Manipur News / देखें मणिपुर में हुआ SoO समझौता क्या है? उल्लंघन का मतलब सीधे केंद्र सरकार को चुनौती

Zoom News : Jun 01, 2023, 01:49 PM
Manipur News: गृह मंत्री अमित शाह मणिपुर (Amit Shah In Manipur) में शांति बहाली की कोशिशों में जुटे हुए हैं. उन्होंने दो दिन में कई बैठकें की. कई बड़े ऐलान भी किए. उन्होंने कहा कि पुलिस अब क्षेत्र में कॉन्बिंग करेगी. अगर इस दौरान किसी के पास हथियार पाए गए तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी. हिंसा की जांच सीबीआई और न्यायिक आयोग करेगी. न्यायिक आयोग का गठन किया जाएगा. इसका नेतृत्व हाई कोर्ट के रिटायर जस्टिस करेंगे. शाह ने पीड़ितों को राहत दी. कुकी और मैतेई समुदायों के लोगों को विश्वास दिलाया कि वो जल्द ही अपने घरों को लौटेंगे. हिंसा के बाद लोगों को राहत शिविरों में भेजा गया था. अमित शाह ने SoO समझौते का जिक्र किया. शाह ने सख्ती से कहा कि अगर इस समझौते का उल्लंघन हुआ तो कार्रवाई की जाएगी. आखिर ये समझौता क्या है?

मणिपुर में शांति के लिए कई ऐलान के बाद मणिपुर की जनता से गृह मंत्री शाह ने SoO का उल्लंघन नहीं करनी का सलाह दिया है. शाह ने कहा कि केंद्र सरकार का रुख स्पष्ट हैं. सू ग्रुप वालों को भी कठोर संदेश देना चाहता हूं कि अगर इस समझौते का उल्लंघन हुआ तो बहुत सख्ती से पेश आया जाएगा. इसको समझने से पहले थोड़ा सा मणिपुर के इतिहास को एक नजर देख लीजिए. इससे आपको मामला समझने में कोई दिक्कत नहीं आएगी.

S0O से पहले मणिपुर को समझिए

आजादी के वक्त मणिपुर भारत के साथ नहीं था. 15 अक्टूबर 1949 को इसका विलय भारत के साथ हुआ. 1956 में मणिपुर को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया. 1972 में मणिपुर को एक राज्य घोषित किया गया. यहां के कई अलगाववादी गुट थे वो इस फैसले के खिलाफ थे. वो कहते थे कि मणिपुर का मर्जर नहीं होना चाहिए. सबसे पहले 1964 में ट्राइबल गुट यूनाइटेड नेशन लिबरेशन फ्रंट (UNLF) का गठन किया गया. इसके बाद कई छोटे-छोटे ट्राइबल ग्रुप भी खड़े हो गए.

मणिपुर में बढ़ते गए ट्राइबल्स ग्रुप

इन सभी ग्रुपों ने अपनी अलग-अलग मांग सरकार से करनी शुरू की. इन ग्रुपों मे विद्रोह कर दिया. हिंसा की आग में मणिपुर झुलसने लगा. ये ग्रुप्स सरकारी नुमाइंदों को निशाना बनाने लगे. सरकार की तरफ से जब कार्रवाई की जाती थी तो इनकी जान जाती थी. ये चलता रहा. 1980 में मणिपुर को सरकार ने अशांत क्षेत्र घोषित कर दिया गया और यहां पर ऑर्म्ड फोर्स स्पेशल पॉवर्स एक्ट यानी (AFSPA) लगा दिया गया. इसके बाद भी समस्या शांत नहीं हुई. टकराव बढ़ता चला गया. कुकी औऱ नागा समुदाय में अपने-अपने क्षेत्र का दावा करने के कारण टकराव बढ़ गया. राज्य सरकार और केंद्र सरकार लगातर राज्य की शांति का प्रयास करते रहे.

SoO समझौते की नींव कैसे रखी

2008 में सरकार और विद्रोही गुटों के बीच एक समझौता हुआ. यहीं से SoO (Suspension Of Operation) की शुरुआत मानी जाती है. 22 अगस्त 2008 को ये समझौता हुआ. मणिपुर में करीब 30 विद्रोही गुट हैं. जिसमें से 25 गुटों ने सरकार के समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. ये जो समझौता है वो तीन लोगों के बीच हुआ है. पहला राज्य सरकार दूसरा केंद्र सरकार और तीसरा विद्रोही गुट. जो यहां का कुकी समुदाय था. जो अक्सर कुकी लैंड, अलग राज्य का मांग करती थी. अब उनको टेरोटेरियल काउंसिल (Kukiland Territorial Council) के अंतर्गत रखा गया. इसमें ये था कि राज्य सरकार हर आदेश इनके ऊपर नहीं थोप सकती. इनके पास आर्थिक अधिकार भी थे. जब इसको बनाया गया था कि जब इसकी मियाद सिर्फ एक साल थी मगर इसमें कहा गया था कि समय और मांग को देखते हुए इसे बढ़ाया जा सकता है. ये तब से अब तक बढ़ाई जा रही है. इसकी निगरानी के लिए जेएमसी (Joint Monitoring Committee) का गठन किया गया.

SoO ग्रुप की बड़े बातें क्या-क्या हैं?

जब इसका समझौता हुआ तो केंद्र सरकार, राज्य सरकार और 25 अलगाववादी गुट के प्रतिनिधि वहां पर मौजूद थे. इसमें पहली शर्त रखी गई कि ये तो कुकी समुदाय के 25 गुट हैं इनके खिलाफ कोई भी सेना या पुलिस ऑपरेशन नहीं चलाएगी. इसके बदल में KNO और UPF जैसे गुट हैं ये आजाद तो हैं मगर भारत का कानून मानेंगे. भारत के संविधान को मानेंगे. इस पैक्ट में एक और बात कही गई कि अगर कोई इस ग्रुप से अलग होना चाहता है तो वो सरकार से मिलकर अलग हो सकता था. सरकार इसमें मदद करती थी. ये गुट किसी भी तरह की वसूली, हिंसा नहीं करेंगे. इसके जो मिलिटेंट होंगे वो एक शिविर में ही रहेंगे. इनके पास जो हथियार होंगे वो डबल लॉक सिस्टम में रखें जाएंगे. ये उन हथियारों का उपयोग केवल अपने लीडर की सुरक्षा और अपने शिविर की सुरक्षा के लिए करेंगे. ये कुछ बड़ी बातें थीं जो इस पैक्ट में थी.

मणिपुर सरकार का फैसला

इसी साल अप्रैल में मणिपुर सरकार ने दो गुटों के साथ पैक्ट से खुद को अलग कर दिया. इन दो गुटों का नाम है कुकी नेशनल आर्मी (KNA) और ज़ोमी रिवॉल्यूशनरी आर्मी Zomi Revolutionary Army (ZRA). बाकी जो 23 गुट है उनके साथ अभी भी पैक्ट पैसा ही है जैसा 2008 में था. इसलिए ये कहना गलत है कि मणिपुर में सरकार ने CoO पैक्ट से खुद को अलग किया है. सरकार ने सिर्फ दो गुटों के साथ ऐसा किया है. सरकार ने इसके पीछे जो कारण बताया है वो ये है कि ये दोनों ग्रुप पैक्ट के नियमों का लगातार उल्लंघन कर रहे थे. इसके अलावा यहां पर 144 धारा लागू होने के बाद भी प्रोटेस्ट मार्च निकाला. इसके बाद यहां पर पुलिस के साथ संघर्ष भी हुआ.

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