Rajasthan Vidhan Sabha / उप राष्ट्रपति ने किया उद्घाटन दो दिवसीय पीठासीन अखिल भारतीय सम्मेलन

Zoom News : Jan 11, 2023, 07:28 PM
Rajasthan Vidhan Sabha :  देश की विधायी संस्थाओं के अध्यक्षों का सबसे बड़ा समागम, ‘अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन’ बुधवार को यहां राजस्थान विधानसभा में शुरू हुआ.


सम्मेलन का उद्घाटन उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने किया. उद्घाटन कार्यकम की अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने की. इस अवसर पर राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी और उपनेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया भी मौजूद थे.


इस दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान देश भर से आए विधानसभा तथा विधान परिषदों के अध्यक्ष जी-20 से लेकर विधायिका और न्यायपालिका के सामंजस्य पूर्ण संबंधों पर मंथन करेंगे. साथ ही पहले आयोजित सम्मेलनों में पारित किए गए संकल्पों की दिशा में हुई प्रगति की भी समीक्षा की जाएगी. इन संकल्पों में विभिन्न विधानसभाओं में प्रक्रियाओं और नियमों में एकरूपता, विधान मंडलों में बैठकों की संख्या तथा बैठकों में सदस्यों की उपस्थिति, समिति प्रणाली का सशक्तिकरण आदि शामिल हैं.


राजस्थान विधानसभा में आयोजित इस सम्मेलन में देश भर से विभिन्न विधानसभाओं के अध्यक्ष भाग ले रहे हैं. राजस्‍थान को इस सम्मेलन का मौका 11 वर्ष बाद मिला है. इससे पहले राजस्‍थान में पीठासीन अधिकारियों का सम्मेलन वर्ष 2011 में आयोजित हुआ था.


उपराष्ट्रपति बोले- संसद के फैसले कोई और क्यों रिव्यू करे?

धनखड़ ने कहा- 1973 में एक बहुत गलत परंपरा चालू हुई। केशवानंद भारती केस में सुप्रीम कोर्ट ने बेसिक स्ट्रक्चर का आइडिया दिया कि संसद संविधान संशोधन कर सकती है, लेकिन इसके बेसिक स्ट्रक्चर को नहीं। कोर्ट को सम्मान के साथ कहना चाहता हूं कि इससे मैं सहमत नहीं। हाउस बदलाव कर सकता है। यह सदन बताए कि क्या इसे किया जा सकता है? क्या संसद को यह अनुमति दी जा सकती है कि उसके फैसले को कोई और संस्था रिव्यू करे?


धनखड़ ने कहा- जब मैंने राज्यसभा के सभापति का चार्ज लिया तब कहा था कि न तो कार्यपालिका कानून को देख सकती है, न कोर्ट हस्तक्षेप कर सकती है। संसद के बनाए कानून को किसी आधार पर कोई संस्था अमान्य करती है तो प्रजातंत्र के लिए ठीक​ नहीं होगा। कहना मुश्किल होगा कि हम लोकतांत्रिक देश हैं।


बिरला बोले- अपनी शक्तियों का संतुलन बनाएं कोर्ट

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा- न्यायपालिका भी मर्यादा का पालन करें। न्यायपालिका से उम्मीद की जाती है कि जो उनको संवैधानिक अधिकार दिया है, उसका उपयोग करें। साथ ही अपनी शक्तियों का संतुलन भी बनाए। हमारे सदनों के अध्यक्ष यही चाहते हैं।


उपराष्ट्रपति ने नेताओं को भी लगाई फटकार

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि आज संसद और विधानसभाओं में जो माहौल है, वह बहुत निराशाजनक है। हमारे चुने हुए जनप्रतिनिधियों का बर्ताव संसद और विधानसभा सदनों में बहुत गिरता जा रहा है। इस निराशाजनक माहौल का समाधान निकाला जाए, इसके अलावा कोई विकल्प नहीं है। संसद और विधानसभा सदनों में जनप्रतिनिधियों के अशोभनीय बर्ताव से जनता नाराज है। गले नहीं उतरता कि संविधान की शपथ लेने वाले जनप्रतिनिधि ऐसे आचरण करते हैं। लोग सोचते हैं कि हमारे चुनकर भेजे हुए जनप्रतिनिधि रास्ता दिखाएंगे।


ऐसा लगता है न्यायपालिका काम में हस्तक्षेप कर रही है : गहलोत

सम्मेलन में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा- कई बार न्यायपालिका से मतभेद होते हैं। ज्यूडिशियरी हमारे कामों में हस्तक्षेप कर रही है। इंदिरा गांधी ने प्रिवी पर्स खत्म किए थे। इसे ज्यूडिशियरी ने रद्द कर दिया था। बाद में बैंकों के राष्ट्रीयकरण से लेकर उनके सब फैसलों के पक्ष में जजमेंट आए।


गहलोत ने कहा- 40 साल से मैंने भी देखा है। कई बार हाउस नहीं चलता। 10-10 दिन गतिरोध चलता है। फिर भी पक्ष और विपक्ष मिलकर भूमिका निभाते हैं। पक्ष-विपक्ष अपनी-अपनी बात करते हैं। जब 75 साल निकल गए हैं तो देश का भविष्य बहुत उज्ज्वल है। हम संविधान की रक्षा करें। कई बार उस पर भी सवाल उठते हैं। देश में जो माहौल होता है, उसका लोकसभा-विधानसभा हाउस पर भी फर्क पड़ता है।


सीपी जोशी बोले- विधानसभा स्पीकर हेल्पलेस हैं

राजस्थान विधानसभा के स्पीकर डॉ. सीपी जोशी ने कहा- आज संसदीय लोकतंत्र के सामने कई चुनौतियां हैं। आज कार्यपालिका की तानाशाही है। विधानसभा सदनों की बैठकें ही कम हो रही हैं तो सरकार को जवाबदेह कौन बनाएगा। विधानसभा स्पीकर तो हेल्पलेस हैं। विधानसभा के स्पीकर तो केवल रेफरी हैं। स्पीकर विधानसभा नहीं बुला सकते हैं। यह काम सरकार करती है। दुर्भाग्य यह है कि हम केवल हाउस चलाते हैं। बाकी कोई पावर नहीं हैं। स्पीकर हेल्पलेस है।


इन मुद्दों पर होगी चर्चा

विधानसभा और विधान परिषद स्पीकर्स के सम्मेलन में दो दिन जी-20 में भारत का नेतृत्व, संसद और विधानमंडलों को प्रभावी, जवाबदेह और उपयोगी बनाने की आवश्यकता, डिजिटल संसद के साथ राज्य विधानमंडलों को जोड़ना और विधायिका, न्यायपालिका के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने की आवश्यकता पर अलग अलग सेशन में चर्चा हो रही है।

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