- भारत,
- 14-Jul-2025 02:09 PM IST
Robert Vadra News: कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा प्रवर्तन निदेशालय (ED) के दफ्तर में पूछताछ के लिए पहुंचे हैं। उनके साथ प्रियंका गांधी भी मौजूद थीं। यह पूछताछ 2008 में एक स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन (SEZ) में बनने वाले पेट्रो-केमिकल प्रोजेक्ट से जुड़े कथित घोटाले और लंदन में एक महंगी प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त से संबंधित है। इस मामले में रॉबर्ट वाड्रा की भूमिका की जांच की जा रही है। आइए, इस मामले को विस्तार से समझते हैं।
मामला क्या है?
यह मामला 2008 में शुरू हुए एक पेट्रो-केमिकल प्रोजेक्ट से जुड़ा है, जो एक स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन (SEZ) में प्रस्तावित था। इस प्रोजेक्ट का एक हिस्सा बनाने का ठेका एक सरकारी कंपनी (PSU) ने सैमसंग इंजीनियरिंग को दिया था। सैमसंग ने इस काम को आगे बढ़ाने के लिए दुबई की कंपनी Santech International FZC को हायर किया, जिसके मालिक संजय भंडारी हैं। संजय भंडारी को रॉबर्ट वाड्रा का करीबी माना जाता है।
मुख्य बिंदु:
दिसंबर 2008: सैमसंग को प्रोजेक्ट का कॉन्ट्रैक्ट मिला।
जून 2009: सैमसंग ने संजय भंडारी की कंपनी Santech International FZC को 4,990,000 अमेरिकी डॉलर का भुगतान किया।
जून 2009: उसी महीने संजय भंडारी ने लंदन के Bryanston Square में एक लग्ज़री प्रॉपर्टी खरीदी, जिसे Vortex Private Limited के नाम पर पंजीकृत किया गया।
पैसों का हस्तांतरण: Santech ने Vortex के खाते में लगभग 1.9 मिलियन पाउंड स्टर्लिंग ट्रांसफर किए। बाद में Vortex के सभी शेयर दुबई की एक अन्य कंपनी Sky Lite Investments FZE ने खरीद लिए, जिसे सी. थंपी नियंत्रित करते हैं। थंपी को भी वाड्रा का करीबी बताया जाता है।
रॉबर्ट वाड्रा पर आरोप
प्रवर्तन निदेशालय (ED) के पास मौजूद ईमेल्स से पता चला है कि संजय भंडारी, उनके रिश्तेदार सुमित चड्ढा, मनोज अरोड़ा, और रॉबर्ट वाड्रा के बीच इस प्रॉपर्टी को लेकर बातचीत हो रही थी। ED का दावा है कि वाड्रा न केवल इस प्रॉपर्टी की खरीद में शामिल थे, बल्कि इसकी मरम्मत और रखरखाव में भी उनकी रुचि थी। वे इस प्रॉपर्टी के लिए नियमित अपडेट मांग रहे थे।
प्रॉपर्टी की बिक्री और अतिरिक्त खर्च
संजय भंडारी ने इस प्रॉपर्टी पर अतिरिक्त 65,900 पाउंड खर्च किए।
बाद में यह प्रॉपर्टी 1.9 मिलियन पाउंड में Mayfair FZE Sharjah को बेच दी गई।
'राउंड ट्रिपिंग' का आरोप
ED का मानना है कि यह पूरा मामला 'राउंड ट्रिपिंग' का है, जिसमें अवैध धन को वैध दिखाने के लिए जटिल वित्तीय लेन-देन किए जाते हैं। इसकी प्रक्रिया इस प्रकार है:
नकली कॉन्ट्रैक्ट्स: पेट्रो-केमिकल प्रोजेक्ट के नाम पर नकली कॉन्ट्रैक्ट्स बनाए गए।
घूस का लेन-देन: घूस को 'कंसल्टेंसी फीस' के रूप में दिखाया गया।
प्रॉपर्टी खरीद: इन पैसों से लंदन में प्रॉपर्टी खरीदी गई।
पैसे का वैधीकरण: प्रॉपर्टी को बेचकर पैसे को वैध स्रोत से आए धन के रूप में दिखाया गया।
ED की जांच और वाड्रा का इंकार
ED इस मामले में लंदन की 10 Bryanston Square प्रॉपर्टी की जांच कर रही है। आरोप है कि यह प्रॉपर्टी संजय भंडारी ने एक ऑयल डील के जरिए खरीदी थी, लेकिन इसका असली लाभार्थी मालिक (Beneficial Owner) रॉबर्ट वाड्रा थे। हालांकि, वाड्रा ने इन आरोपों का खंडन किया है और कहा है कि उनका इस प्रॉपर्टी से कोई संबंध नहीं है।
हाल की कार्रवाई
संजय भंडारी को भगोड़ा घोषित किया गया: करीब एक हफ्ते पहले ED ने संजय भंडारी को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया।
अंतरराष्ट्रीय लेन-देन: ED के मुताबिक, इस केस में कई अंतरराष्ट्रीय लेन-देन हुए हैं, और प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त में गड़बड़ी के सबूत मिले हैं।
दस्तावेज़ी सबूत: सूत्रों के अनुसार, ED के पास कुछ ऐसे दस्तावेज़ हैं, जो वाड्रा की इस डील में भूमिका की ओर इशारा करते हैं।
पूछताछ का उद्देश्य
ED अब रॉबर्ट वाड्रा से यह जानना चाहती है कि:
इस डील में उनकी क्या भूमिका थी?
क्या वे इस प्रॉपर्टी के असली लाभार्थी मालिक थे?
क्या पेट्रो-केमिकल प्रोजेक्ट के कॉन्ट्रैक्ट और प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त में कोई अनियमितता थी?
