Coronavirus / दुनियाभर में फैला कोरोना राजस्थान के इस हिस्से को छू भी नहीं सका, जानिये क्यों?

Zoom News : Jun 08, 2021, 05:03 PM
RAJ: यह इलाका पश्चिमी राजस्थान में भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर स्थित जैसलमेर जिले में स्थित है। जैसलमेर जिले मुख्यालय से करीब 125 से 250 किलोमीटर तक का शाहगढ़ क्षेत्र आकार में काफी बड़ा है। सैकड़ों किलोमीटर क्षेत्र में फैले इस इलाके में करीब 10 हजार लोगों की आबादी निवास करती है। लेकिन कोरोना महामारी यहां दस्तक तक नहीं दे पाई है। यह इलाका अब तक इस महामारी से पूरी तरह से महफूज रहा है।

इसके पीछे जो वजह है उसे जानकार आप भी हैरान रह जायेंगे। कोरोना की रोकथाम के लिए सरकारों ने जो जरूरी गाइडलाइन इस दौर में तय की थी, उसकी पालना इस क्षेत्र के वाशिंदे स्वाभाविक तौर पर वर्षों से करते आ रहे हैं।

कोरोना ने अपनी दूसरी लहर में सीमावर्ती जैसलमेर जिले की 206 में से 203 ग्राम पंचायतों तक पांव पसार लिए थे, लेकिन वह शाहगढ़ और गत वर्ष इससे अलग कर बनाई गई दो अन्य ग्राम पंचायतों हरनाऊ और मांधला तक यह नहीं पहुंच पाई। यह रेतीला इलाका अपनी भौगोलिक परिस्थितियों के अलावा यहां के वाशिंदों के आपसी भाईचारे के लिए भी विख्यात है।

जिला मुख्यालय से सैकड़ों किमी की दूरी पर बसे इन ग्रामीणों तक कोरोना नहीं पहुंचने का बड़ा कारण ग्रामीणों का बाहरी लोगों से संपर्क ना के बराबर होना है। जिले में वैसे दो दर्जन ग्राम पंचायतें सीमावर्ती इलाके में शामिल की जाती हैं। लेकिन उनमें से केवल तीन ग्राम पंचायतों के कोरोना से बचे रहने पर प्रशासन भी ग्रामीणों की जीवन शैली की सराहना करते नहीं थकता है।

जैसलमेर जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी नारायणसिंह चारण ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर में जिले के शहरों-कस्बों के साथ गांवों तक में संक्रमण के मामले सामने आए। ऐसे में शाहगढ़ क्षेत्र की तीन ग्राम पंचायतें एक मिसाल बनकर उभरी हैं। कोरोना से बचकर रहने के लिए इस सीमाई क्षेत्र के बाशिंदों की तारीफ की जानी चाहिए। ये लोगों के घर जहां-जहां दूर-दूर हैं। वहीं ये लोग बेवजह इधर-घूमते भी नहीं हैं।

इस इलाके के लोगों की एक अलग ही दुनिया है। यहां के लोगों का बाहरी लोगों से बेहद कम संपर्क है। घोटारू से मुरार और मांधला से जनिया गांव तक ऐन अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बसे शाहगढ़ क्षेत्र में करीब दस हजार की आबादी निवास करती है। मुख्य तौर पर पशुपालन करने वाले ग्रामीणों का ज्यादा संपर्क बाहरी दुनिया से नहीं रहता है। चुनिंदा लोग जरूरी सामान लेने के लिए सम, रामगढ़ या जैसलमेर के बाजार तक आते हैं। वे अपने साथ दूसरों के लिए भी खरीदारी करके ले आते हैं।

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