मनोरंजन / कमांडो 3 का मुवी रिव्यु, देखे विडियो

Zoom News : Nov 29, 2019, 05:38 PM
फिल्मी  पर्दे पर आतंकवाद जैसे विषय को काफी भुनाया जा चुका है। इसके बावजूद फिल्मकारों की आसक्ति इस विषय पर बनी हुई है। आशिक बनाया आपने फेम निर्देशक आदित्य दत्त भी आतंकवाद को कैश करने से नहीं चूके। यह सच है कि उन्होंने विषय के मुताबिक विद्युत जामवाल जैसे ऐक्शन में पारंगत और चपल हीरो को चुना, देशभक्ति का स्ट्रॉन्ग ट्रैक रखा और साथ ही हिंदू-मुस्लिम बगावत भी, मगर जैसे-जैसे फिल्म आगे बढ़ती है सिवाय रोंगटे खड़े कर देने वाले ऐक्शन के कोई भी नयापन फिल्म में नजर नहीं आता।

भारत सरकार को जब पता चलता है कि देश पर एक बहुत बड़े आतंकवादी हमले की साजिश होने जा रही है, तो वे अपने नंबर वन कमांडो करन सिंह डोगरा (विद्युत जामवाल) को बुलावा भेजते हैं। करन सिंह डोगरा भी सिर पर कफन बांधकर तय कर लेता है कि इस किसी भी हाल में इस हमले के पीछे लगे हुए मास्टरमाइंड को नेस्तानबूत करेगा। असल में आतंकवाद का सरगना बराक अंसारी (गुलशन देवइया) लंदन में बैठकर विडियो टेप के जरिए धर्म का सहारा लेकर युवाओं का ब्रेनवाश करने में लगा हुआ है। इस मिशन पर करन के साथ एनकाउंटर स्पेशलिस्ट भावना रेड्डी (अदा शर्मा) को भी नियुक्त किया जाता है। इस मिशन में उनके साथ जुड़ते हैं, ब्रिटिश इंटेलिजेंस की मल्लिका सूद (अंगिरा धार) और अरमान (सुमित ठाकुर)! मगर बुराक को पकड़ना इतना आसान नहीं है। इंडियन इंटेलिजेंस और कमांडोज से सुसज्ज यह टीम अगर शह देने पर आमादा है, तो बुराक अंसारी भी मात देने की तैयारी किए बैठा है।

आमतौर पर फिल्मकार जब ऐक्शन के ताम-झाम से सजी फिल्म बनाते हैं, तो उनके ऐक्शन का डोज तो तगड़ा होता है, मगर कहीं न कहीं वे कहानी को उपेक्षित कर देते हैं। निर्देशक आदित्य दत्त ने भी पूरा जोर स्टंट्स और ऐक्शन पर लगाया है। कमांडो की फ़्रैंचाइज़ी होने के नाते यह स्वाभाविक भी है, मगर वे कहानी और स्क्रीनप्ले पर थोड़ी मेहनत करते तो फिल्म का कलेवर कुछ और होता। कुछ दृश्य अतार्किक लगते हैं, मगर फिल्म का तकनीकी बहुत मजबूत है। ऐक्शन की कोरियॉग्रफ़ी सांसे रोक देती है। नायक की एंट्री कमाल की है। ऐक्शन के मामले में एक्शन डायरेक्टर एंडी लॉॉग स्टंट, आलन अमीन और रवि वर्मा ने काबिले -तारीफ काम किया है।

ऐक्शन फिल्म में संगीत को ज़बरदस्ती न ठूंसकर उन्होंने समझदारी का परिचय दिया है। कुछ दृश्यों में वीएफएक्स की कमजोरियां झलक जाती हैं। क्लाइमैक्स में वे संदेश देना नहीं भूले हैं। विद्युत फिल्म की जान बन पड़े हैं। सर्वविदित है कि ऐक्शन में उनकी तूती बोलती है और उन्होंने अपनी इस खूबी को कहीं भी फीका नहीं पड़ने दिया। उनके ऐक्शन में विश्वनीयता झलकती है। उनकी मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग के कारण उनका ऐक्शन विशिष्ट शैली का बन जाता है। उनकी दो चाकूबाजों से भिड़ंत यादगार सीन बन पड़ा है। संवाद अदायगी भी उनकी संवरी है। अदा शर्मा फिल्म में सरप्राइज करती हैं। नकली दुल्हन बनकर एंट्री करने वाला सीन मज़ेदार बन पड़ा है। हिंदी बोलने का उनका हैदराबादी लहजा मजेदार है। अंगीरा धर ने रोल के मुताबिक काम किया है। परदे पर नायिकाओं को ऐक्शन करते देखना भला लगा है। बुराक अंसारी के रूप में गुलशन क्रूर और दुर्दांत लगे हैं।

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