दुनिया / भारत-जापान तो बहाना है अमेरिका असली निशाना, गलवां जैसी हरकत से परखने की कवायद

AMAR UJALA : Jun 27, 2020, 08:24 AM
China: चीनी सेना भले ही भारत और जापान समेत अपने सभी पड़ोसियों के साथ तनाव भड़का रही है, लेकिन इसके बहाने उसका निशाना अमेरिका पर है। यह दावा प्रमुख अमेरिकी विशेषज्ञों का है। चीन की तरफ से हिमालय से लेकर दक्षिण चीन सागर तक अपने क्षेत्रीय दावों को आक्रामक रूप देने का हवाला देते हुए विशेषज्ञ आने वाले दिनों में घातक टकराव बढ़ने की चेतावनी देते हैं। 

बता दें कि चीनी सेना जब भारतीय सैनिकों के साथ जानलेवा झड़प में व्यस्त थी, उसी दौरान चीन की एक पनडुब्बी पूर्वी चीन सागर में जापान के दावे वाले जलक्षेत्र तक पहुंच गई थी।

जब कोरोना ने पूरी दुनिया का ध्यान भटका रखा है, तब इस महामारी का जनक चीन पड़ोसियों की सीमाओं में अतिक्रमण कर जंग पर उतारू  है। 

बीते दो माह में ड्रैगन के अड़ियल सैन्य रवैये ने एशिया से वॉशिंगटन तक तमाम राष्ट्राध्यक्षों का ध्यान आकर्षित किया है। जानकारों का कहना है कि चीन दंबगई से भले ही अपनी सैन्य क्षमता और विश्वास की नुमाइश कर रहा हो, लेकिन असल में वह कोरोना से लेकर हांगकांग, ताइवान समेत अन्य मसलों पर अमेरिका के साथ सीधा टकराव पैदा कर रहा है।

दक्षिण एशिया में तनाव की आशंकाएं

चीन का दावा है कि सीमाओं पर उसकी मौजूदा कार्रवाई रक्षात्मक है लेकिन हकीकत में उसने युद्ध जैसे हालात पैदा किए हैं। 15 जून की रात गलवां घाटी में भारत के साथ सीमा पर उसकी हरकत सीधे तौर पर इसका सुबूत है। चीनी विश्लेषक, भारतीय मीडिया रिपोर्टों और अमेरिकी इंटेलीजेंस के अनुसार, इस संघर्ष में चीन को 1979 के वियतनाम युद्ध के बाद पहली दफा कई सैनिक गंवाने पड़े हैं।

हालांकि संख्या का खुलासा नहीं हुआ है। मौजूदा हालात के मद्देनजर दक्षिण एशिया में अमेरिका की सैन्य गतिविधि बढ़ी है। दक्षिण चीन सागर अध्ययन के लिए बने राष्ट्रीय संस्थान के अध्यक्ष वु शिचुन का कहना है, अब इस क्षेत्र में तनाव की आशंकाएं बढ़ गई हैं।

अमेरिका के खिलाफ सैन्य तैयारियों पर जोर

चीन अर्से से कथित सीमा और हितों की रक्षा के लिए जबरदस्ती करता आया है, लेकिन अब  कहीं ज्यादा सैन्य गतिविधियों को अंजाम दे रहा है। विश्लेषकों का कहना है, राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सेना को मैदानी जंग से ज्यादा हवा, पानी और साइबर हमलों के लिए तैयार करने पर जोर दिया है।

कोरोना में भी सेना पर खर्चा बढ़ाया

पहले ट्रेड वॉर और अब महामारी में अमेरिका से गहराते टकराव के चलते उसने सैन्य क्षमताओं को सर्वोच्च प्राथमिकता बनाया है। जब दुनियाभर में महामारी काल में खर्चों में कटौती हो रही है, तब ड्रैगन ने सेना का बजट साढ़े छह फीसदी यानी 180 अरब डॉलर बढ़ा दिया। यह राशि अमेरिकी सैन्य बजट की एक चौथाई है। 

हाल में, नेशनल पीपुल्स कांग्रेस में जिनपिंग ने कोरोना के केंद्र वुहान में चीनी सेना के योगदान को सराहा। साथ ही, महामारी के कारण सुरक्षा पर बढ़े खतरे पर भी जोर दिया। कहा, सेना को वास्तविक सैन्य प्रशिक्षण और सैन्य अभियानों को पूरा करने के लिए क्षमता में व्यापक सुधार करना चाहिए।

अमेरिकी नौसेना की बराबरी भी

वैसे तो चीनी सेना को समग्र रूप से अमेरिकी बलों से काफी पीछे माना जाता है। लेकिन उसने नौसेना शक्ति में विस्तार, एंटी-शिप और विमान-रोधी मिसाइलों से समुद्र में अमेरिका की बराबरी कर ली है।

अमेरिकी कांग्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल के अंत तक चीन ने 335 युद्धपोत खड़े कर लिए, जो अमेरिका (285) से अधिक है। पश्चिमी प्रशांत महासागरीय में युद्ध नियंत्रण प्राप्त करने में अमेरिकी को चीन ने बड़ी चुनौती पेश की है। अमेरिकी नौसेना के लिए शीत युद्ध के बाद इस तरह की पहली चुनौती है।

ताइवान, जापान से मलयेशिया तक बदनीयती

चीन ने ताइवान के नजदीक सैन्य हरकतें तेजी से बढ़ाई हैं। पिछले हफ्ते चीनी विमानों ने ताइवानी हवाई क्षेत्र में उड़ान भरी। अगस्त में ड्रैगन सैन्य अभ्यास भी करने जा रहा है, जो ताइवान के प्रतास द्वीपसमूहों पर कब्जे की दिशा में देखा जा रहा है। दक्षिण चीन सागर में भी उसने दो प्रशासकीय जिले बना दिए हैं। 

अप्रैल में ही चीन के तटरक्षकों ने वियतनामी मत्स्य नौका को डुबो दिया। इसी माह एक मलयेशियाई तेल के जहाज का पीछा किया। इस पर ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका ने चार युद्धपोत भेज दिए थे। पूर्वी चीन सागर में जापान के पास 2018 के बाद पहली बार पिछले हफ्ते चीनी पनडुब्बी देखी गई। जापान को परमाणु पनडुब्बी भेजनी पड़ी। चीन जापान के सेंकाकू द्वीप समूह पर काफी समय से दावा जताता रहा है।

चीनी सेना की पोल खुली

जानकारों का कहना है कि चीनी सेना की युद्ध क्षमता की पोल खुल गई है। चीन ने गलवां में हुए नुकसान का खुलासा नहीं किया हो लेकिन एक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय फौजियों 16 चीनियों के शव देखे थे। वहीं, अमेरिका के अनुसार, चीन ने 30 जवान गंवाए हैं।

तनाव में होगा इजाफा

विश्लेषकों के मुताबिक, भारत के रुख को अमेरिकी आक्रामकता के तौर पर देख रहा है। अमेरिका ने दक्षिण चीन सागर में युद्धपोत भेजे हैं और ताइवान का समर्थन किया है। अमेरिका ताइवान को एफ-16 फाइटर जेट बेचने वाला है। विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी चुनाव तक तो तनाव में और बढ़ने वाला है।

SUBSCRIBE TO OUR NEWSLETTER