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- 28-Jul-2025 12:40 PM IST
Dimple Yadav News: ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन (एआईआईए) के अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी एक बार फिर विवादों के केंद्र में हैं। एक टेलीविजन डिबेट शो के दौरान समाजवादी पार्टी (सपा) की सांसद डिंपल यादव के खिलाफ उनकी अपमानजनक टिप्पणी ने न केवल राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी, बल्कि सामाजिक स्तर पर भी तीखी प्रतिक्रियाएँ सामने आईं। इस टिप्पणी के बाद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सांसदों ने संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन किया, और मौलाना के खिलाफ लखनऊ में एक प्राथमिकी (एफआईआर) भी दर्ज की गई है। इस लेख में हम इस विवाद के विभिन्न पहलुओं, राजनीतिक प्रतिक्रियाओं और सामाजिक प्रभावों का विश्लेषण करेंगे।
विवाद की शुरुआत
यह विवाद दिल्ली के संसद मार्ग पर स्थित एक मस्जिद में समाजवादी पार्टी की बैठक से शुरू हुआ। इस बैठक में सपा प्रमुख अखिलेश यादव, उनकी पत्नी और सांसद डिंपल यादव, सांसद इकरा हसन और अन्य नेता शामिल थे। यह बैठक एक टीवी न्यूज चैनल के डिबेट शो में चर्चा का विषय बनी। डिबेट के दौरान मौलाना साजिद रशीदी ने डिंपल यादव के पहनावे पर आपत्तिजनक टिप्पणी की। उन्होंने तस्वीरों का हवाला देते हुए कहा कि बैठक में दो महिलाएँ थीं—इकरा हसन, जो सिर ढक कर बैठी थीं, और डिंपल यादव, जिनके पहनावे पर मौलाना ने आपत्ति जताई। उनकी टिप्पणी को न केवल असंवेदनशील बल्कि महिला विरोधी और सामाजिक रूप से भड़काऊ माना गया।
मौलाना साजिद रशीदी की टिप्पणी
मौलाना साजिद रशीदी ने डिबेट के दौरान डिंपल यादव के कपड़ों पर टिप्पणी करते हुए कहा, "इस बैठक में दो महिलाएँ बैठी हैं। एक जो इकरा हसन हैं, वो सिर को ढक कर बैठी हुई हैं।" इसके बाद उन्होंने डिंपल यादव के पहनावे पर टिप्पणी की, जिसे कई लोगों ने अपमानजनक और अशोभनीय माना। उनकी इस टिप्पणी ने सोशल मीडिया और समाचार चैनलों पर व्यापक विवाद को जन्म दिया। कई लोगों, खासकर महिलाओं ने इसे नारी सम्मान के खिलाफ बताया और मौलाना के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की माँग की।
एनडीए का विरोध प्रदर्शन
मौलाना साजिद रशीदी की टिप्पणी के बाद 28 जुलाई 2025 को एनडीए सांसदों ने संसद भवन के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी सांसदों ने तख्तियाँ उठाईं, जिन पर लिखा था, "नारी गरिमा पर प्रहार, नहीं करेंगे कभी भी स्वीकार।" इस प्रदर्शन में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कई प्रमुख नेता शामिल थे। विरोध प्रदर्शन का उद्देश्य मौलाना की टिप्पणी को नारी सम्मान के खिलाफ बताना और इस तरह के बयानों की निंदा करना था। यह प्रदर्शन न केवल मौलाना के बयान के खिलाफ था, बल्कि यह भी संदेश देता था कि महिलाओं के सम्मान से समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज की प्रतिक्रिया
इस मामले में भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सवाल उठाया कि डिंपल यादव के पति और सपा प्रमुख अखिलेश यादव इस मामले पर चुप क्यों हैं। स्वराज ने कहा, "डिंपल यादव के पति अखिलेश यादव अभी तक चुप क्यों हैं? इस बयान के खिलाफ उन्होंने अभी तक कुछ क्यों नहीं बोला? डिंपल यादव की अपनी ही पार्टी चुप है। ‘मौनं लागू: लक्षणम्’। एक महिला सांसद के सम्मान से ज्यादा तुष्टिकरण की राजनीति महत्वपूर्ण है।" स्वराज की इस टिप्पणी ने सपा की चुप्पी को लेकर राजनीतिक बहस को और गर्म कर दिया। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि सपा का मौन वोट बैंक की राजनीति से प्रेरित हो सकता है।
कानूनी कार्रवाई
मौलाना साजिद रशीदी की टिप्पणी के खिलाफ लखनऊ पुलिस ने 27 जुलाई 2025 को एक प्राथमिकी दर्ज की। यह एफआईआर गोमतीनगर के विकल्प खंड निवासी प्रवेश यादव की शिकायत पर दर्ज की गई। शिकायत में आरोप लगाया गया कि मौलाना ने न केवल डिंपल यादव की व्यक्तिगत गरिमा को ठेस पहुँचाई, बल्कि उनके बयान सामाजिक और धार्मिक सौहार्द को बिगाड़ने वाले थे। एफआईआर में भारतीय दंड संहिता (बीएनएस) की धारा 79 (महिला की गरिमा का अपमान), 196 (समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना), 299 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाना), 352 (जानबूझकर अपमान) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67 के तहत मामला दर्ज किया गया। लखनऊ के डीसीपी (पूर्वी क्षेत्र) शशांक सिंह ने बताया कि इस मामले में आगे की जाँच जारी है।
मस्जिद में सपा की बैठक पर विवाद
इस पूरे विवाद की जड़ में समाजवादी पार्टी की संसद मार्ग, दिल्ली की मस्जिद में हुई बैठक भी है। इस बैठक में अखिलेश यादव, डिंपल यादव, इकरा हसन और अन्य सपा नेता शामिल थे। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने इस बैठक पर आपत्ति जताई और मस्जिद के इमाम मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी को हटाने की माँग की। रजवी ने कहा कि मस्जिद एक पवित्र स्थान है, जो केवल इबादत के लिए है, न कि राजनीतिक चर्चाओं के लिए। इस बैठक की तस्वीरें सोशल मीडिया और समाचार चैनलों पर वायरल हुईं, जिसके बाद मौलाना साजिद रशीदी की टिप्पणी ने विवाद को और हवा दी।
सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव
मौलाना साजिद रशीदी की टिप्पणी ने न केवल डिंपल यादव के व्यक्तिगत सम्मान पर सवाल उठाए, बल्कि यह एक बड़े सामाजिक और राजनीतिक मुद्दे को भी सामने लाया। कई सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों ने इस बयान को महिला विरोधी और सामाजिक रूप से भड़काऊ बताया। सोशल मीडिया पर भी इस टिप्पणी की व्यापक निंदा हुई। कुछ लोगों ने इसे सपा की तुष्टिकरण की राजनीति से जोड़ा, जबकि अन्य ने इसे महिलाओं के प्रति रूढ़िगत सोच का उदाहरण बताया।
इस मामले ने यह भी सवाल उठाया कि क्या राजनीतिक दलों का मौन उनकी रणनीति का हिस्सा है? बांसुरी स्वराज की टिप्पणी ने सपा की चुप्पी को वोट बैंक की राजनीति से जोड़ा, जिससे यह बहस और गहरी हो गई। दूसरी ओर, एनडीए के विरोध प्रदर्शन ने यह स्पष्ट किया कि वे इस मुद्दे को नारी सम्मान से जोड़कर देख रहे हैं।
