NavBharat Times : Apr 21, 2020, 01:49 PM
Corona Effect: कोरोना महासंकट के बीच पाकिस्तान ने खुद को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे सूची से हटाए जाने के लिए बड़ा दांव चला है। पाकिस्तान ने पिछले 18 महीने में निगरानी सूची से हजारों आतंकवादियों के नाम को हटा दिया है। पाकिस्तान ने यह हरकत ऐसे समय पर की है जब जून महीने में FATF की बैठक होने वाली है। एफएटीएफ ने पाकिस्तान को 27 बिंदुओं पर ऐक्शन लेने के लिए जून तक का वक्त दिया है।अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जनरल की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान की नैशनल काउंटर टेररिज्म अथार्टी इस लिस्ट को देखती है। इसका उद्देश्य ऐसे लोगों के साथ वित्तीय संस्थानों के बिजनस न करने में मदद करना है। इस लिस्ट में वर्ष 2018 में कुल 7600 नाम थे लेकिन पिछले 18 महीने में इसकी संख्या को घटाकर अब 3800 कर दिया गया है। यही नहीं इस साल मार्च महीने की शुरुआत से लेकर अब तक 1800 नामों को लिस्ट से हटाया गया है।नाम हटाने के लिए इमरान सरकार ने नहीं बताया कारणउधर, इतने बड़े पैमाने पर नामों को हटाने के बाद भी इमरान खान सरकार ने अभी तक सार्वजनिक रूप से इसका कोई कारण नहीं बताया है। हालांकि एक पाकिस्तानी अधिकारी ने कहा कि ऐसा कि यह देश के आतंकवाद निरोधी प्रयासों को मजबूती देने वादे को पूरा करने के लिए चल रहे अभियान का हिस्सा है। अमेरिकी सरकार में पूर्व पॉलिसी अडवाइजर रह चुके पीटर पैटेटस्की ने कहा कि जितनी बड़ी तादाद में और जितनी तेजी से नामों को हटाया गया है, यह असामान्य है।पीटर ने कहा, 'करीब 4 हजार नामों को बिना सार्वजनिक रूप से सफाई दिए हटाया जाना बड़े सवाल खड़े करता है।' अंतरराष्ट्रीय मानक यह है कि अगर वॉच लिस्ट से आतंकवादियों का नाम हटाया जाता है तो तुरंत उसकी सूचना तत्काल वित्तीय क्षेत्र को देनी होती है। पाकिस्तान ने संदिग्ध आतंकवादियों के नाम हटाते समय ऐसा नहीं किया है। इस बारे में पाकिस्तान के गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ताहिर अकबर अवन ने कहा कि ' संदिग्ध आतंकवादियों की संख्या बहुत ज्यादा थी और इसमें कई गड़बड़ियां भी थीं।' उन्होंने सफाई दी कि इस लिस्ट में वे नाम भी शामिल थे जिनकी मौत हो गई है और कई ऐसे भी थे जिन्होंने अपराध तो किया था लेकिन वे किसी प्रतिबंधित आतंकी गुट से जुड़े नहीं थे।एफएटीएफ जून में करेगा पाकिस्तान की समीक्षाएफएटीएफ इस साल जून में पाकिस्तान के मनी लॉन्ड्रिंग से 27 बिंदुओं पर लिए ऐक्शन की समीक्षा करने वाला है। हालांकि माना जा रहा है कि एफएटीएफ की बैठक कोरोना वायरस के संकट को देखते हुए टल सकती है। पाकिस्तान के खिलाफ जून 2018 से निगरानी बढ़ा दी गई है। अगर पाकिस्तान 27 बिंदुओं को पूरा करने में असफल रहता है तो एफएटीएफ उसे काली सूची में डाल सकता है। इस बीच एफएटीएफ के प्रवक्ता ने पाकिस्तान के 4 हजार नामों को हटाने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। इससे पहले फरवरी में एफएटीएफ ने कहा था कि उसकी ओर से दिए गए 27 कार्यों में अभी भी 13 को पाकिस्तान पूरा नहीं कर पाया है। जबकि ये 13 कार्रवाइयां ज्यादातर आतंकी फंडिंग से संबंधित हैं।