Live Hindustan : May 11, 2020, 10:29 PM
Coronavirus: देश में कोरोना के रोगियों में वायरस का संक्रमण नौ से दस दिनों के भीतर खत्म हो रहा है। इससे पहले अंतरराष्ट्रीय अध्ययनों में वायरस के शरीर में जीवित रहने की औसत अवधि 20 दिन मानी गई थी। लांसेट के एक अध्ययन में अधिकतम 37 दिन तक लोगों के शरीर में वायरस को जीवित पाया था। स्वास्थ्य मंत्रालय का दावा है कि देश में जितनी जांच अब तक हुई हैं, उनमें संक्रमण की रिपोर्ट नेगेटिव आने का औसत दस दिन है।केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा डिस्चार्ज नीति को लेकर जारी बयान में कहा है कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की प्रयोगशालाओं ने अपने अध्ययन में पाया है कि आरटी-पीसीआर टेस्ट पॉजिटिव आने के 10 दिनों के बाद देश में मरीजों की जांच नेगेटिव आ रही है। दूसरे कुछ हालिया अध्ययन बताते हैं कि लोगों में संक्रमण के लक्षण विकसित होने से दो दिन पूर्व वायरस लोड बढ़ना शुरू हो जाता है तथा अगले सात दिनों के भीतर यह डाउन हो जाता है।इस प्रकार कुल नौ दिन में व्यक्ति में वायरस का संक्रमण तकरीबन खत्म हो रहा है। जो गंभीर रोगी नहीं हैं तथा हल्के और बिना लक्षणों वाले हैं, उन्हें दस दिनों के भीतर अस्पताल से छुट्टी देने का मंत्रालय ने नियम बनाया है। शर्त यह है कि तीन दिनों से उन्हें बुखार न हो। अब उन्हें टेस्ट करने की भी जरूरत नहीं होगी। इसी प्रकार यदि ऐसे रोगी घर पर रह रहे हैं तो भी उन्हें दस दिन में स्वस्थ मान लिया जाएगा।बीमारी फैलने का खतरा नहीं-स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि इससे बीमारी फैलने का खतरा नहीं है। फिर भी एहतियात के तौर पर दस दिन पूरे होने के बाद कुल सात और दिन स्वस्थ हो चुके व्यक्ति को होम क्वारंटाइन पूरा करना है, इसलिए कोई खतरा नहीं है। इस प्रकार हल्के और मध्यम लक्षण वाले मरीजों का दस दिन में इलाज और बाद में सात दिन की होम क्वारंटाइन की अवधि तय कर दी गई है।टेस्ट से लक्षण आधारित इलाज की ओर-मंत्रालय ने कहा कि कोरोना मरीजों के उपचार को लेकर टेस्ट आधारित नीति की बजाय लक्षणों को आधार बनाया जा रहा है। कई देशों ने ऐसा किया है, इसलिए हल्के एवं मध्यम लक्षणों वाले मरीजों को डिस्चार्ज करते समय टेस्ट करने की जरूरत नहीं है। अब तक दो नेगेटिव टेस्ट रिपोर्ट तथा छाती का एक्सरे जरूरी था। अब सिर्फ गंभीर रोगियों के मामले में ही यह लागू होगा।हमारी समझ बढ़ती जा रही- वर्धमान महावीर मेडिकल कालेज के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के निदेशक डॉ. जुगल किशोर के अनुसार यह बदलाव अहम है। ऐसा इसलिए संभव हुआ क्योंकि दिन-प्रतिदिन इस वायरस के प्रति हमारी समझ बढ़ती जा रही है। कम दिन में शरीर का वायरस संक्रमण से मुक्त होना इसके विरुद्ध लड़ाई में कारगर साबित होगा लेकिन यह ध्यान रखना होगा कि सात दिन की होम क्वारंटाइन का कड़ाई से पालन सुनिश्चित होना चाहिए।