Vikrant Shekhawat : Jan 16, 2020, 12:36 PM
राजस्थान में सरपंच चुनावों की तैयारियां पूरी हो चुकी है.... पहले चरण के मतदान के लिये प्रत्याशियों को चुनाव चिन्ह भी मिल चुके है.... बस अब बारी है मतदाताओं के मतदान की..... इन्हीं चुनावी सरगर्मियों के बीच ज़ूम न्यूज़ की टीम ने रुख किया जयपुर से करीब 40 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत झरना का....ये जानने के लिए कि नई बनने वाली गांव की सरकार को लेकर गावों में किस तरह की तैयारिया चल रही है...... क्या हैं ज़मीनी मुद्दे..... और जनता किस तरह के प्रत्याशी को अपना कीमती वोट देकर सरपंच बनाना चाहती है....झरना इस बार मौजमाबाद की ग्राम पंचायत है जो पहले दूदू की ग्राम पंचायत हुआ करती थी.... झरना ग्राम पंचायत में अलग अलग चार गांव आते हैं,नये परिसीमन से होने वाले इस बार के चुनावों में कुल 3709 मतदाता है जिसके लिए 9 प्रत्याशी चुनाव मैदान में अपनी किसमत अज़मा रहे हैं... झरना में इस बार ओबीसी महिला की सीट है जो पिछली बार एसटी महिला की सीट हुआ करती थी..... भले अशोक गहलोत सरकार ने ग्राम पंचायत चुनावों में प्रत्याशियों के लिए आंठवी पास वाला ऐजुकेशन का मुद्दा हटा दिया हो लेकिन ग्राम पंचायत झरना में गांव वाले ऐसा प्रत्याशी चाहते है जो पढां लिखा काबिल हो
वैसे तो झरना जयपुर से काफी नज़दीक है इसके बावजूद यहां विकास की गति थोड़ा धीमी ही है..... पानी, सड़क, नाली जैसी कई समस्याऐं है यहां.....और यही इस बार का चुनावी मुद्दा भी है...... गांव वाले विकास में कमी को लेकर थोड़ा दुखी है... यहीं वजह है कि इस बार ये सोच समझकर वोट देने वाले हैं
गांव में सरकारी योजनाओं के क्रिया-वयन की अगर बात करें तो कागज़ी तौर पर तो यहां खूब काम हुए है लेकिन हकीकत तो कुछ और ही बयां करती है.... स्वच्छता अभियान की पोल खोलते इस बोर्ड को ही देख लीजिए जिस पर लिखा है....खुले में शौचमुक्त गांव जिसके लिए यहां पथ्थर भी लगाये गये हैं..... लेकिन असलीयत तो गांव वाले ही जानते है कि कितना शौच मुक्त हुआ है ये गांव......कुल मिलाकर जनता अब जागरुक हो चुकी है और अब वो किसी के झांसे में आने वाली नहीं है......वो अब सारी चीजे़ देख के और सोच समझ कर ही वोट करेगी......
झरना में हमारी मुलाकात हुई पूर्व सरपंच पति से तो उन्होंने बताया कि पिछली बार बहुत काम हुआ है इस पंचायत में लेकिन कुछ काम ऐसे जरुर रह गये जिसे शायद पुरा किया जाना ज़रुरी है ये बात और है कि इस बार ओबीसी सीट होने की वजह से इनकी पत्नी चुनाव नहीं लड़ रही हैं....
झरना ग्राम पंचायत में ओबीसी महिला सीट है इस कारण कई सारी महिला अपनी किस्मत अज़मा रही है........... यहां कई महिला प्रत्याशियों से हमने जानने की कोशिश की...... कि वे गांव के मुद्दो को कितना जानती है उनका खूद का ऐजेंडा क्या होगा........और वो जीतने के बाद किस तरह का विकास अपने ग्राम पंचायत में करेंगी....और साथ ही ये भी जानने की कोशिश की कि वो खुद बाहर निकल कर कितना लोगों से संवाद कर काम को अंजाम देंगी.....क्योंकि पिछली बार की एससी सिट से बनी सरपंच भी बस नाम की थी काम उनके पति ही करते थे।
वैसे तो झरना जयपुर से काफी नज़दीक है इसके बावजूद यहां विकास की गति थोड़ा धीमी ही है..... पानी, सड़क, नाली जैसी कई समस्याऐं है यहां.....और यही इस बार का चुनावी मुद्दा भी है...... गांव वाले विकास में कमी को लेकर थोड़ा दुखी है... यहीं वजह है कि इस बार ये सोच समझकर वोट देने वाले हैं
गांव में सरकारी योजनाओं के क्रिया-वयन की अगर बात करें तो कागज़ी तौर पर तो यहां खूब काम हुए है लेकिन हकीकत तो कुछ और ही बयां करती है.... स्वच्छता अभियान की पोल खोलते इस बोर्ड को ही देख लीजिए जिस पर लिखा है....खुले में शौचमुक्त गांव जिसके लिए यहां पथ्थर भी लगाये गये हैं..... लेकिन असलीयत तो गांव वाले ही जानते है कि कितना शौच मुक्त हुआ है ये गांव......कुल मिलाकर जनता अब जागरुक हो चुकी है और अब वो किसी के झांसे में आने वाली नहीं है......वो अब सारी चीजे़ देख के और सोच समझ कर ही वोट करेगी......
झरना में हमारी मुलाकात हुई पूर्व सरपंच पति से तो उन्होंने बताया कि पिछली बार बहुत काम हुआ है इस पंचायत में लेकिन कुछ काम ऐसे जरुर रह गये जिसे शायद पुरा किया जाना ज़रुरी है ये बात और है कि इस बार ओबीसी सीट होने की वजह से इनकी पत्नी चुनाव नहीं लड़ रही हैं....
झरना ग्राम पंचायत में ओबीसी महिला सीट है इस कारण कई सारी महिला अपनी किस्मत अज़मा रही है........... यहां कई महिला प्रत्याशियों से हमने जानने की कोशिश की...... कि वे गांव के मुद्दो को कितना जानती है उनका खूद का ऐजेंडा क्या होगा........और वो जीतने के बाद किस तरह का विकास अपने ग्राम पंचायत में करेंगी....और साथ ही ये भी जानने की कोशिश की कि वो खुद बाहर निकल कर कितना लोगों से संवाद कर काम को अंजाम देंगी.....क्योंकि पिछली बार की एससी सिट से बनी सरपंच भी बस नाम की थी काम उनके पति ही करते थे।