आषाढ़ पूर्णिमा / समाजों और राष्ट्र को कल्याण का मार्ग दिखाता है भगवान बुद्ध का अष्टांग मार्ग : धर्म चक्र दिवस पर पीएम मोदी

Zoom News : Jul 04, 2020, 01:34 PM
New Delhi | प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज धर्म चक्र दिवस के अवसर पर आयोजित उद्घाटन कार्यक्रम को एक वीडियो के माध्यम से संबोधित किया। अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के तत्वावधान में 4 जुलाई, 2020 को आषाढ़ पूर्णिमा को धर्म चक्र दिवस के रूप मना रहा है। इस दिन गौतम बुद्ध ने उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के रि​सीपत्तन जिसे वर्तमान में सारनाथ के नाम से जाना जाता है, अपने पांच तपस्वी शिष्यों को बौद्ध धर्म का पहला उपदेश दिया था। दुनिया भर में बौ्द्ध धर्म के अनुयायी इस दिवस को धर्म चक्र प्रवत्तन या "धर्म चक्र को गति देने" के दिन के रूप में भी मनाते हैं।

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर देशवासियों को आषाढ़ पूर्णिमा, जिसे गुरु पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है की बधाई दी और भगवान बुद्ध को श्रद्धांजलि भी अर्पित की। उन्होंने मंगोलिया सरकार को मंगोलियाई कंजूर की प्रतियां भेंट किए जाने पर प्रसन्नता व्यक्त की।

 उन्होंने भगवान बुद्ध की शिक्षाओं और उनके ​द्वारा दिखाए गए अष्टांग मार्ग का उल्लेख करते हुए कहा कि यह कई समाजों और राष्ट्रों को कल्याण का मार्ग दिखाता है। बौद्ध धर्म की शिक्षाएं लोगों, महिलाओं और गरीबों के प्रति सम्मान का भाव रखने और अहिंसा तथा शांति का पाठ पढ़ाती हैं, जो पृथ्वी रूपी ग्रह पर सतत विकास का आधार है।

मोदी ने कहा कि भगवान बुद्ध ने अपनी शिक्षाओं में आशा और उद्देश्य के बारे में बात की थी और दोनों के बीच एक मजबूत संबंध का अनुभव किया था। उन्होंने कहा कि वह किस तरह से 21वीं सदी को लेकर बेहद आशान्वित हैं और ये उम्मीद उन्हें देश के युवाओं से मिलती है। उन्होंने कहा कि भारत के पास आज दुनिया में स्टार्टअप का एक सबसे बड़ा परितंत्र मौजूद हैं जहां प्रतिभावान युवा वैश्विक चुनौतियों का समाधान तलाशने में जुटे हैं।

 प्रधानमंत्री ने कहा कि आज दुनिया असाधारण चुनौतियों से जूझ रही है जिसका स्थायी समाधान भगवान बुद्ध की शिक्षाओं से निकल कर आ सकता है। उन्होंने बौद्ध धरोहर स्थलों के साथ और अधिक लोगों को जोड़ने और इन स्थलों से संपर्क बढ़ाने की आवश्यकता के बारे में बात की। उन्होंने हाल ही में उत्तर प्रदेश में कुशीनगर हवाई अड्डे को अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा घोषित करने के कैबिनेट के फैसले का भी उल्लेख किया, जिसके माध्यम से स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति देने के साथ-साथ तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए यात्रा भी सुविधाजनक हो जाएगी।

धर्म चक्र दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री के संबोधन का मूलपाठ


आदरणीय राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद जीअन्य विशिष्ट अतिथि। आषाढ़ पूर्णिमा के अवसर पर अभिवादन के साथ अपनी बात शुरू करना चाहता हूं। इसे गुरु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। यह हमारे गुरुओं को याद करने का दिन हैजिन्होंने हमें शिक्षा दी है। इसी भावना के साथ हम भगवान बुद्ध को श्रद्धांजलि देते हैं।

मुझे खुशी है कि मंगोलियाई कंजूर की प्रतियां मंगोलिया सरकार को प्रस्तुत की जा रही हैं। मंगोलिया में मंगोलियाई कंजूर का बहुत सम्मान किया जाता है। ज्यादातर मठों में इसकी एक प्रति है।

दोस्तोंभगवान बुद्ध का अष्ट मार्ग कई समाजों और राष्ट्रों को उनकी बेहतरी की दिशा दिखाता है। इसमें करुणा और दया के महत्व की अहमियत बताई गई है। भगवान बुद्ध के उपदेश हमारे विचार और क्रिया दोनों में सादगी के महत्व का गुणगान करते हैं। बौद्ध धर्म हमें सम्मान करना सिखाता है। लोगों के लिए सम्मान। गरीबों का सम्मान करें। महिलाओं का सम्मान। शांति और अहिंसा का सम्मान। इसलिएबौद्ध धर्म के उपदेश एक चिरस्थायी ग्रह का साधन हैं।

दोस्तों, भगवान बुद्ध ने सारनाथ में अपने पहले उपदेश में और उसके बाद के उपदेशों में दो चीजों - आशा और उद्देश्य पर बातें की। उन्होंने इन दोनों के बीच गहरा संबंध पाया। आशा से उद्देश्य की भावना आती है। भगवान बुद्ध के लिए यह मानवीय पीड़ा को दूर करने वाला था। हमें आज इस अवसर पर जागना होगा और लोगों के बीच आशा को बढ़ाने के लिए हम जो कुछ भी कर सकते हैं, वो करें।

दोस्तोंमैं 21वीं सदी को लेकर बहुत आशान्वित हूं। यह उम्मीद मेरे युवा मित्रों- हमारी युवा पीढ़ी से मिलती है। यदि आप इस बारे में एक बेहतरीन उदाहरण देखना चाहते हैं कि आशानवाचार और करुणा कैसे दुख को दूर कर सकती हैं तो आपको हमारे स्टार्ट-अप सेक्टर पर नजर डालनी चाहिए। उज्ज्वल युवा दिमाग वैश्विक समस्याओं का समाधान ढूंढ रहे हैं। भारत का स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र दुनिया के बड़े स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्रों में से एक है।

मैं अपने युवा मित्रों से भी आग्रह करूंगा कि वे भगवान बुद्ध के विचारों से जुड़े रहें। भगवान बुद्ध के विचार उन्हें प्रेरित करेंगे और आगे का रास्ता भी दिखाएंगे। कभी-कभी वे आपको शांत भी करेंगे और आपको खुश करेंगे। दरअसलभगवान बुद्ध का अप्प: दीपो भव: का उपदेश स्वयं आपका मार्गदर्शक है और यह प्रबंधन का एक अद्भुत पाठ है।

दोस्तोंआज दुनिया असाधारण चुनौतियों से जूझ रही है। इन चुनौतियों के स्थायी समाधान भगवान बुद्ध के आदर्शों से मिल सकते हैं। भगवान बुद्ध के आदर्श अतीत में प्रासंगिक थे। वे वर्तमान में भी प्रासंगिक हैं। औरभविष्य में भी वे प्रासंगिक बने रहेंगे।

मित्रोंयह समय की मांग है कि अधिक से अधिक लोगों को बौद्ध धरोहर स्थलों से जोड़ा जाए। हमारे भारत में बौद्ध धर्म से जुड़ी ऐसी कई जगहें हैं। आप जानते हैं कि लोग मेरे संसदीय क्षेत्र वाराणसी को और किस रूप में जानते हैंसारनाथ के घर के रूप में। हम बौद्ध स्थलों की कनेक्टिविटी पर ध्यान देना चाहते हैं। कुछ दिनों पहले भारतीय मंत्रिमंडल ने घोषणा की थी कि कुशीनगर हवाई अड्डे को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाया जाएगा। इससे बहुत सारे लोगतीर्थयात्री और पर्यटक आएंगे। यह कई लोगों के लिए आर्थिक अवसर भी पैदा करेगा।

भारत आपका इंतजार कर रहा है!

दोस्तोंएक बार फिर से आप सभी को मेरा अभिवादन। भगवान बुद्ध के विचार और अधिक उज्ज्वलताएकजुटता और भाईचारे को बढ़ाए। उनका आशीर्वाद हमें अच्छा करने के लिए प्रेरित करे।

धन्यवाद। आपका बहुत बहुत धन्यवाद।

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