़ते जलस्तर और बार-बार बादल फटने की घटनाओं ने प्रशासन के सामने बड़ी चुनौती खड़ी की है। स्थिति पर नजर रखते हुए केंद्र और राज्य सरकारें प्रभावित क्षेत्रों में हर संभव मदद पहुंचाने का प्रयास कर रही हैं।
