Jaisalmer Bus Fire / जैसलमेर बस हादसे पर गंभीर सवाल: नहीं था इमरजेंसी गेट, कैसे लॉक हुआ दरवाजा?

राजस्थान के जैसलमेर में 14 दिन पुरानी एसी स्लीपर बस में लगी आग से 20 यात्रियों की मौत और 15 घायल हो गए। हादसे के बाद बस में इमरजेंसी गेट न होने और मुख्य दरवाजे के लॉक होने जैसी कई तकनीकी खामियां सामने आई हैं, जिससे यात्रियों की जान बचाई जा सकती थी।

Jaisalmer Bus Fire: राजस्थान के जैसलमेर में मंगलवार को हुए एक भयावह बस हादसे ने पूरे देश को झकझोर दिया है। जैसलमेर से जोधपुर जा रही एक एसी स्लीपर बस में आग लगने से कम से कम 20 यात्रियों की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि 15 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। यह हादसा दोपहर करीब 3:30 बजे तब हुआ जब बस हाईवे पर थी और अचानक उसमें से धुआं उठने लगा, जो पल भर में भीषण लपटों में तब्दील हो गया।

तकनीकी खामियां बनीं मौत का कारण

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आग इतनी भयानक थी कि लोग पास जाने से भी डर रहे थे। हादसे के बाद बस की कई गंभीर तकनीकी खामियां उजागर हुई हैं, जिन्होंने मौतों की संख्या बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई। सबसे बड़ी खामी यह थी कि बस में यात्रियों को बाहर निकलने के लिए कोई इमरजेंसी गेट नहीं था और आग की लपटों से घिरने के कारण मुख्य दरवाजा भी लॉक हो गया, जिससे यात्री अंदर ही फंसे रह गए। इसके अलावा, बस में कोई वेंटिलेशन सिस्टम नहीं था और अगर कोई फायर सिस्टम था तो वह भी काम नहीं कर सका, जिस पर सवाल उठ रहे हैं। यह बस 'केके ट्रैवल्स' की थी और चौंकाने वाली बात यह। है कि इसे मात्र 14 दिन पहले ही खरीदा गया था।

1 अक्टूबर को इसका रजिस्ट्रेशन हुआ, 9 अक्टूबर को परमिट मिला और 14 अक्टूबर को यह भीषण हादसा हो गया। यह घटना AC बसों में सुरक्षा उपायों की कमी को उजागर करती है और विशेषज्ञों के अनुसार, प्रत्येक AC बस में कम से कम दो फायर एक्सटिंग्विशर, एक इमरजेंसी एग्जिट दरवाजा और खिड़कियां, शीशा तोड़ने के लिए हैमर, आग प्रतिरोधी सामग्री, इमरजेंसी लाइटिंग, CCTV कैमरे, GPS ट्रैकिंग, ऑटोमेटिक फायर अलर्ट सेंसर और स्पीड गवर्नर होने चाहिए। साथ ही, RTO को हर 6 महीने में बसों की सुरक्षा ऑडिट करनी चाहिए और ड्राइवरों को आग सुरक्षा ड्रिल तथा प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण मिलना अनिवार्य है। घायलों को जोधपुर के अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनका इलाज चल रहा है।