News18 : Apr 14, 2020, 11:26 AM
जयपुर। कोरोना (COVID-19) संकट काल में राजधानी जयपुर (Jaipur) के सीतापुरा औद्योगिक क्षेत्र में कार्य करने वाले दिहाड़ी मजदूरों को सोमवार को सरकार की ओर से राहत प्रदान करते हुए राशन सामग्री के किट उपलब्ध कराए गए। इस क्षेत्र में प्रदेश समेत उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और ओडिशा राज्य के मजदूर काम करते हैं। इन मजदूरों को खाद्य सुरक्षा मुहैया कराए जाने का मसला पिछले काफी समय से इनके हितों से जुड़े कई संगठन उठा रहे थे। उसके बाद इन मजदूरों को सूखे राशन के किट उपलब्ध कराए गए हैं। सरकार के इस कदम को पीयूसीएल समेत विभिन्न संगठनों ने सराहनीय बताया है।
किट में शामिल है यह सामग्री
दिहाड़ी मजदूरों को उपलब्ध कराए गए इस किट में 5 व्यस्क मजदूरों के बीच 5 किलो आटा, 1 किलो चावल, 1 किलो दाल, आधा किलो तेल और नमक शामिल है। मजदूरों के हितों से जुड़े संगठनों का कहना है कि अंतर राज्यीय मजदूर उस राज्य की जिम्मेदारी है जिस राज्य में वे काम करते हैं। चूंकि ये मजदूर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के लाभार्थी भी नहीं है, लिहाजा लॉकडाउन जैसे में हालात में इनका कोई धणीधोरी नहीं है। इनका ध्यान रखने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है।राशन सामग्री बढ़ाने की मांग
संगठनों ने कहा कि दिहाड़ी मजदूरों को दिए गया सूखा राशन अपर्याप्त है। उसकी मात्रा बढ़ाई जाए और उन्हें कम से कम 10 दिन की राशन सामग्री उपलब्ध कराई जायी। सरकार ने जो राशन किट उपलब्ध करवाए हैं। वैसा किट प्रत्येक मजदूर को दिया जाना चाहिए ताकि उसे 10 दिन राशन एक मुश्त प्राप्त हो सके।राशन किट्स की संख्या बढ़ाई जाए
संगठनों के मुताबिक इंडियन काउनसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के दिशा निर्देशों के तहत एक वयस्क मजदूर को एक माह में 14 किलो अनाज की ज़रुरत होती है। वहीं एक बच्चे को 7 किलो और एक बुज़ुर्ग को 9 किलो अनाज की आवश्यकता होती है। इस तरह 10 किलो प्रति यूनिट के हिसाब से औसतन 50 किलो राशन एक परिवार को मिलता है जो एक परिवार के लिए पर्याप्त हो पाता है। ICMR के कायदे से यह बहुत कम है। इसके साथ ही संगठनों ने मांग की है कि इनके वितरण की संख्या बढाई जाए, क्योंकि मजदूरों की संख्या बहुत ज्यादा है। फिलहाल करीब 5000 किट का वितरण किया गया है।ये संगठन उठा रहे हैं मजदूरों की आवाज
मजदूरों के हितों की आवाज उठाने वाले इन संगठनों में पीयूसीएल राजस्थान की कविता श्रीवास्तव और मजदूर किसान शक्ति संगठन के सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे समेत सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज, निर्माण एवं जनरल मजदूर यूनियन और राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन तथा अन्य कई संगठन शामिल हैं।
किट में शामिल है यह सामग्री
दिहाड़ी मजदूरों को उपलब्ध कराए गए इस किट में 5 व्यस्क मजदूरों के बीच 5 किलो आटा, 1 किलो चावल, 1 किलो दाल, आधा किलो तेल और नमक शामिल है। मजदूरों के हितों से जुड़े संगठनों का कहना है कि अंतर राज्यीय मजदूर उस राज्य की जिम्मेदारी है जिस राज्य में वे काम करते हैं। चूंकि ये मजदूर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के लाभार्थी भी नहीं है, लिहाजा लॉकडाउन जैसे में हालात में इनका कोई धणीधोरी नहीं है। इनका ध्यान रखने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है।राशन सामग्री बढ़ाने की मांग
संगठनों ने कहा कि दिहाड़ी मजदूरों को दिए गया सूखा राशन अपर्याप्त है। उसकी मात्रा बढ़ाई जाए और उन्हें कम से कम 10 दिन की राशन सामग्री उपलब्ध कराई जायी। सरकार ने जो राशन किट उपलब्ध करवाए हैं। वैसा किट प्रत्येक मजदूर को दिया जाना चाहिए ताकि उसे 10 दिन राशन एक मुश्त प्राप्त हो सके।राशन किट्स की संख्या बढ़ाई जाए
संगठनों के मुताबिक इंडियन काउनसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के दिशा निर्देशों के तहत एक वयस्क मजदूर को एक माह में 14 किलो अनाज की ज़रुरत होती है। वहीं एक बच्चे को 7 किलो और एक बुज़ुर्ग को 9 किलो अनाज की आवश्यकता होती है। इस तरह 10 किलो प्रति यूनिट के हिसाब से औसतन 50 किलो राशन एक परिवार को मिलता है जो एक परिवार के लिए पर्याप्त हो पाता है। ICMR के कायदे से यह बहुत कम है। इसके साथ ही संगठनों ने मांग की है कि इनके वितरण की संख्या बढाई जाए, क्योंकि मजदूरों की संख्या बहुत ज्यादा है। फिलहाल करीब 5000 किट का वितरण किया गया है।ये संगठन उठा रहे हैं मजदूरों की आवाज
मजदूरों के हितों की आवाज उठाने वाले इन संगठनों में पीयूसीएल राजस्थान की कविता श्रीवास्तव और मजदूर किसान शक्ति संगठन के सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे समेत सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज, निर्माण एवं जनरल मजदूर यूनियन और राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन तथा अन्य कई संगठन शामिल हैं।