Science / वैज्ञानिकों ने खोजा एक विशाल शिकारी जीवाश्म के पेट में 4 मीटर बड़ा जानवर

News18 : Aug 23, 2020, 07:54 AM
Delhi: जीवाश्म विज्ञानियों (Palaeontologist) को डायनासोर (Dinasour) और उनके युग के आस के युग के बारे में सारी जानकारी जीवाश्मों से मिलती है। जीवाश्मों से ही वैज्ञानिकों ने अब तक करोड़ों साल पहले की पृथ्वी पर जीवन के बारे में काफी कुछ जान लिया है। लेकिन हाल ही में एक जीवाश्म ने शोधकर्ताओं का तब हैरत में डाल दिया जब उन्हें एक विशाल शिकारी जीव के जीवाश्म के पेट के अंदर एक सरीसृप का जीवाश्म मिला जिसकी खुद की लंबाई चार मीटर थी।


कहां मिले ये जीवाश्म

दक्षिण पश्चिम चीन में एक खुली खदान में खुदाई के दौरान जीवाश्म विज्ञानियों ने एक विशालकाय डॉलफिन जैसे समुद्री सरीसृप के पूरे कंकाल को पाया। इचियोसॉर (ichthyosaur) नाम के इस जीव के पेट में ही एक और जीवाश्म देख कर शोधकर्ता हैरान रह गए थे। यह दूसरा  जीवाश्म चार मीटर लंबे छिपकली जैसे जलीय सरीसृप का था जिसे थालाटोसॉर (Thalattosaur) कहा जाता है। यह समुद्री जीवाश्म के पेट में अब तक का पाया गया सबसे लंबा जीवाश्म है।


शिकार किया था या नहीं

शोधकर्ता भी यह दावा करने की स्थिति में नहीं हैं कि थालाटोसॉर का शिकार किया गया था या फिर उसे मरने के बाद खाया गया था। इसके बावजूद शोधकर्ताओं का कार्य या धारणा तोड़ने के लिए काफी है जिसके मुताबिक इचियोसॉर जैसे ट्रियासिक समुद्री सरीसृप केवल सेफलापोड खाने वाले जीव माने जाता थे। इस खोज से साफ है कि वे बड़े शिकारी जीव थे। यह शोध हाल ही में आईसाइंस जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

पहले कभी नहीं हुआ ऐसा

डेविस में कैलीफोर्निया यूनिवर्सिटी के पेलियोबायोलाजी (paleobiology) यानी जीवाश्म जीवविज्ञान के प्रोफेसर और इस अध्ययन के सहलेखक रियोसूके मोटानी का कहना है, “अगर आप इस तरह के सभी समुद्री सरीसृप जीवों को देखें, जो डायनासोर के युग में थे, तो हमने वास्तव में कभी भी पेट में इस तरह की चीज नहीं पाई है”

निगलते ही मर गया था जीव

मोटानी ने बताया, ”इस इचियोसॉर के पेट में जो अव्यव पाए गए उन पर पेट के एसिड का असर नहीं हुआ था इसका मतलब यह हुआ कि यह अपने भोजन को निगलते ही मर गया होगा। पहले तो हमें विश्वास नहीं हुआ था, लेकिन कुछ सालों तक इस जगह पर इन्हीं नमूनों के बार बार अध्ययन करने पर हमें विश्वास करना पड़ा।“

अब बदली ये धारणा

लेकिन मोटानी, चीन में पेकिंग यूनिवर्सिटी के जीवाश्मविज्ञानी डा-योगं जियांग और उनके साथियों ने इचियोसॉर के पेट में थालाटोसॉर की खोज से साफ हुआ कि ऐसा कुछ नहीं है। मोटानी ने बताया, “अब हम गंभीरता से मान सकते हैं कि वे बड़े जानवर खाया करते थे, भले ही उनके दांत बहुत ज्यादा तीखे नहीं थे। पहले कहा जा चुका है कि तीखे दांत होने जरूरी नहीं है, लेकिन हमारी खोज इस बात को समर्थन करती दिखती है। अब यह स्पष्ट है कि यह जानवर अपने दातों से बड़ा भोजन चबा लेता होगा।


जानिए क्यों शोधकर्ताओं को हैरान किया नई प्रजाति के डायनासोर की हड्डियों ने

इस खुली खदान वाली जगह को एक म्यूजियम में बदल दिया गया है। शोधकर्ताओं की टीम अब भी वहां और जीवाश्म खोज रही है। शोधकर्ताओं पिछले दस साल से इस खदान में खुदाई कर अध्ययन कर रहे हैं, और उन्हें नई चीजें भी मिल रही है।


खानपान की आदत की पड़ताल

शोधकर्ताओं के इतने कठिनाई से विश्वास करने की एक वजह है। आम तौर पर समुद्री जीवाश्मों के पेट में कुछ मिलता नहीं है। वे क्या खाते हैं इसके लिए शोधकर्ता उनके दातों और जबड़े का अध्ययन कर पता लगाते हैं कि इन जीवों के खान पान की आदतें कैसी होती होंगी। प्रागऐतिहासिक काल के शीर्ष शिकारी जीवों के बारे में माना जाता है कि इनके लंबे नुकीले और तीखे दांत होते होंगे। आज के जमाने के शिकारी जीव जैसे मगरमच्छ भी अपने बड़े शिकार का खाने कि लिए तीखे दांतों का उपयोग करते हैं। इचियोसॉर के भी इसी तरह के दांत हैं, लेकिन उनके बड़े जानवर का शिकार करने के कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं मिले थे। इसलिए वैज्ञानिकों को लगता था कि वे सेफालोपोड्स जैसे छोटे जीवों का शिकार करते होंगे।

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