भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बयान दिया है, जिसमें उन्होंने 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान हुई सैन्य कार्रवाई का विस्तृत ब्यौरा साझा किया और मध्य प्रदेश के रीवा में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, जनरल द्विवेदी ने बताया कि इस ऑपरेशन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय सेना को पूरी तरह से खुली छूट दी थी। इस अभूतपूर्व स्वतंत्रता के परिणामस्वरूप, भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सीमा के 100 किलोमीटर। अंदर तक घुसकर आतंकी ठिकानों को सफलतापूर्वक निशाना बनाया और उन्हें तबाह कर दिया। यह बयान देश की सुरक्षा रणनीति और सैन्य नेतृत्व के बीच गहरे विश्वास को दर्शाता है।
ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य और नामकरण
जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर का प्राथमिक उद्देश्य केवल दुश्मन पर विजय। प्राप्त करना नहीं था, बल्कि देश की संप्रभुता, अखंडता और शांति को पुनः स्थापित करना भी था। उन्होंने बताया कि इस ऑपरेशन का नाम 'ऑपरेशन सिंदूर' स्वयं प्रधानमंत्री ने दिया था। इस नाम के पीछे एक गहरा प्रतीकात्मक अर्थ छिपा है और जनरल द्विवेदी ने समझाया कि जब भी कोई बेटी, मां या बहन अपने माथे पर सिंदूर लगाती है, तो उनकी दुआएं देश की सुरक्षा के लिए सीमा पर खड़े सैनिक के लिए जाती हैं। यह नामकरण ऑपरेशन को एक भावनात्मक और सांस्कृतिक महत्व प्रदान करता है, जो सैनिकों के बलिदान और देश की महिलाओं के अटूट विश्वास को जोड़ता है।
आत्मविश्वास और शांति का महत्व
रीवा के टीआरएस कॉलेज में अपने संबोधन के दौरान, जनरल द्विवेदी ने आत्मविश्वास और शांति के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए दूसरों पर और स्वयं पर विश्वास रखना अत्यंत आवश्यक है और उन्होंने तीनों सेनाओं के प्रमुखों के बीच समन्वय और सहयोग की सराहना की, जिन्होंने मिलकर काम किया। जनरल द्विवेदी ने उल्लेख किया कि तीनों सेनाओं के प्रमुख हमेशा शांत और मुस्कुराते हुए नजर आए, जिससे देश के लोगों में यह विश्वास पैदा हुआ कि वे सुरक्षित हाथों में हैं। यह शांत और संयमित नेतृत्व संकट के समय में राष्ट्र को स्थिरता और सुरक्षा का आश्वासन देता है।
भविष्य की चुनौतियाँ और तैयारी
आर्मी चीफ ने साहस की अहमियत पर प्रकाश डालते हुए बताया कि ऐसे युद्धों में जोखिम बहुत अधिक होता है। इन जोखिमों को कम करने के लिए, भारतीय सेना ने हर हमले का मुकाबला किया और सीमा पार 100 किलोमीटर तक भी कार्रवाई की। उन्होंने इस बात पर विशेष जोर दिया कि यह हमारे राजनीतिक नेताओं की स्पष्ट सोच का परिणाम था, जिन्होंने सेना को खुली छूट दी और जनरल द्विवेदी ने कहा कि इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि किसी प्रधानमंत्री ने सेनाओं को इतनी व्यापक स्वतंत्रता दी हो। इस 'खुली छूट' ने सेना को अपनी पूरी क्षमता का उपयोग करने और दुश्मन। के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने में सक्षम बनाया, जिससे ऑपरेशन की सफलता सुनिश्चित हुई।
जनरल द्विवेदी ने भविष्य की चुनौतियों के बारे में भी बात की, जिन्हें उन्होंने अस्थिरता, अनिश्चितता, जटिलता और अस्पष्टता (VUCA) के रूप में वर्णित किया। उन्होंने कहा कि हम इस बारे में बिल्कुल अनभिज्ञ हैं कि भविष्य में क्या होने वाला है, और चुनौतियाँ इतनी तेज़ी से सामने आ रही हैं कि जब तक एक पुरानी चुनौती को समझने की कोशिश की जाती है, तब तक एक नई चुनौती सामने आ जाती है। ये सुरक्षा चुनौतियाँ सीमा पर आतंकवाद, प्राकृतिक आपदाओं या साइबर युद्ध के रूप में हो सकती हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सेना को इन तेजी से बदलती और अप्रत्याशित चुनौतियों का सामना करने के लिए हमेशा तैयार रहना होगा।
जेनरेशन Z: भारत का भविष्य
थल सेनाध्यक्ष ने 'जेनरेशन Z' की भूमिका पर विशेष ध्यान दिया, जिसे आजकल हर जगह चर्चा का विषय बताया जा रहा है और उन्होंने कहा कि भारत में जेनरेशन Z की आबादी दुनिया में सबसे ज़्यादा है, और भारतीय सेना भी इस मामले में दूसरे नंबर पर है। इसका मतलब है कि यह जेनरेशन Z डिजिटल रूप से पारंगत, तकनीकी रूप से उन्नत और सामाजिक रूप से जागरूक है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वे पूरी दुनिया की नवीनतम गतिविधियों से वैश्विक रूप से जुड़े हुए हैं। जनरल द्विवेदी ने विश्वास व्यक्त किया कि यदि इस पीढ़ी को उचित अनुशासन और मार्गदर्शन मिले,। तो यह भारत को एक पल में कई पीढ़ियों और युगों तक आगे बढ़ा सकती है। उन्होंने कहा कि भविष्य में, जेनरेशन Z ही भारत को आगे बढ़ाएगी और उसे नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी, इसलिए उनका यहां होना बेहद जरूरी था ताकि वे इस युवा पीढ़ी को प्रेरित कर सकें।