- भारत,
- 23-Aug-2025 08:40 PM IST
Sergio Gor: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 38 वर्षीय सर्जियो गोर को भारत में अगला अमेरिकी राजदूत नियुक्त करने की घोषणा की है। गोर, जो वर्तमान में व्हाइट हाउस के प्रेसिडेंशियल पर्सनेल ऑफिस के डायरेक्टर हैं, ट्रंप के पुराने दोस्त और विश्वसनीय सहयोगी माने जाते हैं। इसके साथ ही, उन्हें दक्षिण और मध्य एशिया के लिए विशेष दूत की अतिरिक्त जिम्मेदारी भी सौंपी गई है। इस नियुक्ति ने वैश्विक कूटनीति में हलचल मचा दी है, खासकर तब जब भारत और अमेरिका के बीच रिश्ते हाल के दिनों में तनावपूर्ण रहे हैं।
नियुक्ति का समय और संदर्भ
गोर की नियुक्ति की घोषणा ऐसे समय में हुई है जब भारत-अमेरिका संबंधों में कुछ तनाव देखा जा रहा है। हाल ही में, ट्रंप प्रशासन ने भारतीय सामान पर टैरिफ को 50% तक बढ़ा दिया, जिसे भारत ने व्यापारिक असंतुलन का जवाब माना। इसके जवाब में, भारत ने भी अपनी रणनीति को फिर से संतुलित करने की कोशिश शुरू की है। नई दिल्ली अब यूरोपीय संघ के साथ व्यापार समझौतों को बढ़ावा दे रही है और रूस-चीन के साथ अपने रिश्तों को मजबूत करने की दिशा में कदम उठा रही है। इस पृष्ठभूमि में, गोर की नियुक्ति को ट्रंप का एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है।
सर्जियो गोर को क्यों चुना गया?
सर्जियो गोर का भारत या दक्षिण एशिया से कोई विशेष अनुभव नहीं है, फिर भी उनकी नियुक्ति अमेरिकी राजनीति की उस परंपरा का हिस्सा है जिसमें राष्ट्रपति अपने करीबी और भरोसेमंद सहयोगियों को महत्वपूर्ण कूटनीतिक पदों पर नियुक्त करते हैं। उदाहरण के लिए, पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन ने लॉस एंजेलिस के पूर्व मेयर एरिक गार्सेटी को भारत का राजदूत नियुक्त किया था। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि गोर की नियुक्ति के पीछे ट्रंप का मकसद भारत को यह संदेश देना है कि अब दोनों देशों के बीच बातचीत सीधे राष्ट्रपति स्तर पर होगी। गोर की ट्रंप के साथ पुरानी नजदीकी और उनकी वफादारी इस नियुक्ति को और भी महत्वपूर्ण बनाती है।
भारत-अमेरिका रिश्तों में तनाव
हाल के वर्षों में, भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में कई मुद्दों पर मतभेद उभरे हैं। खास तौर पर, भारत का रूस से तेल खरीदना वाशिंगटन को पसंद नहीं आया है। अमेरिका चाहता है कि भारत रूस से दूरी बनाए, लेकिन भारत ने इस मांग को स्पष्ट रूप से ठुकरा दिया है। इसके जवाब में, ट्रंप ने भारतीय सामानों पर भारी टैरिफ लगाए, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ गया। इसके बावजूद, भारत ने अपनी स्वतंत्र विदेश नीति को बनाए रखा है और वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए रूस और चीन के साथ रिश्तों को संतुलित करने पर ध्यान दिया है।
सर्जियो गोर का परिचय
सर्जियो गोर का जन्म उज्बेकिस्तान में हुआ था, जब यह क्षेत्र सोवियत संघ का हिस्सा था। बाद में उनका परिवार माल्टा चला गया, और उन्होंने अपनी शिक्षा अमेरिका में पूरी की। गोर ने रिपब्लिकन पार्टी की राजनीति में सक्रियता दिखाई और सीनेटर रैंड पॉल के साथ काम किया। उन्होंने फंडरेजिंग, किताबों के प्रकाशन, और यहाँ तक कि शौकिया तौर पर शादी-ब्याह में डीजे के रूप में भी काम किया है। ट्रंप के साथ उनकी नजदीकी कई वर्षों से बनी हुई है, और वह ट्रंप के सबसे भरोसेमंद सहयोगियों में से एक माने जाते हैं।
हालांकि, गोर की राजदूत के रूप में नियुक्ति को अभी अमेरिकी सीनेट की मंजूरी मिलनी बाकी है। तब तक वह अपने वर्तमान पद पर बने रहेंगे। उनकी नियुक्ति को लेकर कुछ विवाद भी उठे हैं, क्योंकि कुछ आलोचकों का कहना है कि गोर का कूटनीतिक अनुभव सीमित है। फिर भी, ट्रंप का यह कदम भारत के साथ रिश्तों को नई दिशा देने की उनकी मंशा को दर्शाता है।
भविष्य की संभावनाएँ
सर्जियो गोर की नियुक्ति भारत-अमेरिका संबंधों के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकती है। यदि वह भारत के साथ रचनात्मक बातचीत और सहयोग को बढ़ावा देने में सफल होते हैं, तो यह दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने में मददगार हो सकता है। दूसरी ओर, यदि भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ युद्ध और रूस को लेकर मतभेद बरकरार रहते हैं, तो गोर के लिए यह भूमिका चुनौतीपूर्ण होगी।
