दिल्ली हिंसा / दिल्ली सरकार का आकलनः हिंसा की आग में 79 घर और 327 दुकानें राख

AMAR UJALA : Mar 04, 2020, 07:19 AM
नई दिल्ली | दिल्ली सरकार ने दंगों में हुए जान-माल के नुकसान का आकलन कर लिया है। दंगों के दौरान 79 घर और 327 दुकानें राख हो गईं। 168 मकानों में भारी आगजनी हुई। अब तक 41 मृतकों की पहचान हो गई है, जबकि 422 घायलों का दिल्ली के अस्पतालों में इलाज चल रहा है। सरकार ने दंगा पीड़ितों को करीब 25 लाख रुपये तात्कालिक मदद मुहैया कराई है।

मीडिया से वार्ता में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मंगलवार को बताया कि सरकार ने दंगा प्रभावित क्षेत्र में 18 एसडीएम व रात में चार अतिरिक्त मजिस्ट्रेट तैनात किए थे। दोनों जिलों में अधिकारियों ने बारीकी से मुआयना किया है। जिन घरों में ताले लगे हैं, वहां पड़ोसियों की मदद से संपर्क की कोशिश चल रही है। दंगे के नुकसान का आकलन कमोबेश कर लिया गया है। 

सोमवार शाम तक की रिपोर्ट के मुताबिक, दंगे से 79 घर राख हो गए। 168 घरों में भारी आगजनी हुई, जबकि 40 में मामूली नुकसान हुआ है। सर्वे का काम अभी जारी है। अभी पीड़ितों की लिस्ट में नए नाम जुड़ सकते हैं। पीड़ितों का तात्कालिक मदद के तौर पर 25,000 रुपये दिए जा रहे हैं। सोमवार शाम तक 25 लाख रुपये की मदद दे दी गई है। इसका ज्यादातर हिस्सा उत्तर पूर्वी जिले में दिया गया है।

बुधवार और बृहस्पतिवार को होगी पीटीएम

मनीष सिसोदिया ने बताया कि बच्चों व अभिभावकों में भरोसा जगाने के लिए बुधवार व बृहस्पतिवार को पीटीएमम बुलाई गई है। दोनों जिलों के सुबह और सामान्य शिफ्ट के स्कूलों की पीटीएम बुधवार शाम 2:30 बजे से 4:30 बजे तक होगी। शाम की शिफ्ट के स्कूलों की पीटीएम बृहस्पतिवार को 2:30-4:30 बजे के बीच होगी। पीटीएम में स्कूल के सभी बच्चों, शिक्षकों व अभिभावकों को बुलाया जा रहा है। इस दौरान बच्चों की काउंसलिंग की जाएगी। पीटीएम में वे खुद भी मौजूद रहेंगे। मनीष सिसोदिया ने कहा कि जिन बच्चों ने अपनी किताबें और पढ़ाई का सामान दंगों में खो दिया है, उन्हें दिल्ली सरकार स्टडी मटेरियल मुहैया कराएगी। सरकार ने 7 मार्च तक की गृह परीक्षाएं टाल दी हैं।

दिल्ली हिंसा में मृतकों की संख्या बढ़कर 48 हुई

उत्तरी-पूर्वी जिले में हुई हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 48 हो गई है। जीटीबी अस्पताल में उपचार के दौरान 18 वर्षीय आकिब की सोमवार को मौत हो गई। उसे 24 फरवरी को जीटीबी में भर्ती कराया गया था। उसके परिजन मुश्ताक ने बताया कि 24 फरवरी की शाम को भजनपुरा में हुई हिंसा में आकिब के सिर में चोट लगी थी और उसे जीटीबी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 

डॉक्टरों ने जांच के दौरान कहा था कि आकिब के सिर में खून जम गया है, इसलिए ऑपरेशन करना होगा। उपचार के दौरान ही सोमवार देर रात आकिब की मौत हो गई। मंगलवार सुबह पोस्टमार्टम के बाद आकिब का शव परिजनों को सौंप दिया गया। अब भी 6 शवों की पहचान बाकी है।

उपद्रवियों से बचने के लिए घरों के बाहर बदले नेमप्लेट

उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा के दौरान उपद्रवियों से घरों को बचाने के लिए कई लोगों ने नेमप्लेट बदल दिए थे। मिश्रित आबादी वाले इलाके में दोनों समुदाय के लोग खुद को बचाने के लिए इस तरह का कार्य कर सुरक्षित जगह चले गए थे। शिव विहार इलाके के निवासी 32 वर्षीय दीपक राजोरा 24 फरवरी को हिंसा शुरू होने पर अपने रिश्तेदार के घर गाजियाबाद चले गए थे। उन्होंने बताया कि घर छोड़ने से पहले मैंने अपने पिता के नाम का नेमप्लेटहटा दिया था। उन्हें देखकर मोहल्ले के दूसरे लोगों ने भी नेमप्लेट बदलने शुरू कर दिए थे। इससे पहले उपद्रवियों ने गली के दूसरे मकानों को आग के हवाले कर दिया था। कुछ इसी तरह अकरब सईद ने अपनी फर्नीचर की दुकान को बचाने के लिए होर्डिंग को हटा लिया था। उनके शोरूम के बाहर इकबाल फर्नीचर के नाम से बोर्ड लगा हुआ था। 

67 लोगों को लगी गोली, 154 को मारपीट के बाद जलाया

पूर्वी दिल्ली के जीटीबी अस्पताल में सबसे ज्यादा घायल और मरने वालों के शव पहुंचे थे। ऐसे में अस्पताल प्रबंधन ने एक रिपोर्ट तैयार की है, जिसके अनुसार 23 फरवरी की रात से अब तक 279 घायलों का उपचार किया गया है। इनमें से 67 को गोली लगी थी। 154 लोगों को मारपीट के बाद जलाया गया था। 58 लोग अन्य तरह की चोटों के कारण अस्पताल पहुंचे थे। 

अस्पताल की इस रिपोर्ट में उम्रवार भी घायलों की जानकारी दी गई है। इसके अनुसार, सबसे ज्यादा घायल 20 से 25 और 30 से 35 वर्ष के बीच के हैं। 52 घायल 20 से 25 और 54 30 से 35 आयु वर्ग के थे। 10 से 15 वर्ष वर्ष के चार और 70 वर्ष से ज्यादा आयु के 5 घायल भी भर्ती हुए थे। 27 घायलों की आयु का पता अस्पताल नहीं लगा पाया था। जीटीबी अस्पताल में कुल 38 शवों का पोस्टमार्टम किया गया है। प्रबंधन सूत्रों के मुताबिक, यह रिपोर्ट स्वास्थ्य मंत्री कार्यालय को भेजी जाएगी।

दिल्ली में हुई हिंसा में अब तक 48 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 600 से ज्यादा घायल हुए। जीटीबी अस्पताल के अलावा 52 घायल लोकनायक अस्पताल पहुंचे थे। 350 घायलों के उपचार का दावा अल हिंद अस्पताल ने भी किया है। लोकनायक अस्पताल में उपचार कराने वालों में 60 फीसदी मामले हड्डी टूटने और 20 फीसदी पत्थर-डंडों से मारपीट के थे। 20 फीसदी घायलों को तेजाब से जलाया गया था। अस्पतालों की रिपोर्ट के अनुसार, हिंसा में पत्थरों, डंडों, तेजाब, पेट्रोल, बंदूकों, चाकुओं और तलवारों सहित धारदार हथियारों का काफी इस्तेमाल किया गया था। इसके चलते सबसे ज्यादा गंभीर मरीज अस्पतालों में दाखिल हुए थे।

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