राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (RCA) एक बार फिर विवादों के घेरे में है, इस बार एक फर्जी मेल आईडी और सबूत मिटाने की कोशिश के आरोप सामने आए हैं और कुछ समय पहले, आरसीए की आधिकारिक मेल आईडी से भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) को एक ई-मेल भेजा गया था, जिसमें संगठन के भीतर कथित काले कारनामों, अनियमितताओं और भ्रष्टाचार का विस्तृत खुलासा करने का दावा किया गया था। इस मेल ने आरसीए प्रशासन और नवगठित एडहॉक कमेटी में हड़कंप मचा दिया, जिसके बाद बीसीसीआई ने भी तत्काल आरसीए से इस संबंध में जवाब-तलब किया। यह घटना आरसीए के भीतर चल रही अंदरूनी खींचतान और सत्ता संघर्ष को भी उजागर करती है।
जांच शुरू और कार्यालय सील
ई-मेल प्रकरण के सामने आते ही, एडहॉक कमेटी के कन्वीनर ने तुरंत कार्रवाई की और घटना के अगले दिन, आरसीए कार्यालय में गहन जांच शुरू की गई। संदेह के दायरे में आए कर्मचारियों के कंप्यूटरों को कॉन्फ्रेंस हॉल में सुरक्षित रखवाया गया, ताकि उनकी फॉरेंसिक जांच की जा सके। इसके साथ ही, पूरे कार्यालय को सील कर दिया गया, ताकि कोई भी व्यक्ति इन कंप्यूटर प्रणालियों से छेड़छाड़ न कर सके और जांच प्रक्रिया प्रभावित न हो और आरसीए के मुख्य द्वार पर एक आधिकारिक नोटिस भी चिपका दिया गया था, जिस पर '19 तारीख, दोपहर 2:58 पर सील' अंकित था और चार कर्मचारियों के हस्ताक्षर थे, जो यह सुनिश्चित कर रहे थे कि कार्यालय अब जांच के अधीन है और किसी को भी अंदर जाने की अनुमति नहीं है।
हार्ड डिस्क में पानी डालकर मिटाए सबूत
हालांकि, जांच के लिए किए गए इन प्रयासों को तब बड़ा झटका लगा जब शुक्रवार को सील किए गए कार्यालय के ताले खोले गए। जांच अधिकारियों ने पाया कि कॉन्फ्रेंस हॉल में रखे गए कंप्यूटरों में से एक की हार्ड डिस्क को जानबूझकर भारी नुकसान पहुंचाया गया था। चौंकाने वाली बात यह थी कि हार्ड डिस्क में पानी डाला गया था, जिससे यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि किसी ने कार्यालय सील होने के बावजूद अंदर घुसकर डिजिटल सबूतों को स्थायी रूप से नष्ट करने का प्रयास किया। यह घटना आरसीए की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है कि जब पूरा कार्यालय सील। था, तब कोई अंदर कैसे पहुंचा और इस तरह के संवेदनशील सबूतों को कैसे नष्ट कर पाया।
'अंदरूनी' हाथ का संदेह और निजी जांच
आरसीए एडहॉक कमेटी के कन्वीनर दीनदयाल कुमावत ने इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बताया कि शुरुआती जांच में ऐसा प्रतीत होता है कि कॉन्फ्रेंस हॉल की खिड़की के रास्ते कोई व्यक्ति अंदर घुसा है। उन्होंने कहा कि यह एक सुनियोजित प्रयास था, जिसका उद्देश्य कंप्यूटर और हार्ड डिस्क को नुकसान पहुंचाना था। फिलहाल, यह पता लगाने के लिए गहन जांच चल रही है कि इस कृत्य को किसने अंजाम दिया और इसके पीछे उनका क्या मकसद था। कुमावत ने विश्वास व्यक्त किया कि जल्द ही इस मामले में ठोस सबूत सामने आएंगे और दोषी पकड़े जाएंगे। हालांकि, चौंकाने वाली बात यह है कि इस गंभीर घटना के बावजूद, आरसीए प्रशासन ने अभी तक पुलिस को कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं कराई है। कन्वीनर कुछ निजी लोगों और विशेषज्ञों के माध्यम से जांच करवा रहे हैं, ताकि यह पता लगाया जा सके कि बीसीसीआई को आरसीए से जुड़ी संवेदनशील जानकारी किसने भेजी थी और हार्ड डिस्क किसने क्षतिग्रस्त की।
आरसीए में अनियमितताओं के आरोप और भविष्य की राह
18 अक्टूबर को बीसीसीआई को भेजे गए उस विवादास्पद ई-मेल में आरसीए में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं, वित्तीय गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए गए थे। इस मेल के सामने आने के बाद से ही आरसीए के भीतर अंदरूनी खींचतान और आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है। कई पूर्व पदाधिकारी और सदस्य इस पूरी घटना को आरसीए की आंतरिक राजनीति का हिस्सा। मान रहे हैं, जहां विरोधी गुट एक-दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। कन्वीनर दीनदयाल कुमावत ने दोहराया है कि एक निष्पक्ष और पारदर्शी जांच की जाएगी और इसमें शामिल किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि आरसीए इस गंभीर संकट से कैसे निपटता है और क्या वे उन लोगों को बेनकाब कर पाते हैं जिन्होंने न केवल फर्जी मेल भेजा बल्कि सबूत मिटाने की भी कोशिश की। यह घटना आरसीए की विश्वसनीयता और उसकी प्रशासनिक क्षमताओं पर एक बड़ा धब्बा है।