- भारत,
- 17-Jun-2025 04:40 PM IST
Indian Rupee News: जहां एक ओर ईरान और इजराइल के बीच जंग अपने उग्र रूप में है, वहीं वैश्विक बाजार में एक और संघर्ष जारी है—भारतीय रुपया दो प्रमुख आर्थिक दुश्मनों से एक साथ लड़ाई लड़ रहा है: कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें और डॉलर का दबाव। आश्चर्यजनक रूप से, इस द्वंद्व में रुपया मजबूती के साथ उभरता दिखाई दे रहा है।
दो दुश्मन, एक जंग
रुपये की यह जंग कच्चे तेल की कीमतों और अमेरिकी डॉलर के मूल्य से है। ईरान-इजराइल युद्ध के चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों में 11% तक की उछाल देखी गई है, जिससे भारत जैसे आयात-निर्भर देश की मुद्रा पर दबाव बढ़ना स्वाभाविक है। वहीं डॉलर इंडेक्स में उतार-चढ़ाव भी रुपए की स्थिरता को प्रभावित करता है। शुक्रवार को इसी दबाव में रुपया 57 पैसे टूट गया था।
मंगलवार को दिखी मजबूती
इसके बावजूद मंगलवार को बाजार खुलते ही रुपया 11 पैसे की मजबूती के साथ 85.93 प्रति डॉलर पर पहुंच गया। इंटरबैंक फॉरेन करेंसी एक्सचेंज में यह 85.96 पर खुला और बाद में 85.93 पर कारोबार करता दिखा। यह इशारा करता है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की सक्रियता और बाजार की स्थिति रुपए को सहारा दे रही है।
RBI का दखल और विदेशी निवेशकों की भूमिका
RBI ने 86.20 के स्तर पर डॉलर बेचकर रुपए को सपोर्ट दिया है, जिससे इसके और नीचे जाने की आशंका टल गई है। हालांकि, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने सोमवार को 2,539.42 करोड़ रुपये के शेयरों की बिकवाली की, जिससे शेयर बाजार में कमजोरी आई—सेंसेक्स 127 अंक और निफ्टी 55 अंक गिर गया।
कच्चे तेल की चिंता कायम
ब्रेंट क्रूड की कीमत 0.34% बढ़कर 73.48 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई है। युद्ध की स्थिति यदि और गंभीर होती है, तो तेल की कीमतें और ऊपर जा सकती हैं, जिससे रुपए पर फिर दबाव बन सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा तेहरान के खिलाफ चेतावनी देने से भी ब्रेंट की कीमतें बढ़कर 74 डॉलर तक पहुंच चुकी हैं।
विशेषज्ञों की राय
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स के अनिल कुमार भंसाली के मुताबिक, यदि रुपया 86.20 के ऊपर बंद होता है तो इंपोर्टर्स को स्टॉप लॉस उठाना पड़ेगा और डॉलर का लाभ 86.70 तक जा सकता है। फिलहाल आरबीआई की रणनीति इस स्थिति को संभाल रही है। उन्होंने आगे कहा कि रुपये की चाल युद्ध की दिशा और आरबीआई की नीतियों पर निर्भर करेगी।