देश / शाहीन बाग से प्रदर्शनकारियों को हटाने वाली याचिका पर SC में सुनवाई आज, 57 दिनों से जारी प्रदर्शन

Live Hindustan : Feb 10, 2020, 07:04 AM
नई दिल्ली | दिल्ली के शाहीन बाग इलाके से नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ बैठे प्रदर्शनकारियों को हटाने की मांग करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई करेगा। वकील और सामाजिक कार्यकर्ता अमित साहनी सहित कई लोगों की तरफ से दायर एक याचिका पर कोर्ट ने सुनवाई करने का फैसला किया है। याचिका में शाहीन बाग के बंद पड़े रास्‍ते को खुलवाने की मांग की गई है। इसके अलावा याचिकाकर्ता ने मांग की है कि इस पूरे मसले में हिंसा को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज या हाईकोर्ट के किसी मौजूदा जज द्वारा निगरानी की जाए।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की बेंच इस पर सुनवाई करेगी। दरअसल, नागरिक संशोधन कानून के विरोध में शाहीन बाग में हजारों लोग दिसंबर 2019 से सड़क संख्‍या 13 ए (मथुरा रोड से कालिंदी कुंज) पर बैठे हुए हैं। यह मुख्‍य सड़क दिल्‍ली को नोएडा, फरीदाबाद से जोड़ती है और रोजाना लाखों लोग आवाजाही में इस सड़क का इस्‍तेमाल करते हैं। 

हाईकोर्ट में भी दायर की गई थी याचिका

बता दें कि साहनी की तरफ से दिल्‍ली हाईकोर्ट में बीते 13 जनवरी को जनहित याचिका दायर करते हुए मांग की गई था शाहीन बाग में सड़क पर बैठे प्रदर्शनकारियों को हटाया जाए, क्‍योंकि इससे आम लोगों को बहुत दिक्‍कतों का सामना करना पड़ रहा है। इससे न केवल लोग कई कई घंटों तक जाम में फंसे रहते हैं, बल्कि ईंधन की बर्बादी और प्रदूषण भी लगातार बढ़ रहा है। 

उनकी इस याचिका पर हाईकोर्ट ने दिल्‍ली पुलिस को निर्देश दिया था वह व्‍यापक जनहित को ध्‍यान में रखते हुए और कानून व्‍यवस्‍था को भी कायम रखते हुए उपर्युक्‍त कार्यवाही करे। हाईकोर्ट ने निर्देश दिए थे कि कानून व्‍यवस्‍था कायम करना पुलिस का क्षेत्राधिकार है और कानून व्‍यवस्‍था कायम रखते हुए वह इस संबंध में कदम उठाए।

दिल्ली पुलिस ने की थी प्रदर्शनकारियों से अपील

इसके बाद दिल्‍ली पुलिस ने प्रदर्शनकारियों से सड़क से हटने की अपील की थी, लेकिन वह नहीं माने और लगातार डटे हुए हैं। इसके बाद वकील अमित साहनी ने शीर्ष अदालत का रुख करते हुए एक स्‍पेशल लीव पिटीशन दायर की थी। इस याचिका में मुख्‍य रूप से कहा गया है कि किसी भी नागरिक का प्रदर्शन करना उसका मौलिक अधिकार है और लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था में इसकी मनाही नहीं की जा सकती, लेकिन प्रदर्शनकारियों को यह अधिकार बिल्‍कुल नहीं है कि वो अपने मन मुताबिक जगह पर प्रदर्शन करें, जिससे लाखों लोगों का जनजीवन प्रभावित हो। ऐसे किसी प्रदर्शन से आम लोगों का सड़क मार्ग से गुजरने का अधिकार प्रभावित नहीं किया जा सकता और ऐसे किसी भी प्रदर्शन को अनिश्चितकाल तक जारी रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती। लिहाजा, शीर्ष अदालत से मांग की गई कि आम जनमानस को हो रही परेशानी से नि

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