- भारत,
- 13-Aug-2025 09:51 PM IST
Rahul Gandhi News: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने हाल के दिनों में भारतीय चुनाव आयोग पर तीखे हमले किए हैं। समय के साथ-साथ उनके आरोपों की तीव्रता बढ़ती जा रही है। शुरू में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में छेड़छाड़ के दावों से शुरू हुआ यह विवाद अब 'मैच फिक्सिंग' और 'वोट चोरी' जैसे गंभीर आरोपों तक पहुंच गया है। हरियाणा, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के परिणामों के बाद विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस, ने चुनाव आयोग पर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ सांठगांठ का आरोप लगाया है। यह लेख इस विवाद की पृष्ठभूमि, प्रमुख घटनाओं और इसके राजनीतिक निहितार्थों का विश्लेषण करता है।
हरियाणा और मध्य प्रदेश से शुरू हुआ विवाद
विपक्ष का चुनाव आयोग पर हमला हरियाणा और मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद शुरू हुआ। इन राज्यों में प्रचार के दौरान सियासी माहौल ऐसा था कि कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों को जीत की उम्मीद थी। हालांकि, परिणाम अप्रत्याशित रहे और दोनों राज्यों में भाजपा ने सरकार बनाई। कांग्रेस ने इन परिणामों को खारिज करते हुए ईवीएम में छेड़छाड़ का आरोप लगाया। पार्टी नेताओं ने दावा किया कि जिन ईवीएम की बैटरी 99% चार्ज थी, उनमें कांग्रेस हारी, जबकि 60-70% चार्ज वाली मशीनों में उनकी जीत दर्ज हुई।
चुनाव आयोग ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया और प्रक्रिया की पारदर्शिता पर जोर देते हुए कहा कि ईवीएम में छेड़छाड़ संभव नहीं है। आयोग ने पहले भी हैकिंग के आरोपों का खंडन किया था और इस बार भी पूरी प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी देकर सफाई दी।
महाराष्ट्र में 'मैच फिक्सिंग' का आरोप
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति गठबंधन की जीत और देवेंद्र फडणवीस के फिर से मुख्यमंत्री बनने के बाद कांग्रेस ने एक बार फिर ईवीएम पर सवाल उठाए। पार्टी ने आरोप लगाया कि चुनाव में अभूतपूर्व 'धोखाधड़ी' हुई और ऐसी तकनीकों का इस्तेमाल किया गया, जिनसे सत्ताधारी दल को फायदा हुआ। राहुल गांधी ने कुछ समाचार पत्रों में लेख लिखकर दावा किया कि महाराष्ट्र चुनाव में 'मैच फिक्सिंग' हुई। उन्होंने लोकसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी की बढ़त और विधानसभा चुनाव में उसकी हार के बीच विरोधाभास को इस 'मैच फिक्सिंग' का सबूत बताया।
कांग्रेस ने बैलट पेपर से चुनाव कराने की मांग की, लेकिन चुनाव आयोग ने इन दावों को खारिज करते हुए तकनीकी और प्रशासनिक प्रक्रियाओं की पारदर्शिता पर जोर दिया।
बिहार में SIR और वोट चोरी का विवाद
महाराष्ट्र विवाद के बीच बिहार में चुनाव आयोग ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) का आदेश दिया। इस प्रक्रिया के तहत मतदाता सूची का ड्राफ्ट प्रकाशित हुआ, जिसमें करीब 65 लाख मतदाताओं के नाम काटे जाने की संभावना जताई गई। विपक्षी दलों, खासकर इंडिया गठबंधन, ने इसका तीव्र विरोध किया और इसे दलित, पिछड़े और गरीब वर्गों के मताधिकार को छीनने की साजिश करार दिया। ममता बनर्जी ने इसे बैकडोर से राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) लागू करने की कोशिश बताया।
विपक्ष ने SIR के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन शुरू किया। संसद के अंदर और बाहर 300 सांसदों ने प्रदर्शन किया और कई नेताओं को गिरफ्तार किया गया। इस बीच, मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंच गया।
कर्नाटक में 'वोट चोरी' का सनसनीखेज आरोप
राहुल गांधी ने हाल ही में दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर 2024 के लोकसभा चुनावों में कर्नाटक के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में 'सुनियोजित चुनावी धांधली' का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि डुप्लिकेट पंजीकरण, अमान्य पते और मतदाता प्रपत्रों के दुरुपयोग के जरिए एक लाख फर्जी वोट डाले गए। गांधी ने शकुन रानी जैसे मतदाताओं का उदाहरण दिया, जिनके बारे में उन्होंने दावा किया कि उन्होंने दो बार मतदान किया। इसके अलावा, उन्होंने आरोप लगाया कि एक ही पते पर 80 लोगों का पंजीकरण हुआ और मतदान केंद्रों से सीसीटीवी फुटेज मिटा दिए गए।
चुनाव आयोग ने इन दावों को खारिज करते हुए राहुल गांधी से हस्ताक्षरित हलफनामा मांगा। जब गांधी ने हलफनामा देने से इनकार किया, तो विभिन्न राज्यों के चुनाव आयोगों ने उन्हें नोटिस जारी किए और जवाब मांगा। कांग्रेस का दावा है कि ऐसी अनियमितताओं के कारण उनकी पार्टी को कम से कम 48 सीटों का नुकसान हुआ।
बिहार में मतदाता अधिकार यात्रा की तैयारी
राजनीतिक विश्लेषक ओम प्रकाश अश्क के अनुसार, बिहार विधानसभा चुनाव से पहले विपक्ष और चुनाव आयोग के बीच तकरार चरम पर है। राहुल गांधी 17 अगस्त से बिहार के 23 जिलों की 50 विधानसभा सीटों पर 'मतदाता अधिकार यात्रा' शुरू करने वाले हैं। इस यात्रा में तेजस्वी यादव, वामपंथी पार्टियां और इंडिया गठबंधन के अन्य नेता शामिल होंगे। इस दौरान चुनाव आयोग और भाजपा पर जमकर हमले किए जाएंगे।
पश्चिम बंगाल में भी तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी ने SIR का विरोध शुरू कर दिया है। ममता ने इसे एनआरसी की दिशा में एक कदम बताया है।