News18 : Sep 19, 2020, 07:24 AM
नई दिल्ली। दक्षिण एशिया में चीन (China) के बढ़ते प्रभाव का देखते हुए भारत (India) और जापान (Japan) ने पड़ोसी देशों के साथ मिलकर काम करने की योजना पर विचार करना शुरू कर दिया है। भारत अपने पड़ोसी मुल्क श्रीलंका, बांग्लादेश और म्यामांर जैसे देशों के साथ मिलकर चीन की बादशाहत को खत्म करना चाहता है। भारत के इस कदम को चीन की विस्तारवादी नीति के खिलाफ उठाया गया कदम माना जा रहा है। इसी के साथ चीन के खिलाफ तैयार इस रणनीति को भारत और जापान की मजबूत होती गठजोड़ का प्रतीक माना जा रहा है। इस पूरे मामले में विदेश मंत्री एस जयशंकर (S jaishankar) ने कहा कि दोनों देशों ने तीसरे देशों में काम करने के व्यावहारिक पहलुओं पर काम करना शुरू कर दिया है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के साथ चल रहे तनाव के बीच बताया कि भारत और जापान ने हाल ही में सैन्य सहयोग को लेकर एक समझौते पर दस्तखत किए है। हिंद महासागर और प्रशांत महासागर में अभी जिस तरह के हालात हैं वह दोनों देशों की सोच को दर्शाता है। उन्होंने दोनों देश ने मिलकर जिस तरह के समझौतों पर बात की है, उससे नि:संदेह एशिया में सुरक्षा और स्थिरता को और मजबूती मिलेगी। इंडस्ट्री चैंबर फिक्की की ओर से आयोजित एक कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए विदेश मंत्री ने कहा अब समय आ गया है कि एशिया के बड़े और महत्वपूर्ण देशों को एकजुट हो जाना चाहिए।उन्होंने कहा कि एक-दूसरे के प्रति सशंकित रहकर किसी भी देश को कोई फायदा नहीं होने वाला है। विदेश मंत्री का ये बयान ऐसे वक्त में आया है जब भारत और चीन के बीच तनाव चरम पर है। ऐसे में भारत की पड़ोसी देशों के साथ की जा रही किलेबंदी को चीन की ताकत खत्म करने की ओर उठाया गया कदम बताया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर वैश्विक राजनीति में एशिया को और उन्नत स्थान दिलाना है तो एशिया के सभी बड़े देशों को एक साथ आगे आना होगा।
तीसरे देशों के साथ मिलकर काम करेंगे भारत-जापानजापान से साथ भारत के मजबूत होते रिश्तों के बारे में बोलते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों ही देश अब तीसरे देशों के साथ मिलकर काम करने की सोच रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने अपने इस प्रयास को आगे बढ़ाना शुरू कर दिया है लेकिन अभी ये शुरुआती चरण में है। उन्होंने बताया कि श्रीलंका के साथ हमने काम भी करना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि दोनों देश इस बात का भी पता लगा रहे हैं कि बांग्लादेश और म्यांमार के बीच समन्वय और सहयोग कैसे बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इससे हम पड़ोसी देशों से अपने रिश्तों को अलग मुकाम तक ले जा सकेंगे।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के साथ चल रहे तनाव के बीच बताया कि भारत और जापान ने हाल ही में सैन्य सहयोग को लेकर एक समझौते पर दस्तखत किए है। हिंद महासागर और प्रशांत महासागर में अभी जिस तरह के हालात हैं वह दोनों देशों की सोच को दर्शाता है। उन्होंने दोनों देश ने मिलकर जिस तरह के समझौतों पर बात की है, उससे नि:संदेह एशिया में सुरक्षा और स्थिरता को और मजबूती मिलेगी। इंडस्ट्री चैंबर फिक्की की ओर से आयोजित एक कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए विदेश मंत्री ने कहा अब समय आ गया है कि एशिया के बड़े और महत्वपूर्ण देशों को एकजुट हो जाना चाहिए।उन्होंने कहा कि एक-दूसरे के प्रति सशंकित रहकर किसी भी देश को कोई फायदा नहीं होने वाला है। विदेश मंत्री का ये बयान ऐसे वक्त में आया है जब भारत और चीन के बीच तनाव चरम पर है। ऐसे में भारत की पड़ोसी देशों के साथ की जा रही किलेबंदी को चीन की ताकत खत्म करने की ओर उठाया गया कदम बताया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर वैश्विक राजनीति में एशिया को और उन्नत स्थान दिलाना है तो एशिया के सभी बड़े देशों को एक साथ आगे आना होगा।
तीसरे देशों के साथ मिलकर काम करेंगे भारत-जापानजापान से साथ भारत के मजबूत होते रिश्तों के बारे में बोलते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों ही देश अब तीसरे देशों के साथ मिलकर काम करने की सोच रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने अपने इस प्रयास को आगे बढ़ाना शुरू कर दिया है लेकिन अभी ये शुरुआती चरण में है। उन्होंने बताया कि श्रीलंका के साथ हमने काम भी करना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि दोनों देश इस बात का भी पता लगा रहे हैं कि बांग्लादेश और म्यांमार के बीच समन्वय और सहयोग कैसे बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इससे हम पड़ोसी देशों से अपने रिश्तों को अलग मुकाम तक ले जा सकेंगे।