नई दिल्ली / भारतीय अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती अस्थाई: सऊदी निवेश सम्मेलन में मुकेश अंबानी

News18 : Oct 30, 2019, 01:47 PM
नई दिल्ली. रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) के चेयरमैन मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) ने भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) में आई सुस्ती को लेकर कहा है कि यह अस्थायी है. इसके लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं, इन कदमों से आने वाली तिमाहियों में ये रुख पलट जाएगा. सऊदी अरब में होने वाले सालाना निवेश सम्मेलन ‘रेगिस्तान में दावोस’ में अंबानी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार द्वारा अगस्त के बाद से किए गए सुधारों का परिणाम आने वाली कुछ तिमाहियों में सामने आएगा.

जल्द दिखेंगे सरकार द्वारा किए गए सुधारों के परिणाम

सम्मेलन में भविष्य के निवेश प्रयासों पर आयोजित सत्र में मुकेश ने कहा कि हां, भारतीय अर्थव्यवस्था में हल्की सुस्ती रही है, लेकिन मेरा अपना विचार है कि यह अस्थायी है. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनों के दौरान जो भी सुधार उपाय किए गए हैं, उनका परिणाम सामने आएगा और मुझे पूरा विश्वास है कि आने वाली तिमाहियों में यह स्थिति बदलेगी.

भारत और सऊदी अरब के बारे में अंबानी ने ये बातें कही   

अंबानी ने कहा कि भारत और सऊदी अरब दोनों देशों के पास आर्थिक वृद्धि को आगे बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी, युवा आबादी और नेतृत्व सभी कुछ है. अंबानी सऊदी अरब की तेल कंपनी आरामको के साथ अपने तेल एवं रसायन कारोबार में 20 प्रतिशत तक हिस्सेदारी बेचने के लिए बातचीत कर रहे हैं.

इस वजह से घटी विकास दर

भारतीय अर्थव्यवस्था को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था कहा जाता रहा है, लेकिन पिछली पांच तिमाहियों से उसकी वृद्धि दर में लगातार गिरावट आ रही है और अप्रैल- जून 2019 की तिमाही में यह घटती हुई पांच प्रतिशत पर आ गई. एक साल पहले इस दौरान जीडीपी वृद्धि दर 8 प्रतिशत की ऊंचाई पर थी. वर्ष 2013 के बाद यह सबसे कम वृद्धि दर है. इसके लिए निवेश में आई सुस्ती और अब खपत एवं उपभोग में आई कमी को बताया जा रहा है. यह कहा जा रहा है कि ग्रामीण परिवारों में वित्तीय तंगी के साथ रोजगार सृजन में कमी रही है.

गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) में नकदी की स्थिति को सरल बनाने के लिए उपाय किए गए हैं. बैंकों को उच्च गुणवत्ता वाली एनबीएफसी संपत्तियां खरीदने को प्रोत्साहित किया गया है. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में नई पूंजी डाली गई है और कंपनियों के लिये कर दरों को प्रतिस्पर्धी बनाते हुए उसमें बड़ी कटौती की गई है.

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