Coronavirus / हॉरर फिल्में देखने वाले लोग कोरोना जैसी महामारी से जूझने में बेहतर होते हैं

AMAR UJALA : Jul 07, 2020, 12:40 PM
Coronavirus: कोरोना वायरस का बढ़ता संक्रमण दुनियाभर के लिए चिंता का सबब बना हुआ है। इस महामारी काल में वैक्सीन और दवा को लेकर आ रही सकारात्मक खबरें सुकून पहुंचा रही हैं तो दूसरी ओर सुबह से लेकर रात तक बढ़ते संक्रमण की खबरें तनाव दे रही हैं। कुछ शोध अध्ययनों में यह बताया जा चुका है कि कोरोना संबंधित खबरें बहुत ज्यादा देखने से भी मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। महामारी जैसी स्थिति के लिए हम मानसिक तौर पर पहले से कितने तैयार होते हैं? इसके पीछे कौन से कारक हो सकते हैं? क्या दुनिया का विनाश होने, आपदाओं संबंधित या अन्य तरह की डरावनी फिल्में देखने वाले लोग ऐसी स्थिति के लिए मानसिक तौर पर ज्यादा मजबूत होते हैं? आइए जानते हैं, इस बारे में हुआ शोध अध्ययन क्या कहता है:

डेनमार्क के आरहस यूनिवर्सिटी(University of Aarhus, Denmark) में हुए एक शोध के मुताबिक, जो लोग दुनिया का विनाश होने वाली, आपदाओं से निपटने वाली या अन्य तरह की हॉरर फिल्में ज्यादा देखते हैं, उनमें महामारी से जूझने की क्षमता बेहतर होती है। मनोवैज्ञानिकों ने इस अध्ययन में पाया कि सामाजिक अराजकता और वैश्विक व्यवस्था का पतन संबंधी फिल्में देखने वाले लोगों में महामारी से लड़ने के लिए मानसिक तौर पर ज्यादा तैयारी दिखी। 

इस शोध अध्ययन में दिखाया गया है कि दूसरे ग्रहों, दूसरी दुनिया, एलियन, जॉम्बी, वैम्पायर, आपदाएं, दुनिया का विनाश दिखाने वाली फिल्मों के शौकीन लोग मानसिक तौर पर ज्यादा मजबूत दिखे। ऐसे लोगों में परीक्षण के दौरान उच्च स्तर का लचीलापन और परिस्थितियों को झेलने की मानसिक तैयारी देखी गई।

शोधकर्ताओं का कहना है कि भयावह और डरावनी कहानियों के संपर्क में आने के कारण लोगों को इस तरह की रणनीतियों का अभ्यास करने की अनुमति मिलती है जो वास्तविक दुनिया में आई आपदाओं की स्थिति में फायदेमंद हो सकते हैं। यह अलग तरह का शोध अध्ययन रहा।

इस शोध अध्ययन में 310 प्रतिभागियों को शामिल किया गया, जिनसे उनकी पसंदीदा फिल्मों, वेब सीरिज और टीवी शो के बारे में पूछा गया। इसके साथ ही सभी प्रतिभागियों की मानसिक मजबूती का और आपदाओं या अन्य विकट परिस्थितियों में उनकी मानसिक तैयारी का भी शोधात्मक तरीके से परीक्षण किया गया। 

शोधकर्ताओं ने अध्ययन में पाया कि द कंटेजियन, 28 डेज लेटर जैसी फिल्में और द वॉकिंग डेड जैसे टीवी शो देखने वाले दर्शकों की मानसिक स्थिति मजबूत थी। ऐसे लोग अनायास ही परिदृश्यों का पूर्वाभ्यास कर चुके होते हैं। वहीं, जिन प्रतिभागियों ने इस तरह की फिल्में नहीं देखी थी उनकी मानसिक स्थिति अपेक्षाकृत कमजोर पाई गई। 

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