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- 05-Sep-2025 04:40 PM IST
India-US Tariff War: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ ने वैश्विक व्यापार में हलचल मचा दी है। यह नीति न केवल भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंधों को प्रभावित कर रही है, बल्कि देश के कुछ सबसे बड़े और प्रभावशाली कारोबारियों, जैसे मुकेश अंबानी, गौतम अडानी, नारायण मूर्ति, और लक्ष्मी मित्तल, पर भी इसका सीधा असर पड़ रहा है। इसके अलावा, टेक्सटाइल, ऑटोमोटिव, और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में भी गंभीर चुनौतियां सामने आ रही हैं। यह लेख इस टैरिफ के प्रभाव, भारतीय कंपनियों पर इसके असर, और इससे निपटने की रणनीतियों का विश्लेषण करता है।
प्रमुख कंपनियों पर प्रभाव
रिलायंस इंडस्ट्रीज (मुकेश अंबानी)
मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) भारत की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है, जिसका 45% राजस्व निर्यात से आता है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, RIL ने 2025 के पहले छह महीनों में रूस से 142 मिलियन बैरल कच्चा तेल खरीदा, जिससे कंपनी को लगभग 571 मिलियन डॉलर की बचत हुई। हालांकि, अमेरिकी टैरिफ के कारण इसके निर्यात पर भारी असर पड़ सकता है। RIL के ऊर्जा और डिजिटल प्रोजेक्ट्स, जिनमें गूगल, मेटा, और डिज्नी जैसे दिग्गज शामिल हैं, भी प्रभावित हो सकते हैं। कंपनी अब वैकल्पिक बाजारों की तलाश और उत्पादन लागत को कम करने की रणनीति पर काम कर रही है।
अडानी ग्रुप (गौतम अडानी)
गौतम अडानी की अडानी पोर्ट्स, जो भारत की सबसे बड़ी पोर्ट कंपनी है, 27% बाजार हिस्सेदारी के साथ देश के विदेशी व्यापार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ब्लूमबर्ग इंटेलिजेंस की विश्लेषक शेरोन चेन के अनुसार, टैरिफ के कारण विदेशी व्यापार में कमी से अडानी पोर्ट्स का कारोबार सबसे अधिक प्रभावित होगा। इसके अलावा, अडानी ग्रुप के सोलर पैनल्स, जो अमेरिका को निर्यात किए जाते हैं, भी इस टैरिफ की चपेट में हैं। अमेरिका भारत के सोलर मॉड्यूल्स का सबसे बड़ा खरीदार है, और टैरिफ से इस सेक्टर को भारी नुकसान हो सकता है। अडानी ग्रुप अब दक्षिण पूर्व एशिया और यूरोप जैसे वैकल्पिक बाजारों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
इंफोसिस (नारायण मूर्ति)
इंफोसिस, जिसके को-फाउंडर नारायण मूर्ति हैं, भी इस टैरिफ से अछूती नहीं रही। इंफोसिस के फैमिली ऑफिस कैटामारन वेंचर्स के अध्यक्ष दीपक पडाकी ने ब्लूमबर्ग को बताया, "हम एक कठिन दौर से गुजर रहे हैं। इससे निकलने का सबसे अच्छा तरीका है कि हम ऐसे प्रोडक्ट बनाएं जो ग्राहकों के लिए जरूरी हों, ताकि वे अतिरिक्त लागत भी चुकाने को तैयार हों।" आईटी सेक्टर, जो अमेरिकी बाजार पर काफी हद तक निर्भर है, को टैरिफ के कारण लागत में वृद्धि और प्रतिस्पर्धा में कमी का सामना करना पड़ सकता है।
आर्सेलरमित्तल (लक्ष्मी मित्तल)
लक्ष्मी मित्तल की आर्सेलरमित्तल, जो 2024 में अमेरिका को 6.7 अरब डॉलर का स्टील निर्यात कर चुकी है, को इस टैरिफ के कारण 150 मिलियन डॉलर के लाभ में कमी का अनुमान है। कंपनी अब अमेरिका में ही अपने निर्माण कार्य को बढ़ाने की रणनीति अपना रही है ताकि टैरिफ के प्रभाव को कम किया जा सके। यह रणनीति न केवल लागत को नियंत्रित करेगी, बल्कि स्थानीय रोजगार को भी बढ़ावा देगी।
रॉयल एनफील्ड (आयशर मोटर्स)
रॉयल एनफील्ड की मोटरसाइकिलें अमेरिकी बाजार में काफी लोकप्रिय हैं, लेकिन टैरिफ के कारण इनकी कीमतों में वृद्धि और बिक्री में कमी की आशंका है। कंपनी अब कनाडा में गोदाम खोलने की योजना बना रही है ताकि अमेरिकी बाजार में अपनी उपस्थिति बनाए रख सके। यह रणनीति टैरिफ के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकती है।
अन्य प्रभावित क्षेत्र
टेक्सटाइल और होम टेक्सटाइल
टेक्सटाइल और होम टेक्सटाइल सेक्टर पर टैरिफ का गहरा असर पड़ रहा है। वेलस्पन लिविंग, जिसे अपने राजस्व का 61% अमेरिका से प्राप्त होता है, को भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिका ने भारतीय टेक्सटाइल पर टैरिफ को 12% से बढ़ाकर 62% कर दिया है, जिससे भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता कम हो रही है। इसके परिणामस्वरूप, ऑर्डर बांग्लादेश और वियतनाम जैसे देशों की ओर शिफ्ट हो सकते हैं।
ऑटोमोटिव और इलेक्ट्रॉनिक्स
भारत फोर्ज, जिसने पिछले साल अमेरिका को 200 मिलियन डॉलर का माल निर्यात किया, और मदरसन ग्रुप जैसी कंपनियां भी प्रभावित हो रही हैं। पॉलीकैब के लिए तांबे पर टैरिफ एक बड़ी समस्या बन गया है, क्योंकि यह उनके उत्पादन लागत को बढ़ा रहा है। ऑटोमोटिव सेक्टर में, भारत के कुल ऑटो कंपोनेंट निर्यात का 27% अमेरिका को जाता है, और टैरिफ के कारण इस सेक्टर में भी नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है।
झींगा और ज्वेलरी
झींगा निर्यात, जो भारत के समुद्री खाद्य निर्यात का 66% हिस्सा है, पर 60% टैरिफ लागू होने से 2.4 अरब डॉलर के ऑर्डर प्रभावित हो सकते हैं। इसी तरह, ज्वेलरी और रत्न सेक्टर, विशेष रूप से सूरत और मुंबई में, को 10 अरब डॉलर के निर्यात पर असर पड़ने की आशंका है।
भारत की रणनीति और भविष्य की दिशा
भारत सरकार और कारोबारी इस चुनौती से निपटने के लिए कई कदम उठा रहे हैं। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने जवाबी टैरिफ से इनकार किया है, लेकिन नीतिगत, राजकोषीय, और कूटनीतिक उपायों के जरिए निर्यातकों और नौकरियों की रक्षा का वादा किया है। भारत 25,000 करोड़ रुपये के निर्यात संवर्धन मिशन पर काम कर रहा है, जिसमें नए बाजारों की तलाश और उत्पादन लागत को कम करने पर जोर दिया जा रहा है।
कंपनियां भी वैकल्पिक बाजारों, जैसे यूरोप, दक्षिण पूर्व एशिया, और मध्य पूर्व, की तलाश कर रही हैं। उदाहरण के लिए, ज्वेलरी निर्यातक दुबई और मैक्सिको में नए मैन्युफैक्चरिंग आधार स्थापित करने की योजना बना रहे हैं, जहां टैरिफ कम हैं।
