Israel-Iran War / मिडिल ईस्ट की जंग में रुपए पर प्रहार, क्यों मिली 1 महीने में बड़ी हार?

12 जून को इजराइल ने ईरान की 4 परमाणु लैब पर हमला किया, जिससे वैश्विक बाजार हिल गया। शुक्रवार को रुपया 60 पैसे गिरकर 86.20/$1 पर पहुंचा। क्रूड ऑयल 10% महंगा हुआ। युद्ध लंबा चला तो रुपए में और गिरावट और महंगाई बढ़ने की आशंका है।

Israel-Iran War: 12 जून को इजराइल ने ईरान पर बड़ा सैन्य हमला किया, जिसने वैश्विक स्तर पर आर्थिक हलचल पैदा कर दी है। इस हमले में ईरान की चार प्रमुख परमाणु लैब को निशाना बनाया गया और कई शीर्ष सैन्य अधिकारियों व परमाणु वैज्ञानिकों के मारे जाने की खबर है। इस घटना ने न केवल पश्चिम एशिया को संकट में डाल दिया है, बल्कि पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था, खासकर भारत जैसे विकासशील देशों पर इसका गहरा असर पड़ा है।

वैश्विक बाजार में हड़कंप, भारत की मुद्रा डगमगाई

इजराइल-ईरान के इस संघर्ष का सीधा असर दुनियाभर के शेयर बाजारों पर पड़ा है। अनिश्चितता और युद्ध की आशंका के बीच निवेशकों में डर का माहौल है। भारत में इसका सबसे बड़ा प्रभाव रुपये पर देखने को मिला। शुक्रवार को भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 60 पैसे गिरकर 86.20 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर पहुंच गया, जो पिछले एक महीने की सबसे बड़ी गिरावट मानी जा रही है।

क्या RBI ने हालात संभाले?

हालांकि दिन के अंत में रुपये में कुछ मजबूती देखने को मिली और यह 86.08 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मजबूती भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के संभावित हस्तक्षेप और कुछ विदेशी बैंकों द्वारा डॉलर की बिक्री के कारण आई है। इसके बावजूद रुपये की कमजोरी यह संकेत देती है कि अगर पश्चिम एशिया में तनाव और बढ़ा तो आने वाले दिनों में रुपये में और गिरावट संभव है।

कच्चे तेल की कीमतों में 10% की बढ़ोतरी

इस संकट के चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतें भी उछल गईं। जहां गुरुवार को क्रूड 68 डॉलर प्रति बैरल था, वहीं शुक्रवार को यह बढ़कर 75 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गया। यह करीब 10% की बढ़ोतरी है। भारत जैसे देश, जो अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं का बड़ा हिस्सा आयातित तेल से पूरा करते हैं, इस मूल्य वृद्धि से सीधा प्रभावित होते हैं।

आर्थिक संकेत: चालू खाता घाटा और महंगाई का खतरा

विश्लेषकों का कहना है कि कच्चे तेल की कीमतों में हर 10 डॉलर की वृद्धि से भारत का चालू खाता घाटा GDP के 0.4% तक बढ़ सकता है और खुदरा मुद्रास्फीति में 35 आधार अंकों की वृद्धि हो सकती है। इसका अर्थ है कि आने वाले दिनों में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी तय है, जिससे परिवहन और अन्य आवश्यक वस्तुओं की लागत बढ़ेगी और महंगाई दर में इजाफा होगा।