India-US Tariff War / भारत से टैरिफ पर पंगा लेकर कैसे घिरे ट्रंप? 6 प्वाइंट में समझिए

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के भारी-भरकम टैरिफ ने भारत, ब्राजील, चीन और रूस जैसे देशों को करीब ला दिया है। BRICS दोबारा मजबूती पा रहा है, जो अमेरिकी विदेश नीति के लिए चुनौती है। टैरिफ के खिलाफ यूरोप से भी आवाज उठ रही है, जिससे वैश्विक व्यापार समीकरण बदल सकते हैं।

India-US Tariff War: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा विभिन्न देशों पर लगाए गए भारी-भरकम टैरिफ वैश्विक व्यापार और कूटनीति में एक नए दौर की शुरुआत कर रहे हैं। भारत, ब्राजील, चीन और अन्य देशों पर लगाए गए ये शुल्क न केवल इन देशों के साथ अमेरिका के संबंधों को प्रभावित कर रहे हैं, बल्कि एक नए वैश्विक व्यवस्था को भी जन्म दे रहे हैं, जो अमेरिकी विदेश नीति के लिए चुनौती बन सकता है।

ट्रंप की टैरिफ रणनीति और उसका उद्देश्य

ट्रंप ने भारत, ब्राजील, और अन्य देशों पर 50% तक के टैरिफ लगाकर इनके सामानों को अमेरिकी बाजार में महंगा कर दिया है। भारत पर निशाना साधते हुए ट्रंप का तर्क है कि रूस से तेल खरीदकर भारत यूक्रेन युद्ध को बढ़ावा दे रहा है। इसके पीछे उनकी मंशा साफ है:

  • रूस को यूक्रेन के साथ समझौते के लिए मजबूर करना।

  • भारत पर अपने कृषि और डेयरी सेक्टर को खोलने का दबाव डालना।

  • चीन की मैन्युफैक्चरिंग ताकत को कमजोर करना।

  • ब्राजील को उसकी बढ़ती वैश्विक मुखरता की सजा देना।

हालांकि, इस रणनीति का उल्टा असर हो रहा है। ये देश न केवल एक-दूसरे के करीब आ रहे हैं, बल्कि BRICS जैसे मंचों के जरिए एक समानांतर वैश्विक व्यवस्था को मजबूत कर रहे हैं।

भारत-ब्राजील: नई साझेदारी की ओर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा के बीच हाल ही में हुई बातचीत इस बदलते परिदृश्य का एक उदाहरण है। दोनों नेताओं ने व्यापार, तकनीक, ऊर्जा, रक्षा, कृषि और स्वास्थ्य क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई। ब्राजील, जो भारत की तरह ही 50% टैरिफ का सामना कर रहा है, ने ट्रंप की नीतियों की खुलकर आलोचना की है। यह बातचीत BRICS देशों के बीच बढ़ते सामंजस्य का संकेत है।

चीन का समर्थन और SCO समिट

चीन ने भी भारत के खिलाफ अमेरिकी टैरिफ की आलोचना की है। भारत में चीन के राजदूत शू फेइहोंग ने कहा कि टैरिफ का हथियार के रूप में उपयोग न केवल संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन है, बल्कि यह विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों को भी कमजोर करता है। यह बयान दर्शाता है कि चीन इस मुद्दे पर भारत और ब्राजील के साथ खड़ा है। साथ ही, प्रधानमंत्री मोदी के सात साल बाद चीन दौरे और आगामी SCO समिट में उनकी भागीदारी से यह साझेदारी और मजबूत होगी।

BRICS का पुनर्जनन

Reuters की एक रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप के टैरिफ BRICS देशों—ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, और हाल ही में शामिल हुए ईरान, इथियोपिया, इंडोनेशिया, मिस्र और UAE—को एकजुट करने का अवसर दे रहे हैं। ये देश स्थानीय मुद्राओं में व्यापार, संयुक्त बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और वैकल्पिक वित्तीय संस्थानों को मजबूत करने की दिशा में काम कर रहे हैं। यह ट्रंप के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है, क्योंकि वे BRICS की एकजुटता को हमेशा खतरे के रूप में देखते आए हैं।

रूस के साथ भारत की नजदीकी

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की मॉस्को में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात और विदेश मंत्री एस. जयशंकर की आगामी रूस यात्रा इस बात का संकेत है कि भारत अपनी वैकल्पिक साझेदारियों को मजबूत करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा। खबरें हैं कि पुतिन जल्द ही भारत का दौरा भी कर सकते हैं।

यूरोप में भी असंतोष

ट्रंप के टैरिफ का असर यूरोप तक पहुंच रहा है। स्विट्जरलैंड में कुछ राजनेताओं ने अमेरिका से 9.1 अरब डॉलर के F-35A लड़ाकू विमान सौदे को रद्द करने की मांग की है, क्योंकि अमेरिका ने स्विट्जरलैंड पर 39% टैरिफ लगा दिया। यह दर्शाता है कि ट्रंप की नीतियां अमेरिका के पारंपरिक सहयोगियों को भी नाराज कर रही हैं।

वैकल्पिक वैश्विक व्यवस्था की ओर

The Guardian की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कई देश अब अमेरिकी दबाव से बचने के लिए वैकल्पिक रास्ते तलाश रहे हैं। स्थानीय मुद्राओं में व्यापार, संयुक्त परियोजनाएं और वैकल्पिक वित्तीय संस्थानों का विकास इसके उदाहरण हैं। अगर यह रुझान तेज होता है, तो वैश्विक व्यापार के समीकरण पूरी तरह बदल सकते हैं।