AMAR UJALA : Jul 12, 2020, 07:57 AM
Covid19: कोरोना वायरस महामारी के रोग संचरण को लेकर चिकित्सा वैज्ञानिकों में मतभेद सामने आ रहे हैं। जिनेवा स्थित विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इस सप्ताह स्वीकार किया था कि कोरोना वायरस हवा में तैरने वाली छोटी बूंदों के जरिये फैल सकता है।
एयरोसोल साइंस के 200 से अधिक विशेषज्ञों ने सार्वजनिक रूप से शिकायत की कि यूएन एजेंसी इस जोखिम के बारे में जनता को चेतावनी देने में विफल रही है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार पानी की बेहद छोटी बूंदों के जरिए हवा से संक्रमण फैलने का खतरा वाकई है। लेकिन यह तब होता है, जब मेडिकल प्रोसीजर में एयरोसोल बनता है। ऐसी स्थिति संक्रमण के शिकार मरीज को वेंटिलेटर पर रखने के दौरान सांस की नली में पाइप डालते समय बनती है। कोलोराडो यूनिवर्सिटी के केमिस्ट जोस जिमेनेज ने कहा कि इस मुद्दे पर डब्ल्यूएचओ की गति ने दुर्भाग्य से महामारी को रोकने की गति को धीमा कर दिया है। एक सार्वजनिक पत्र पर हस्ताक्षर करते हुए जिमेनेज ने भी एजेंसी की गाइड लाइन को बदलने का आग्रह किया है। जिमेनेज और एयरोसोल ट्रांसमिशन के अन्य विशेषज्ञों ने कहा है कि डब्ल्यूएचओ को यह अवधारणा बहुत प्रिय है कि रोगाणु मुख्य रूप से एक दूषित व्यक्ति या वस्तु के संपर्क में आने के कारण फैलते हैं। लेकिन यह अवधारणा 20 वीं सदी की शुरुआत से चिकित्सा की संस्कृति का एक हिस्सा है।
एयरोसोल साइंस के 200 से अधिक विशेषज्ञों ने सार्वजनिक रूप से शिकायत की कि यूएन एजेंसी इस जोखिम के बारे में जनता को चेतावनी देने में विफल रही है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार पानी की बेहद छोटी बूंदों के जरिए हवा से संक्रमण फैलने का खतरा वाकई है। लेकिन यह तब होता है, जब मेडिकल प्रोसीजर में एयरोसोल बनता है। ऐसी स्थिति संक्रमण के शिकार मरीज को वेंटिलेटर पर रखने के दौरान सांस की नली में पाइप डालते समय बनती है। कोलोराडो यूनिवर्सिटी के केमिस्ट जोस जिमेनेज ने कहा कि इस मुद्दे पर डब्ल्यूएचओ की गति ने दुर्भाग्य से महामारी को रोकने की गति को धीमा कर दिया है। एक सार्वजनिक पत्र पर हस्ताक्षर करते हुए जिमेनेज ने भी एजेंसी की गाइड लाइन को बदलने का आग्रह किया है। जिमेनेज और एयरोसोल ट्रांसमिशन के अन्य विशेषज्ञों ने कहा है कि डब्ल्यूएचओ को यह अवधारणा बहुत प्रिय है कि रोगाणु मुख्य रूप से एक दूषित व्यक्ति या वस्तु के संपर्क में आने के कारण फैलते हैं। लेकिन यह अवधारणा 20 वीं सदी की शुरुआत से चिकित्सा की संस्कृति का एक हिस्सा है।